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जब केबीसी के लिए रजामंदी देने से पहले अमिताभ बोले- हाँ, मैं साइन करूंगा लेकिन...
16-Jul-2025 8:46 PM
जब केबीसी के लिए रजामंदी देने से पहले अमिताभ बोले- हाँ, मैं साइन करूंगा लेकिन...

-यासिर उस्मान

25 साल पहले भारत में टीवी पर एक सवाल गूंजा- ‘कौन बनेगा करोड़पति?’ और उस गूंज ने भारतीय टीवी की तस्वीर हमेशा के लिए बदल दी।

टीवी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ ने सिल्वर जुबली पूरी कर ली। 25 साल से परचम लहराता एक ऐसा शो जिसने सिर्फ सवाल नहीं पूछे, बल्कि करोड़ों लोगों को सपने भी दिखाए।

यह सपना लोगों को बता रहा था कि हिम्मत और ज्ञान के दम पर जिंदगी बदली जा सकती है। लेकिन ये सिर्फ दर्शकों के सपनों की कहानी नहीं है। ये उस मोड़ की कहानी भी है जब एक सुपरस्टार का सितारा ढल रहा था और एक टीवी चैनल अपने वजूद के लिए जूझ रहा था।

इसी समय दोनों की तकदीरें एक-दूसरे से टकराईं और हमेशा के लिए बदल गईं।

25 साल पहले ऐसा क्या हुआ था?

25 साल पहले ऐसा क्या हुआ था जिसने भारतीय टेलीविजन और अमिताभ बच्चन, दोनों का दौर बदल दिया? इसका जिक्र करने से पहले बात अप्रैल 1997 की एक शाम की।

जयपुर के सिनेमा हॉल ‘राजमंदिर’ में अमिताभ बच्चन की महत्वाकांक्षी कमबैक फिल्म ‘मृत्युदाता’ का प्रीमियर था। पांच साल बाद अमिताभ बच्चन एक्शन फिल्म के साथ बड़े पर्दे पर लौट रहे थे। इस फिल्म का निर्माण उनकी कंपनी ‘एबीसीएल’ ने ही किया था।

लेकिन खुद अमिताभ की पत्नी जया बच्चन को ही यह फिल्म इतनी बकवास लगी कि वो आधी फिल्म के बाद ही उठ खड़ी हुईं। अगले दो दिन में ही ‘मृत्युदाता’ ने बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ दिया।

सुपरस्टार के तौर पर अमिताभ बच्चन का सितारा 90 के दशक की शुरुआत में ही ढलने लगा था। उनकी ‘गंगा जमुना सरस्वती’, ‘तूफान’, ‘जादूगर’ और ‘मैं आज़ाद हूं’ जैसी बड़ी फिल्में बुरी तरह पिट चुकी थीं। फिर ‘आज का अर्जुन’ और ‘हम’ से कुछ हद तक वापसी हुई। लेकिन ‘अजूबा’, ‘इंद्रजीत’, ‘अकेला’, ‘अग्निपथ’, ‘खुदा गवाह’ जैसी फिल्में ढह गईं और स्पष्ट हो गया कि बतौर हीरो अमिताभ बच्चन का सुपरस्टारडम ढल चुका है।

इसके बाद अमिताभ ने फिल्मों से कुछ वक्त का विराम ले लिया था और ‘एबीसीएल’ (अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड) नाम की कंपनी शुरू की, जो फिल्मों से लेकर म्यूजिक और इवेंट मैनेजमेंट तक में उतरी।

‘मृत्युदाता’ एबीसीएल और अमिताभ बच्चन की बर्बादी की शुरुआत थी। अगले दो साल में मिस वल्र्ड इवेंट से लेकर फिल्म प्रोडक्शन तक एबीसीएल के लगभग हर प्रोजेक्ट नाकाम रहे। हालात इतने बिगड़े कि अमिताभ बच्चन दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गए। बतौर हीरो अमिताभ बच्चन की ‘लाल बादशाह’, ‘सूर्यवंशम’ और ‘कोहराम’ जैसी फिल्में बिल्कुल नहीं चलीं।

इस समय अमिताभ की वापसी की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। पर्दा मानो गिर चुका था।

ठीक इसी दौर में, तकरीबन अमिताभ बच्चन की तरह ही, टीवी नेटवर्क स्टार इंडिया भी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा था।

भारतीय मनोरंजन जगत में सैटेलाइट क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी। केबल टीवी के जरिए जी और सोनी जैसे नेटवर्क चैनल अपने-अपने दर्शक बना चुके थे। लेकिन स्टार टीवी की पहचान जरा अलग थी।

वो एक ऐसा चैनल माना जाता था जो अंग्रेजी बोलने वाले शहरी, अभिजात दर्शकों के लिए था। आम भारतीय दर्शक से उसकी दूरी बनी हुई थी। इसका नतीजा बिजनेस के लिहाज से बेहद खऱाब था।

एड रेवेन्यू में स्टार सोनी और जी के बाद तीसरे नंबर पर था। ‘टॉप 10’ टीवी शोज में जी टीवी के नौ शो थे, सोनी का एक और स्टार का एक भी नहीं। यानी ‘स्टार’  गेम में था ही नहीं।

करो या मरो के इन हालात में स्टार के प्रोग्रामिंग हेड समीर नायर और सीईओ पीटर मुखर्जी ने बड़ा दांव लगाने का फैसला किया। उन्होंने दुनिया के 26 देशों में सफलता का झंडा फहराने वाला गेम शो ‘हू वॉन्ट्स टू बी अ मिलियनेयर’ को हिंदी में लॉन्च करने का फैसला किया।

समीर नायर के ज़ेहन में इसके होस्ट के रूप में बस एक ही नाम था- हिंदी के सबसे बड़े सुपरस्टार अमिताभ बच्चन।

अमिताभ बच्चन की असमंजस की स्थिति

अमिताभ बच्चन की फिल्में भले ही पिट रही थीं लेकिन हिंदुस्तान का बच्चा-बच्चा उन्हें अब भी सुपरस्टार के तौर पर ही जानता था। सवाल था कि ’लार्जर देन लाइफ’ अमिताभ बच्चन क्या छोटे पर्दे पर आने के लिए राजी होंगे?

साल 2000 यानी नई शताब्दी शुरू ही हुई थी कि जनवरी के एक दिन समीर नायर अंग्रेजी शो ‘हू वॉन्ट्स टू बी अ मिलियनेयर’ का वीडियो टेप लेकर अमिताभ के बंगले ‘जलसा’ पहुंचे। अमिताभ इस ऑफर से हैरान हुए और फिर सोच में पड़ गए।

उनका मानना था कि वो एक एक्टर हैं, टीवी शो होस्ट नहीं। समीर ने कहा कि कम से कम एक बार वो शो देख तो लें।

बच्चन परिवार इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं था। छोटे पर्दे की ओर जाना उन्हें अमिताभ की शख्सियत के खिलाफ़ लगता था। कई दौर की बातचीत के बावजूद अमिताभ बच्चन तय नहीं कर पा रहे थे कि वो ये क़दम उठाएं या नहीं?

‘हां मैं साइन करूंगा, लेकिन पहले...’

लेखिका वनीता कोहली खांडेकर ने अपनी किताब ‘द मेकिंग ऑफ स्टार इंडिया’ में इस दिलचस्प किस्से को दर्ज किया है।

इस किताब के मुताबिक़, ‘जब छोटे पर्दे पर आने को लेकर अमिताभ बच्चन का असमंजस कायम रहा, तो उन्हें यकीन दिलाने के लिए समीर नायर, सिद्धार्थ बसु और स्टार की टीम उन्हें लंदन ले गई। वहां एल्स्ट्री स्टूडियोज में ‘हू वॉन्ट्स टू बी अ मिलियनेयर’ के सेट पर एक पूरा दिन बिताया गया।’

अमिताभ बच्चन ने देखा कि शो के होस्ट क्रिस टैरन्ट स्टूडियो में कैसे दर्शकों से संवाद कर रहे थे, किस तरह सेट की भव्यता, एक साथ कई कैमरों का मूवमेंट और सबसे अहम- शो के रोमांच में दर्शकों की हिस्सेदारी कैसे हर पल को ख़ास बना रही थी।

लाइट्स की झिलमिल, म्यूजिक़ की धडक़नें और हर जवाब के साथ बढ़ता तनाव। वहां के माहौल को देखकर अमिताभ बच्चन को शायद अहसास हुआ कि कैसे एक टीवी शो में भी सिनेमाई स्केल और ड्रामा रचा जा सकता है, और कैसे दर्शक उसमें पूरी तरह डूब जाते हैं।

आने वाले वर्षों में केबीसी का निर्माण और निर्देशन करने वाले सिद्धार्थ बसु ने उन पलों को याद करते हुए बताया कि ये सब देखने के बाद अमिताभ कुछ समय के लिए खामोश हो गए।

‘फिर वो समीर नायर की तरफ मुड़े और गंभीर लहजे में पूछा ‘क्या तुम शो को बिल्कुल इन अंग्रेजों की तरह बना सकते हो?’

समीर नायर ने सिद्धार्थ बसु की तरफ देखा। बसु जानते थे कि भारत में उन्होंने बेहद सीमित संसाधनों में भी बड़े और जटिल शो तैयार किए हैं। उनका जवाब साफ़ था- ‘अगर सही संसाधन मिले, तो क्यों नहीं? हम ये कर सकते हैं।’

इसी पल से कौन बनेगा करोड़पति की नींव धीरे-धीरे पक्की होने लगी। तकरीबन तीन महीने की मुलाक़ातों के बाद अमिताभ बच्चन ने ऐतिहासिक कदम उठाया और टीवी की दुनिया में अपने पहले कॉन्ट्रैक्ट पर साइन कर दिए।

शो का नाम पहले था ‘कौन बनेगा लखपति’

शुरुआत में अंग्रेजी के असली शो के आधार पर हिंदी में इसे नाम दिया गया ‘कौन बनेगा लखपति’। असली शो की ही तरह ये आधे घंटे का साप्ताहिक शो होने वाला था। लेकिन महानायक अमिताभ बच्चन के आने के बाद स्टार के लिए इस शो की बाजी अब और भी बड़ी हो चली थी। स्टार के मालिक रूपर्ट मर्डोक भारत आए और इनाम की राशि बढ़ा कर एक करोड़ रुपए कर दी, जो उस समय तक भारतीय टेलीविजऩ में ये सबसे बड़ी इनामी राशि थी।

इस तरह ‘कौन बनेगा लखपति’ बन गया ‘कौन बनेगा करोड़पति’। ये भी तय हुआ कि शो आधे घंटे के बजाय एक घंटे का होगा। साथ ही सप्ताह में एक दिन के बजाय ये एक हफ़्ते में चार दिन प्रसारित किया जाएगा। वो भी प्राइम टाइम पर।

लंदन के बुश स्टूडियो में शूट हुआ केबीसी का पहला प्रोमो

मार्च 2000 में लंदन के शेफर्ड्स बुश स्टूडियोज में इस भव्य शो का पहला प्रोमो शूट हुआ और अमिताभ बच्चन पहली बार हॉट सीट पर बैठे। उस प्रोमो को सिद्धार्थ बसु ने निर्देशित किया था। 25 साल पूरे होने के मौके पर उन पलों को याद करते हुए बसु ने ट्वीट किया।

उन्होंने बताया कि इस प्रोमो की लाइनें ख़ुद अमिताभ बच्चन ने ही लिखी थी और बसु के लिए बच्चन ही हमेशा ‘केबीसी का एबीसी रहेंगे।’

इस प्रोमो में अपनी खनकदार आवाज़ में अमिताभ बच्चन कहते हैं- ‘मैं यहां, आप वहां। हम दोनों के बीच पंद्रह सवाल और आप बन सकते हैं करोड़पति।’ प्रोमो देखकर लोगों को अंदाज़ा तो हो गया था कि भारतीय टेलीविजऩ पर कुछ क्रांतिकारी होने जा रहा है।

मुंबई की फिल्म सिटी में बनाया गया भव्य सेट

फिल्मसिटी स्टूडियो में तैयार किया गया केबीसी का सेट उस वक्त भारतीय टीवी का सबसे महंगा सेट था। अमिताभ बच्चन रिहर्सल में जुट गए थे। प्रोमो में तो ख़ुद अमिताभ ने सोचकर लाइनें बोल दी थीं, मगर अमिताभ शो में क्या बोलेंगे? कौन सा अंदाज अपनाएंगे जो देशभर के दर्शकों के साथ कनेक्ट हो पाए।

इसके लिए हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के कई लेखकों को बुलाकर लिखवाया गया। देश के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने इस शो को लिखने के लिए ऑडिशन दिए।

उस दौर में शेखर सुमन का टॉक शो ‘मूवर्स एंड शेकर्स’ खूब धूम मचा चुका था। उसके लेखक आरडी तैलंग को अमिताभ के लिए लाइनें लिखने का मुश्किल काम सौंपा गया। शुरुआत में वो भी तनाव में थे और अमिताभ बच्चन भी, लेकिन कई दिनों की रिहर्सल के बाद बात जम गई।

धीरे-धीरे पंच लाइनें भी बनने लगीं। खास तौर पर ‘कंप्यूटर जी’ ‘देवियों और सज्जनों’ और ‘लॉक कर दिया जाए’ तो आम बोलचाल का हिस्सा बन गए।

जून, 2000 में शो में भाग लेने के लिए चार शहरों में पांच सौ फोन लाइनें खोल दी गईं। तकरीबन 12 लाख कॉल रिसीव हुईं। इनमें से कंप्यूटर बिना किसी तय क्रम के यानी रेंडम्ली सौ कॉलर्स का चयन करता था, जिनसे सवाल-जवाब करके दस प्रतिभागियों को शॉर्टलिस्ट किया जाता था।

फिर वो दिन भी आ गया जब अमिताभ बच्चन पहला एपिसोड शूट करने फिल्म सिटी पहुंचे।

पहली शूटिंग में ही दिक्कतें

वनीता कोहली-खांडेकर की किताब ‘द मेकिंग ऑफ़ स्टार इंडिया’  के मुताबिक, जैसे ही अमिताभ शूटिंग के लिए फ्लोर पर दाखिल हुए तो बिजली गुल हो गई। पता चला कि मुंबई के कई इलाकों में तकनीकी खराबी की वजह से बिजली गुल है। फिर तीन घंटे इंतजार के बाद शूटिंग रद्द करनी पड़ी।

अमिताभ बच्चन ने सोचा कि ये तो शो से पहले ही ‘अपशगुन’ हो गया। हालांकि इसके बाद बिना किसी परेशानी के एपिसोड्स की शूटिंग पूरी हो गई।

इस शो से पहले तक भारतीय एंटरटेनमेंट चैनल्स पर प्राइम टाइम यानी रात 9 बजे का स्लॉट फिक्शन शो के लिए ही रिज़र्व होता था। केबीसी इस धारणा को तोडऩे वाला पहला बड़ा प्राइम टाइम नॉन फिक्शन शो बनने वाला था। उसके मुक़ाबले पर ज़ी और सोनी के बेहद कामयाब शो थे।

आखिरकार, 3 जुलाई 2000 की रात, जब नौ बजे अमिताभ बच्चन की जानी-पहचानी दमदार आवाज ने देशभर में एलान किया- नमस्कार मैं अमिताभ बच्चन बोल रहा हूं और आप देख रहे हैं - कौन बनेगा करोड़पति।

उस रात सडक़ों पर सन्नाटा था लेकिन हर घर का ड्राइंग रूम जगमगा उठा था। सबसे बड़ा सुपरस्टार मानो हर देशवासी को सम्मोहित कर रहा था। उनकी हाल की सारी फ्लॉप फिल्में भुलाकर लोग एकटक टीवी पर नजऱें गड़ाए थे।

अमिताभ बच्चन ने छोटे पर्दे को बड़ा बना दिया

जिस अंदाज़ से ये हर वर्ग के दर्शकों के साथ जुड़ा था उसने सबको हैरान कर दिया था। एक महीने के भीतर ही केबीसी महज़ एक क्विज़ शो से कहीं आगे बढ़ गया था। हर सवाल के साथ एक सपना जुड़ा था, और हर जवाब में छुपा था किसी का भविष्य।

उम्मीदों की उड़ान और निराशा की थकान के इंसानी जज़्बात की कहानी बन गया था- केबीसी।

एक और यादगार प्रोमो था केबीसी का। जिसमें अमिताभ बच्चन की आवाज़ में बस इतना सुनाई देता है- ‘नौ बज गए क्या?’ इसका एक असर ये भी हुआ था कि सिनेमाघरों में नौ बजे के नाइट शो खाली जाने लगे थे। केबीसी का जादू धीरे-धीरे चढ़ा था।

उस दौर के टॉप टीवी शो थे-जी टीवी के ‘अमानत’ और ‘हसरतें’। इसके बाद तीसरे नंबर पर था सोनी टीवी का ‘दास्तान’। इन तीनों फिक्शन शो की टीवी रेटिंग 9 से 15 के बीच रहती थी। जबकि पहले हफ्ते में ही केबीसी की रेटिंग 10 थी।

फिर एक महीने के अंदर रात 9 बजे के स्लॉट में सबको पछाड़ता हुआ केबीसी 18 की रेटिंग के साथ पहले पायदान पर था।

अमिताभ बच्चन और स्टार इंडिया ने इतिहास बना दिया था। लेकिन उससे भी बड़ी बात ये थी कि अमिताभ बच्चन ने जबरदस्त कमबैक करते हुए छोटे पर्दे को बड़ा बना दिया था।

दिसंबर 2021 में केबीसी के एक हज़ारवें एपिसोड पर भावुक होते हुए अमिताभ ने वो समय याद किया था, ‘ये शो साल 2000 में शुरू हुआ था। उस समय मुझे कोई आइडिया नहीं था। लोग कहते थे बड़े पर्दे से छोटे पर्दे पर जाने से मेरी इमेज खराब हो जाएगी।’

‘लेकिन मेरे हालात ऐसे थे कि मुझे फिल्मों में काम नहीं मिल रहा था। लेकिन शो के प्रीमियर के बाद जिस तरह के रिएक्शन्स मुझे मिले उनसे मुझे अहसास हो गया कि मेरी दुनिया बदल चुकी है।’

इसी साल फिल्म मोहब्बतें के ज़रिए फिल्मों में भी अमिताभ की शानदार वापसी हुई। एबीसीएल का कर्जा धीरे-धीरे चुका दिया गया। केबीसी ने अमिताभ बच्चन का वक़्त बदल दिया था।

ज़ी टीवी लाया था केबीसी की नकल पर शो

केबीसी की बेमिसाल कामयाबी ने टेलीविजन की दुनिया में हलचल मचा दी थी। इससे नंबर वन चैनल ज़ी टीवी हिल गया था। केबीसी के जवाब में जी ने आनन-फानन में अक्टूबर 2000 में एक नया शो लॉन्च किया जिसका नाम था ‘सवाल दस करोड़ का’।

इस शो के होस्ट थे अनुपम खेर और मनीषा कोइराला और इनामी राशि थी केबीसी से दस गुना ज़्यादा। लेकिन जितना बड़ा इनाम, उतनी ही बड़ी उम्मीद, और अफ़सोस कि इसे उतनी ही बड़ी नाकामी मिली।

न सेट में वो चमक थी, ना सवालों में वो गूंज, और सबसे बड़ी बात- अमिताभ बच्चन जैसा करिश्मा कहीं नहीं था।

नतीजा ये हुआ कि ‘सवाल दस करोड़ का’ पहले ही एपिसोड से दर्शकों की नजरों से उतर गया और टीवी इतिहास में एक फ्लॉप शो बनकर रह गया।

शाहरुख खान का केबीसी

कौन बनेगा करोड़पति की पहचान एक ही चेहरे से जुड़ी है-अमिताभ बच्चन। शो के सभी सीजऩ उन्होंने ही होस्ट किए हैं- सिवाय एक के।

साल 2007 में जब तीसरा सीजऩ आया, तो अमिताभ बच्चन ने खऱाब तबीयत के चलते स्टार प्लस का ऑफऱ ठुकरा दिया। उनकी जगह ली बॉलीवुड के नए सुपरस्टार शाहरुख खान ने। शाहरुख़ उस दौर में बेहद लोकप्रिय थे, फैंस के चहेते।

लेकिन जैसे ही उन्होंने केबीसी की कमान संभाली, टीआरपी का ग्राफ गिरने लगा। निर्माताओं को भी अहसास हुआ कि केबीसी की पहचान अमिताभ बच्चन की शख्सियत से जुड़ चुकी थी। उस दौर में शाहरुख और अमिताभ के ‘कोल्ड वॉर’ की खबरें मीडिया में खूब छपी थीं लेकिन खुद दोनों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी।

साल 2008 में सोनी टीवी ने इस शो के राइट्स हासिल कर लिए। साल 2010 में केबीसी का चौथा सीजऩ अमिताभ बच्चन के साथ सोनी टीवी पर आया। तब से लेकर आज तक, शो सोनी टीवी पर है और अमिताभ बच्चन के साथ ही जुड़ा हुआ है।

केबीसी से कई करोड़पति निकले

पहले सीजऩ में एक करोड़ का इनाम जीतने वाले हर्षवर्धन नवाथे उस समय सुर्खियों में थे। उनके बाद केबीसी में अब तक कई प्रतियोगी एक करोड़ जीत चुके हैं। बाद में इनाम की रकम बढ़ा कर सात करोड़ कर दी गई।

हालांकि ज्यादातर प्रतिभागी 7 करोड़ के जैकपॉट सवाल का जवाब देने में चूक जाते हैं और इतनी बड़ी रकम हारने की जगह शो को क्विट करने का फैसला लेते हैं। लेकिन सीजन आठ में (साल 2014) अचिन और सार्थक नरूला सात करोड़ रुपए जीतने वाले पहले प्रतियोगी बने। उनके अलावा अब तक कोई इतनी रकम नहीं जीत पाया है।

हालांकि केबीसी का कारवां अनवरत जारी है।

82 साल की उम्र में भी अमिताभ बच्चन की गूंजती आवाज़ के साथ ये ‘ज्ञान का रजत महोत्सव’ कामयाब है। 17वें सीजऩ में एक बार फिर यह शो ख़ास अभिवादन ‘आदाब, आदर, अभिनंदन, आभार’ के साथ लौटने को तैयार है। (bbc.com/hindi)


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