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राजस्थान: अजमेर रेप मामले में 32 साल तक क़ानूनी लड़ाई लडऩे वाली सर्वाइवर की कहानी
12-Sep-2024 4:08 PM
राजस्थान: अजमेर रेप मामले में 32 साल तक क़ानूनी लड़ाई लडऩे वाली सर्वाइवर की कहानी

-मोहर सिंह मीणा

‘मैं उस समय 18 साल की थी और गाने की कैसेट लेने बाज़ार गई थी। मुझे याद है कि उस समय दोपहर के 12 बज रहे थे। वो मेरा पड़ोसी था और मुझे जानता था। उसने मेरे हाथ से दोनों कैसेट छीन लिए और भागने लगा। भागते-भागते हम खंडहर तक जा पहुंचे।

इस खंडहर में सात-आठ लोग पहले से मौजूद थे। उन्होंने मेरा मुंह, दोनों हाथ बांध दिए।

उन सभी ने मेरे साथ रेप किया और मेरी नग्न तस्वीरें खींची। रेप करने के बाद उन्होंने मुझे दो सौ रुपये देकर कहा कि लिपस्टिक-पाउडर खरीद लेना। मैंने पैसे लेने से इनकार कर दिया।

उस खंडहर में दो रास्ते थे, उन्होंने मुझे दूसरे दरवाज़े से बाहर निकाल दिया। उस समय शाम के चार बज चुके थे।’

इस बारे में बताते हुए संजना (बदला हुआ नाम) की आंखें नम हो गईं। संजना के हाथ कांप रहे थे और नजऱें झुकी हुई थीं।

संजना उन 16 सर्वाइवर में से एक हैं, जिनका राजस्थान के अजमेर में 1992 में रेप किया गया था।

रेप करने वालों ने इन लड़कियों को कई दिनों तक ब्लैकमेल किया। शहर में लड़कियों की नग्न तस्वीरों को बाँटा जाने लगा।

इन तस्वीरों का प्रिंट लैब से निकाला गया था। तस्वीरें यहीं से लीक हुईं।

मामले का पता कैसे चला

1992 के अप्रैल-मई महीने में दैनिक नवज्योति नाम के अख़बार ने इस मामले को उजागर किया और ख़बरें प्रकाशित करनी शुरू की।

इसी अख़बार में काम करने वाले पत्रकार संतोष गुप्ता बीबीसी हिंदी से कहते हैं, ‘ख़बर से कई महीने पहले से यह ब्लैकमेल करने का खेल चल रहा था। जिसकी जानकारी जि़ला पुलिस तंत्र से लेकर ख़ुफिय़ा विभाग और राज्य सरकार तक पहुंच चुकी थी, लेकिन सभी मौन थे।’

राज्य की तत्कालीन भैरो सिंह शेखावत सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच सीआईडी-क्राइम ब्रांच को सौंपी।

हाल ही में अजमेर की स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने इस मामले में नफ़ीस चिश्ती, नसीम उफऱ् टाजऱ्न, सलीम चिश्ती, इक़बाल भाटी, सोहेल गनी और सैयद ज़मीर हुसैन को दोषी मानते हुए उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई और पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।

इस मामले के 18 अभियुक्तों में से कुछ फऱार हैं। एक ने सुसाइड कर लिया, एक पर रेप का केस है। बाकी, सजा पूरी कर चुके हैं और कुछ जेल में हैं।

जो पड़ोसी संजना को खंडहर तक लेकर गया था उसका नाम कैलाश सोनी था और कोर्ट ने इस मामले में उन्हें भी उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी।

इस मामले में सरकारी वकील वीरेंद्र सिंह राठौड़ बताते हैं, ‘कैलाश सोनी को निचली कोर्ट से उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई थी और वो कऱीब आठ साल तक जेल में भी रहे। लेकिन, हाई कोर्ट ने कैलाश सोनी को दोषमुक्त कर दिया था।’

संजना कहती हैं कि वे एक गऱीब परिवार से थीं और वो लोग काफ़ी रसूख़ वाले थे। ये एक लंबी लड़ाई थी, न्याय मिला लेकिन देरी से।

इसके बाद संजना फूट-फूट कर रोने लगीं। इस बीच संजना के माता-पिता, भाई-भाभी की मौत हो चुकी है।

उन्होंने अपने परिवार को इस घटना के बारे में नहीं बताया था।

वे सहमी आवाज़ में कहती हैं, ‘उन्होंने मुझे ख़ूब डराया, धमकाया और कहा कि अगर अपने भाइयों को बताया तो उन्हें कटार से ख़त्म कर देंगे।’

लेकिन परिवार तक ये जानकारी पहुंच ही गई।

संजना कहती हैं, ‘धमकियों से डर गई थी। कभी किसी से जि़क्र नहीं किया। लेकिन, घटना के कऱीब तीन साल बाद पुलिस वाले पूछते हुए घर आ गए। तब परिवार को पहली बार जानकारी हुई।’

ख़ुद की और परिवार की पीड़ा बताते हुए उनका चेहरा बिल्कुल फ़ीका सा पड़ गया था।

उनका परिवार ख़ामोश रहा क्योंकि रसूख़दारों को सामने खड़े होने की हमारी हिम्मत नहीं थी। न्याय की तो उम्मीद ही नहीं थी।

लेकिन फिर स्वयंसेवी संस्थाओं और कुछ पुलिसकर्मियों ने समझाया कि इस मामले में अभियुक्तों को सज़ा दिलवाने के लिए उन्हें गवाही देनी चाहिए।

सरकारी वकील वीरेंद्र सिंह राठौड़ कहते हैं, ‘32 साल चले इस मामले में न्याय दिलाने के लिए संजना ने अहम भूमिका निभाई। इस मामले में तीन सर्वाइवर गवाह बनी थीं जिसमें से वो एक हैं।’

जब पति ने दिया तलाक़

इस बीच संजना की जि़ंदगी चलती रही।

घटना के कऱीब चार साल बाद उनकी शादी हुई।

संजना इस रिश्ते की शुरुआत पूरे विश्वास और सच्चाई से करना चाहती थीं और पति से घटना के बारे में छिपाना नहीं चाहती थीं।

वे बताती हैं, ‘शहर के नज़दीक ही मेरी शादी हो गई थी। चार ही दिन हुए थे और हाथों की मेहंदी का रंग भी फीका नहीं पड़ा था। उन्होंने सब सुनने के बाद कुछ नहीं कहा। लेकिन, अगली सुबह मुझसे कहा कि चलो तुम्हें मायके घुमाकर लाता हूं। धोखे से वह मुझे मेरे घर ले आए और तलाक़ दे दिया। ऐसा लगा जैसे फिर एक बार मेरी बसी हुई दुनिया लूट ली गई हो।’

संजना ने भी समय के साथ ख़ुद को संभाला और अगले चार साल भी गुज़ार दिए। इस मामले में कोर्ट की कार्रवाई भी साथ चलने लगी थी।

संजना से जहां हमारी बातचीत हो रही थी, उस कमरे की दीवार पर कई तस्वीरें लगी हुई थीं।

एक तस्वीर की ओर इशारा करते हुए संजना कहती हैं, ‘जब मैं 28 साल की हुई तो परिवार ने इनके साथ मेरी दूसरी शादी करा दी, मैं उनकी तीसरी पत्नी थी।’

‘कुछ समय बाद मैंने एक बेटे को जन्म दिया। यूं लगा मानो जीवन तो शुरू ही अब हुआ है।’

वो कहती हैं, ‘बाहर कहीं से मेरे दूसरे पति को मेरे साथ हुई उस घटना का पता चल गया। इसके बाद उन्होंने मुझे तलाक़ दे दिया और मेरा दूध पीता दस महीने का बच्चा भी मुझसे छीन लिया।’ कमरे में रखी अपने बच्चे की तस्वीर पर हाथ फेरते हुए वो कहती हैं, ‘अब वह 22 साल का है। भारत से बाहर एक देश में रहता है। सिफऱ् नाम का ही है बेटा मेरा।’

‘मुफ़्त राशन से दिन कट रहे हैं’

संजना फिलहाल किराए के कमरे में रहती हैं और सीमित संसाधनों में जीवन जी रही हैं।

वो कहती हैं, ‘पेंशन और निशुल्क मिलने वाले राशन से दिन कट रहे हैं।’

उनके पास पैसे कमा सकने के लिए काम नहीं है। बाहर ज़्यादा निकलती नहीं हैं और बढ़ती उम्र के साथ बीमारियां भी घेरने लगी हैं। उस घटना के बाद से मन में क्या रहता है? यह सवाल जैसे उनके लिए 32 साल की कहानी बताने जैसा ही था।

वो कहती हैं, ‘मैं तो बहुत छोटी थी, मुझे कुछ समझ नहीं थी। उस समय मुझे समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ है। हमेशा जेहन में ज़रूर रहता है कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ।’

वह बड़े उदास मन से बताती हैं, ''32 साल में किसी ने मेरी मदद नहीं की। कोर्ट में गवाही के लिए जाना होता था तो मेरे चाचा ले जाते थे, पहली पेशी पर वही मुझे लेकर कोर्ट गए थे। लेकिन फिर उनकी भी मौत हो गई।’

‘साल 2015 में मुझे कोर्ट में बयानों के लिए बुलाया। कोर्ट का कागज़़ लेकर आए पुलिस वाले को मैंने कहा कि मैं किसके साथ आऊं, कोई नहीं है लाने वाला।’

‘तब वो पुलिस वाला भाई ही मुझे कोर्ट में बयानों के लिए लेकर गया था।’

अचानक से फिर भावुक होकर वो कहती हैं, ‘बहुत दुख देखे हैं इतने बरस में, अपनों को बिछड़ते और मरते देखा है। अब बचा जीवन भी यूं ही कट जाएगा। क्या कर सकते हैं भैया, जो किस्मत में लिखा है।’

इतनी लंबी लड़ाई लडऩे के लिए हौसला कहां से आया?

इस सवाल पर संजना कहती हैं, ‘मीडिया ने लड़ाई लड़ी है। उन्ही से हौसला मिला तो मैं कोर्ट जाती थी, वहां मुझसे बहुत से सवाल पूछे जाते थे और मैं जवाब देती थी।’ (बीबीसी)


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