विचार / लेख
-चारु कार्तिकेय
पिछले कुछ महीनों में महामारी के बीच कंपनियों द्वारा उनके कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिए जाने के कई खबरें मीडिया में आईं. लेकिन अब एक मीडिया संस्थान द्वारा की गई छंटनी की खबर छापने पर उस संस्थान द्वारा एक और मीडिया संस्थान को ही परेशान करने का मामला सामने आया है.
मार्च में ही न्यूजलॉन्ड्री वेबसाइट ने महाराष्ट्र के सकाल मीडिया समूह द्वारा कई पत्रकारों समेत 15 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल देने की खबर छापी थी. यह उस समय की बात है जब पूरे देश में तालाबंदी लागू हुए बस तीन दिन बीते थे. नौकरी से निकाले गए सभी लोग सकाल समूह के दैनिक अखबार सकाल टाइम्स के संपादकीय विभाग में काम करते थे.
इसके ढाई महीने बाद अखबार ने कम से कम 50 और कर्मचारियों को निकाल दिया और अखबार का प्रिंट संस्करण बंद ही कर दिया. 11 जून को यह खबर भी न्यूजलॉन्ड्री ने छापी, लेकिन 16 जून को सकाल ने न्यूजलॉन्ड्री को 65 करोड़ रुपए हर्जाने का मानहानि का नोटिस भेज दिया. नोटिस में सकाल ने आरोप लगाया था कि न्यूजलॉन्ड्री द्वारा छापी गई खबरें झूठी और मानहानिकारक हैं.
Newslaundry correspondent, @tweets_prateekg reported about layoffs at Sakal Times.
— newslaundry (@newslaundry) November 3, 2020
He was slapped with an FIR and Newslaundry with a Rs 65 crore defamation suit.https://t.co/gY6m6WwXKw
न्यूजलॉन्ड्री का कहना है कि सकाल ने नोटिस में यह तक नहीं बताया कि कौन सी जानकारी गलत है और सकाल के हिसाब से सही जानकारी क्या है. लेकिन सकाल ने न्यूजलॉन्ड्री के खिलाफ अपनी कार्रवाई को यहीं तक सीमित नहीं रखा. उसने खबर देने वाले न्यूजलॉन्ड्री के पत्रकार प्रतीक गोयल के खिलाफ पुणे में एक एफआईआर दर्ज करा दी.
पुलिस को की गई शिकायत में सकाल ने प्रतीक पर कंपनी के खिलाफ मानहानिकारक लेख लिखने, लेख छापने से पहले कंपनी की अनुमति ना लेने और कंपनी के लोगो का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. न्यूजलॉन्ड्री के अनुसार पुलिस ने प्रतीक को गिरफ्तार करने की भी कोशिश की जिसके बाद कंपनी ने पुणे जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अपील की और मुंबई हाई कोर्ट में एफआईआर को ही निरस्त करने की अपील की.
हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि पुलिस अपनी जांच तो जारी रख सकती है लेकिन चार्जशीट दायर करने से पहले उसे अदालत की अनुमति लेनी पड़ेगी. प्रतीक को अग्रिम जमानत भी मिल गई लेकिन न्यूजलॉन्ड्री का कहना है कि इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें जेल में डालने की धमकी थी. न्यूजलॉन्ड्री का कहना है कि पुलिस अब प्रतीक का लैपटॉप जब्त करना चाह रही है. और भी ज्यादा चिंता की बात यह है न्यूजलॉन्ड्री ने इस पूरे मामले में पुलिस पर राजनीतिक दबाव का भी आरोप लगाया है.
सकाल समूह का महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ एनसीपी के प्रमुख शरद पवार से संबंध है. पवार के भाई प्रताप पवार समूह के निदेशकों के बोर्ड के चेयरमैन हैं, उनके बेटे अभिजीत पवार प्रबंधक निदेशक हैं और खुद शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले भी निदेशकों में से एक हैं. उनके भतीजे अजित पवार इस समय महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री हैं.(DW.COM)


