विचार / लेख

घर बैठे मीडिया को भी राशन दे दें...
12-Sep-2020 6:57 PM
घर बैठे मीडिया को भी राशन दे दें...

कनुप्रिया

आप सोचते हैं कि खाली जनता की ही बेरोजगारी है? सोचिये कि गोदी मीडिया के पास रोजगार की कितनी कमी है, सुशांत सिंह राजपूत के केस की आखिरी बूँद तक निचोड़ लेने और कँगना के मुद्दे की राई को पहाड़ बना लेने के बाद अब जब उसमें राई बराबर मसाला नहीं रह गया, गोदी मीडिया बेरोजगार हो गया है।

उधर जब उनकी खबरों में भारत के सैनिक चीन को धकेल रहे थे, चीन का ठंड से पहले थर थर काँपना ही बाकी था भारत सरकार को जाने क्या हुआ अक्साई चीन जीतते जीतते रूस में समझौता कर आई, अमित शाह के दावों पर पानी फेर दिया, मोदीजी को लाल-लाल आँख दिखाने का मौका ही नहीं मिला। मगर असल मार गोदी मीडिया पर पड़ी, स्टूडियो सैट में नकली पहाड़ों पर बर्फ की वर्दी पहनकर झंडा लहराते हुए चीन के दाँत खट्टे करने वाली रिपोर्टिंग का ख्वाब-ख्वाब रह गया, महीनों का काम प्रोजेक्ट चीन हाथ से निकल गया।

अब गोदी मीडिया क्या करेगा?

यूँ मीडिया के पास देखा जाए तो काम की कमी नहीं, हैं कुछ मुद्दे जो अनवरत बने हुए हैं, जिनसे जनता त्रस्त है, भयंकर बेरोजग़ारी है, पाताल तोड़ जीडीपी है, किसान समस्याएँ हैं, भारत की कोरोना रैंकिंग और चिकित्सा व्यवस्था है, आकाश तोड़ महँगाई है, डीजल-पेट्रोल की कीमतें हैं जिस रेट पर सब्जियाँ भी मिलने लगी हैं, फिर स्कूल खुलने वाले हैं और नई शिक्षा नीति भी बहस तलब है।

यानि जो सच मे मीडिया काम करना चाहे तो न मुद्दों की कमी है न काम की, फिर भी बेचारा गोदी मीडिया हर रोज कुआँ खोदता है, खोद कर एक गैरजरूरी मुद्दा निकालता है और हफ्तों जुगाली करता है।

मोदी जी दरख्वास्त है कोई इवेंट कर लें अब ताकि गोदी मीडिया को काम मिले, हफ्ता तो निकल जाए फिर नई दिहाड़ी ढूँढेगा।

या फिर घर बैठे 5 किलो चावल और गेहूँ ही क्यों नही दे देते, जहाँ इतनों को दिया इन्हें भी दे दीजिये, कहाँ जरूरत है इन्हें भी रोजगार की, यकीन कीजिये घर बैठे इन्हें भी राशन देने अर्थव्यवस्था कुछ और नहीं बिगड़ जाएगी।


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