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कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रंप? अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले सर्वेक्षणों में कौन आगे
11-Sep-2024 3:43 PM
कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रंप? अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले सर्वेक्षणों में कौन आगे

- विजुअल जर्नलिज्म और डेटा टीमें

पांच नवंबर को अमेरिका में मतदाता अपने अगले राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए मतदान में हिस्सा लेंगे।

पहले ये चुनाव 2020 की पुनरावृत्ति होने वाले थे यानी मुक़ाबला पिछले चुनावों की तरह ट्रंप और जो बाइडन में ही होने वाला था लेकिन बाइडन के रेस से हटने के बाद उप राष्ट्रपति कमला हैरिस मैदान में हैं।

अब सबसे बड़ा सवाल यही है- क्या डोनाल्ड ट्रंप को दूसरा कार्यकाल मिलेगा या अमेरिका को पहली महिला राष्ट्रपति?

जैसे-जैसे चुनाव का दिन निकट आता जाएगा हम आपके लिए सर्वेक्षणों पर नजर रखेंगे। साथ ही मंगलवार को ट्रंप और हैरिस के बीच होने वाली डिबेट जैसे कार्यक्रमों का असर पर भी रोशनी डालते रहेंगे।

सर्वेक्षणों में कौन आगे?

सर्वे में बाइडन के राष्ट्रपति पद की दौड़ से अपना हाथ खींचने से पहले, उन्हें ट्रंप से पिछड़ता दिखाया जा रहा था। हालांकि उस समय ये सिर्फ कोरी कल्पना ही थी लेकिन कुछ जानकार उस वक्त कह रहे थे कि अगर रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस होतीं तो उनका हाल भी ऐसा ही होता।

लेकिन जैसे ही कमला हैरिस चुनाव अभियान में कूदीं। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी पर एक छोटी सी बढ़त बना ली।

दोनों उम्मीदवारों के ताजा नेशनल सर्वेक्षणों का औसत नीचे दिए गए ग्राफ में दिखाया जा रहा है।

नीचे दिए गए पोल ट्रेकर में दिखाया गया है कि कैसे हैरिस के चुनाव में कूदने के बाद ट्रेंड बदलने लगा है। ग्राफ़ में दिख रहे डॉट्स विभिन्न सर्वेक्षणों के नतीजों को दर्शा रहे हैं।

हैरिस शिकागो में चली चार दिनों की पार्टी कनवेंशन के दौरान 47 फीसदी तक पहुँच गई थीं। इसके बाद 22 अगस्त को सभी अमेरिकी लोगों के लिए ‘एक नई राह’ वाली स्पीच के बाद भी आगे बढ़ीं। लेकिन इसके बाद से उनकी लोकप्रियता में कोई विशेष परिवर्तन दर्ज नहीं किया गया है।

ट्रंप की औसत भी लगभग एक जैसी ही रही है। सर्वेक्षणों में उनकी लोकप्रियता 44 फीसदी के आस-पास रही है। 23 अगस्त को जब रॉबर्ट एफ कैनेडी ने आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लडऩे से अपने हाथ पीछे खींचे उसके बाद भी ट्रंप की लोकप्रियता में कोई बदलाव दर्ज नहीं किया गया।

अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में होने वाले ये चुनाव पूर्व सर्वेक्षण उम्मीदवारों की लोकप्रियता की ओर इशारा तो करते हैं लेकिन ये ज़रूरी नहीं है कि राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों के पूर्वानुमान का ये सटीक तरीका हो।

इसकी एक बड़ी वजह है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम का प्रयोग होता है। इसलिए अधिक मतदान से ज़्यादा ये ज़रूरी है कि आप किन राज्यों में जीत दर्ज कर रहे हैं।

अमेरिका में 50 राज्य हैं। लेकिन इन राज्यों में अधिकतर वोटर हमेशा एक ही पार्टी को वोट देते हैं। तो हकीकत में ऐसे बहुत कम राज्य हैं जहां दोनों उम्मीदवार जीत की उम्मीद लगा सकते हैं। और यही राज्य हैं जहाँ चुनाव जीता या हारा जाता है। इन्हें अमेरिका में बैटलग्राउंड स्टेट्स कहा जाता है।

बैटलग्राउंड स्टेट्स में कौन जीत रहा है?

फि़लहाल सात बैकग्राउंड राज्यों में टक्कर कांटे की है। यही वजह है रेस में कौन आगे है ये बताना मुश्किल है।

राज्यों में, राष्ट्रीय स्तर की तुलना में चुनाव पूर्व कम सर्वेक्षण हो रहे हैं। इसलिए राज्यों की रुझान के बारे में अधिक डेटा उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा हर पोल में एक ‘मार्जिन ऑफ एरर’ होता और संभव है कि आंकड़े कुछ प्रतिशत ऊपर या नीचे हो सकते हैं।

ताजा सर्वेक्षणों के अनुसार इस वक्त कई राज्यों में दोनों उम्मीदवारों के बीच एक या उससे भी कम प्रतिशत का अंतर है।

इनमें पेनसिल्वेनिया राज्य भी शामिल है। ये राज्य काफी अहम है क्योंकि यहाँ इलेक्टोरल कॉलेज के सर्वाधिक वोट हैं। और यहां मिली जीत के सहारे कोई भी उम्मीदवार अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के लिए आवश्यक 270 इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों का जादुई आंकड़ा छू सकता है।

नेतन्याहू से क्या चाहते हैं बाइडन?

पेनसिल्वेनिया, मिशिगन और विस्कॉनसिन 2016 में ट्रंप के राष्ट्रपति पद के चुनाव जीतने से पहले डेमोक्रेटिक पार्टी का गढ़ था। बाइडन ने 2020 के चुनावों में इसे वापस हासिल कर लिया। अगर हैरिस इस साल भी वही प्रदर्शन दोहरा पाएंगी तो वो चुनाव जीत जाएंगी।

हैरिस के डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार बनने के बाद राष्ट्रपति पद की दौड़ में बदलाव के संकेत दिख रहे हैं, क्योंकि जो बाइडन ने जिस दिन इस दौड़ से बाहर होने का फैसला लिया उसी दिन वो इन सात बैटलग्राउंड स्टेट्स में ट्रंप से तकऱीबन पांच फ़ीसदी पॉइंट से पीछे थे।

ये औसत कैसे तैयार होते हैं?

हमने ग्राफि़क्स में जिन आंकड़ों का इस्तेमाल किया है उनका औसत सर्वेक्षण विश्लेषण वेबसाइट 538 ने तैयार किया है जो अमेरिकी न्यूज़ नेटवर्क एबीसी न्यूज़ का हिस्सा है। इन औसत को 538 उन आंकड़ों को इक_ा करके बनाती है जो राष्ट्रीय स्तर पर और बैटलग्राउंड स्टेट्स में कई सर्वेक्षण कंपनियां लाती हैं।

गुणवत्ता नियंत्रण के लिए 538 केवल उन कंपनियों के सर्वे लेती है जो कुछ निश्चित मानदंडों को पूरा करती हैं, जैसे कि इस बारे में पारदर्शी होना कि उन्होंने कितने लोगों को सर्वे में शामिल किया, सर्वे कब हुआ और इसे किस तरह से किया गया (मसलन टेलीफोन कॉल्स, टेक्स्ट मैसेज, ऑनलाइन आदि)।

आप 538 की कार्य पद्धति के बारे में यहां पढ़ सकते हैं।

क्या हम सर्वे पर भरोसा कर सकते हैं?

इस समय सर्वे बताते हैं कि कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप बैटलग्राउंड स्टेट्स और राष्ट्रीय स्तर पर कुछ ही औसत के अंतर से आगे-पीछे हैं, और जब दौड़ बेहद कऱीबी है तो ये अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है कि कौन जीतेगा।

2016 और 2020 के राष्ट्रपति चुनावों से पहले हुए सर्वेक्षणों में डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक को कम करके आंका गया था। अब सर्वे करवाने वाली कंपनियां कई तरीकों से इस समस्या से निपटेंगी। इन तरीकों में सर्वे करते वक्त मतदान करने वाली आबादी की संरचना को ध्यान में रखना शामिल है।

उन बदलावों को सही करना मुश्किल है। सर्वेक्षणकर्ताओं को अभी भी अन्य कारणों के बारे में ‘शिक्षित अनुमान’ लगाना होगा, मिसाल की तौर पर कि कैसे पाँच नवंबर को कौन या कितने लोग मतदान करने आएंगे।

माइक हिल्स और लिबी रोजर्स द्वारा लिखित और प्रोड्यूस। जॉय रॉक्सस का डिज़ाइन। (www.bbc.com/hindi)


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