विचार / लेख

औरतों की हिफाजत के लिए बहुत बाकी
04-Sep-2020 8:28 PM
औरतों की हिफाजत के लिए बहुत बाकी

अंकिता

न्यूज़ीलैंड ने जो किया वैसा दुनिया के हर देश को करना चाहिए। पिछले दिनों न्यूज़ीलैंड में एक नया कानून पारित हुआ जिसके बाद अब वहाँ घरेलू हिंसा झेल रही स्त्रियों को दस दिन की पेड लीव यानि कि सैलेरी काटे बिना छुट्टी दी जाएगी। ताकि़ वे उस नरक से निकलने का निर्णय ले सकें, अपने रहने के लिए एक नया सुरक्षित घर ढूँढ सकें। अपने और अपने बच्चों को मानसिक या शारीरिक प्रताडऩा से बचा सकें। ऐसा शायद इसलिए ही हो सका क्योंकि न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री एक महिला है और वहाँ के दूसरे पुरुष नेता भी स्त्रियों के हक़ में सोचते हैं।

लॉकडाउन में बढ़ी घरेलू हिंसा के लिए भी बाहर के कई देशों में अच्छे क़दम उठाए गए। इटली, फ्ऱांस, अमेरिका, से लेकर भारत तक घरेलू हिंसा के मामले इस लॉकडाउन में 60-70त्न तक बढ़े हैं। ढेरों ख़बरें उपलब्ध हैं। लेकिन इन समस्याओं पर सरकारें क्या करती हैं यही बताता है कि वह अपने देश की स्त्रियों के लिए कितना सजग है। फ्रांस सरकार ने ‘मास्क 19’ एक कोडवर्ड चलाया जिसके तहत महिला ग्रोसरी या मेडिकल स्टोर पर दुकानदार से ये कोडवर्ड बोलकर अपने लिए घरेलू हिंसा के खिलाफ़ मदद माँग सकती है। साथ ही 20 हज़ार से ज़्यादा रातें होटल्स में मुफ्त बुक की उन औरतों के लिए जो लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा झेल रही हैं। एक हमारा ही देश हैं जहाँ के नेता चादर ताने सो रहे हैं। उन्हें ये ख़बरें इस लायक़ भी नहीं लगतीं कि इन पर अपने दो शब्द भी ख़र्च कर सकें।

कई दूसरे देशों ने भी स्त्रियों के हित बहुत सारे आवश्यक कानून बनाए हैं। ख़ैर कानून तो हमारे यहाँ भी बहुत हैं बस लोगों ने उनका मज़ाक बना दिया है यह अलग बात है। ना तो हमारे यहाँ क़ानून तेज़ी से काम करता है ना ही कुत्सित मानसिकता के लोगों में उसका डर है। यही कारण है कि आज भी जब आप ख़बर पढ़ते हैं तो हर दिन एक ख़बर बलात्कार की होती ही है। घरेलू हिंसा के कई मामले तो दजऱ् ही नहीं होते। पुरुष छोड़ो यहाँ की स्त्रियाँ तक कहती दिखती हैं, ‘एक थप्पड़ से कोई तलाक़ लेता है क्या?’ कई लोग तो आँख मूँद बैठे होते हैं। देश की महानता में इतने डूबे होते हैं कि मानने को ही तैयार नहीं होते कि देश में स्त्रियों के साथ कुछ ग़लत होता भी है।अपने देश को स्त्रियों के लिए चौतरफ़ा सुरक्षित बनाने के लिए अभी बहुत बदलाव की ज़रूरत है।


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