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महिलाओं के खिलाफ सरकारी ताकतें, पहले रिया के खिलाफ, अब कंगना के
12-Sep-2020 6:55 PM
  महिलाओं के खिलाफ सरकारी ताकतें, पहले रिया के खिलाफ, अब कंगना के

अनुपमा सक्सेना

हाँ दोनों प्रकरणो में अंतर हैं,

कंगना अपने राजनीतिक संबंधों की कीमत चुका रही हैं और रिया सुशांत के साथ अपने प्यार के संबंधों की ।

कंगना राजनीति में और राजनीतिज्ञों को चुनौती दे रही हैं, ललकार रही हंै तो प्रतिक्रियाएँ तो मिलेगी। भारतीय राजनीति में यह सब रोज देख रहे। सरकारें बदलने पर बड़े-बड़े दलों के बड़े-बड़े नेताओं के साथ क्या होता है देख लें ।

कंगना, राजनीति के मैदाने जंग में खुद उतरी हैं तो जाहिर है कि लाभ-हानि का गणित लगाकर उतरी होंगी। और लाभ अधिक दिखे होंगे इसलिए उतरी हैं। रिया इस पूरे चक्कर में समय के चक्र से अनजाने ही आ गईं। वो न चाहते हुए भी राजनीति का हिस्सा बना दी गईं। उनके हिस्से मेंअभी फिलहाल तो सिर्फ नुकसान नजर आ रहे ।

वह करनी सेना जो दीपिका पादुकोण के विरुद्ध फतवे जारी कर रही थी और जिस करनी सेना के विरोध में सुशांत ने अपने नाम से राजपूत शब्द हटा दिया था अब कंगना के समय नारीवादी बन गई। कायदे से तो सुशांत के फैन को कंगना से अपील करनी चाहिए कि वे करनी सेना का विरोध करें। सुशांत के फैन अब कंगना के फैन बना दिए जाएँगे। शायद कंगना बिहार में चुनाव प्रचार के लिए भी आमंत्रित कर ली जाएँ ।

इन सबके बीच में सुशांत के फैन का जो मुद्दा था कि सुशांत की मौत की सच्चाई पता लगाने का, वो बचेगा या नहीं ?

हाँ एक बात ज़रूर है कि इस पूरे प्रकरण में चर्चा में जो प्रमुख सोच रही है उससे महिला पुरूष संबंधों में महिला को जिम्मेदार ठहरने की सोच जरूर और मज़बूत हो जाएगी। रिश्ते टूटे या घर, महिला ही जि़म्मेदार। पुरूष शराब, नशा करे तो भी महिला जि़म्मेदार। कई बार तो बिगड़े हुए लडक़े की शादी इसलिए की जाती है कि शादी के बाद सुधार जाएगा । न सुधरे तो पत्नी जि़म्मेदार।

एक बात और होगी कि मीडिया की व्यक्तियों का मीडिया ट्रायल करने की छूट लेने का दायरा भी जो बढ़ गया है वह अब छोटा नहीं होगा। और उसकी जद में हमारे आपके अपने भी आएँगे , आगे चलकर ।

और मेंटल हेल्थ , अरे वो इस प्रकरण में कोई मुद्दा था भी क्या ?


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