विचार / लेख
राजनीति में साथ और ख़िलाफ़ अपने-अपने हितों के हिसाब से होता है।
जब आम आदमी पार्टी बनी तब शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि कांग्रेस के साथ इसका चुनावी गठबंधन होगा। जाहिर है कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस के खिलाफ ही खड़ी हुई थी।
हालांकि आम आदमी पार्टी ने अपने बनने के कुछ महीने बाद ही कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाई थी।
कांग्रेस के साथ आप का रिश्ता बीजेपी के विस्तार से जुड़ा है। जैसे-जैसे बीजेपी मज़बूत होती गई, कांग्रेस और आप की करीबी बढ़ती गई।
अब बात ये होती है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन किन-किन राज्यों में होगा और कितनी सीटों पर होगा।
हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की कई लिस्ट जारी कर चुकी हैं। इसी कड़ी में अब आम आदमी पार्टी ने भी हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की है।
ये लिस्ट ऐसे वक़्त में जारी हुई है, जब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की बातें बीते दिनों बढ़ी थीं।
मगर ‘आप’ ने 20 उम्मीदवारों की जो लिस्ट नौ सितंबर को जारी की है, उनमें से 12 सीटें ऐसी हैं, जहां से कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इसके बाद 10 सितंबर को पार्टी ने नौ उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है।
ऐसे में सवाल ये है कि इंडिया गठबंधन की दो सहयोगी पार्टियां कांग्रेस और ‘आप’ क्या हरियाणा में एक-दूसरे के खिलाफ हो जाएंगी? क्या हरियाणा में 10 साल से सत्ता में बैठी बीजेपी के ख़िलाफ़ पडऩे वाला वोट बँट सकता है?
कांग्रेस बनाम आम आदमी पार्टी?
हरियाणा में 20 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने के सवाल पर ‘आप’ के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने समाचार एजेंसी एएनआई से नौ सितंबर को बात की।
संजय सिंह ने कहा, ‘12 तारीख तक नामांकन होना है। समय कम बचा है। बीजेपी के 10 साल के कुशासन को हटाना हमारी प्राथमिकता है। 20 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी हुई है।’
गठबंधन की अड़चनों के बारे में संजय सिंह ने कहा, ‘अब उसकी चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है। आज 20 प्रत्याशियों की सूची आई है। जल्द और सूचियां आएंगी। हम आगे बढ़ रहे हैं। पहली लिस्ट जारी कर चुके हैं। हमने 15 दिन में 45 रैलियां की हैं।’
इससे पहले हरियाणा में ‘आप’ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कहा था, ‘मैं 90 सीटों की तैयारी कर रहा हूँ। आलाकमान की तरफ से किसी भी प्रकार के गठबंधन की कोई खबर हमारे पास अभी तक नहीं आई है।’
यानी हरियाणा में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे।
हरियाणा विधानसभा चुनाव
हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं।
बीजेपी 2014 और 2019 में विधानसभा चुनाव जीतकर बीते 10 सालों से सत्ता में बनी हुई है।
साल 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 40 और कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत मिली थी। बीजेपी दुष्यंत चौटाला के साथ गठबंधन के कारण सरकार बनाने में सफल रही थी।
इस बार के 2024 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा में पांच अक्तूबर को मतदान होगा और आठ अक्तूबर को मतगणना होगी।
2019 से तुलना करें तो हरियाणा लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर भी 58 प्रतिशत से घटकर 46 प्रतिशत हो गया है। कहा जा रहा है कि इस बार बीजेपी के लिए हरियाणा विधानसभा चुनाव आसान नहीं है।
इसकी कई वजहें गिनाई जाती हैं।
10 साल से सत्ता में रहने के कारण बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर बताई जा रही है। ये चुनाव किसान आंदोलन के बाद हो रहे हैं। किसान आंदोलन में बड़ी संख्या में हरियाणा के किसान भी शामिल थे।
किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी के रुख़ की आलोचना होती रही है।
हरियाणा से सेना में जाने वालों की संख्या अच्छी ख़ासी रहती है। इस बार अग्निवीर योजना को मुद्दा बनाए जाने को लेकर कांग्रेस आक्रामक है।
इसी को देखते हुए अग्निवीर योजना में मोदी सरकार ने कुछ बदलाव भी किए हैं ताकि चुनाव में होने वाले संभावित नुकसान को कुछ कम किया जा सके। इसके अलावा बीते साल दिल्ली के जंतर-मंतर पर हरियाणा के पहलवानों ने भी तब के बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना दिया था।
इस प्रदर्शन को लेकर बीजेपी नेताओं के रुख़ को भी हरियाणा में अच्छे से नहीं लिया गया था।
धरना दे चुके पहलवानों में से विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया अब जब कांग्रेस में आ चुके हैं और कई नेता पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं, तब बीजेपी के लिए ये चुनाव आसान नहीं माना जा रहा है।
हरियाणा में आम आदमी पार्टी की स्थिति
अरविंद केजरीवाल मूल रूप से हरियाणा से हैं। हरियाणा के हिसार जिले का खेड़ा केजरीवाल का पैतृक गांव है।
केजरीवाल अतीत में कई मौक़ों पर अपनी हरियाणा की पहचान को खुलकर बताते रहे हैं। 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता प्रचार कर रही हैं।
इस प्रचार के दौरान सुनीता केजरीवाल अरविंद को हरियाणा का बेटा बताती हैं।
सुनीता ने हाल ही में एक चुनावी रैली में कहा, ‘जो काम बड़ी-बड़ी पार्टियां नहीं कर पाईं, वो काम आपके लाल ने कर दिया। आपके भाई ने कर दिया। आपके बेटे ने हरियाणा का नाम पूरे देश, दुनिया में रौशन किया है। क्या आप सब चुपचाप बैठे रहेंगे? क्या आप अपने बेटे का साथ नहीं देंगे।’
जाहिर है कि सुनीता और आम आदमी पार्टी केजरीवाल को जेल भेजे जाने को मुद्दा बनाने की कोशिश करेंगे। हालांकि लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी को इस बात का फ़ायदा नहीं मिला था। न तो दिल्ली में और न ही हरियाणा में।
अब सवाल ये है कि अब तक के चुनावों में हरियाणा में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहा है।
लोकसभा चुनाव 2024 में हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर लड़े थे। हालांकि ‘आप’ सिर्फ एक कुरुक्षेत्र सीट पर लड़ी थी। इस सीट से चुनावी मैदान में ‘आप’ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता थे।
सुशील गुप्ता इस सीट पर करीब पांच लाख 13 हजार वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे थे। इस सीट से बीजेपी के टिकट पर नवीन जिंदल जीते थे।
लोकसभा चुनाव 2024 में ‘आप’ हरियाणा में 3.94 फीसदी वोट पाने में सफल रही थी।
2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी 46 सीटों पर लड़ी थी। मगर पार्टी का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा था और वो एक भी सीट नहीं जीत सकी थी।
‘आप’ के उम्मीदवारों की कई सीटों पर जमानत तक ज़ब्त हो गई थी। पार्टी का वोट शेयर 0.48 प्रतिशत रहा था।
2019 लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी दस सीटें बीजेपी ने जीती थीं। तब ‘आप’ ने तीन लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इन चुनावों में ‘आप’ का वोट शेयर 0.36 प्रतिशत रहा था।
हरियाणा चुनाव और गठबंधन की राजनीति
हरियाणा में कई ऐसे दूसरे राजनीतिक दल हैं, जो किंगमेकर की भूमिका में आते रहे हैं। बीते चुनाव में दुष्यंत चौटाला की जेजेपी ने सरकार बनवाने में अहम भूमिका अदा की थी।
इस बार जेजेपी और बीजेपी की राहें अलग हो गई हैं। मगर चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी और जेजेपी के बीच गठबंधन हो गया है।
2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीती 47 सीटों को छोड़ दिया जाए, तो तब से बीजेपी लगातार ढलान पर है।
कई लोग मान रहे हैं कि हरियाणा में चुनाव धर्म से ज़्यादा जाति की तरफ़ झुकते नजऱ आ रहे हैं।
इंडिया गठबंधन जातिगत जनगणना के बहाने जाति के मुद्दे को लगातार उठा रहा है। हरियाणा के चुनावों में जाति का असर अतीत में देखने को मिलता रहा है।
हरियाणा में जाट और गैर-जाट वोट निर्णायक भूमिका में रहे हैं।
हरियाणा की आबादी में जाट 20 से 30 फ़ीसदी हैं। माना जाता है कि ये वोट बैंक बीजेपी के साथ नहीं जाता है।हरियाणा में जाट ओबीसी का दर्जा हासिल करने के लिए कई बार सडक़ों पर उतर चुके हैं। लेकिन बीजेपी उनकी ये मांग पूरी नहीं कर सकी। किसान आंदोलन में भी जाटों की अच्छी ख़ासी भागीदारी थी और पहलवानों के आंदोलन में भी यह समुदाय साथ खड़ा था।
चंद्रशेखऱ आज़ाद और दुष्यंत चौटाला के साथ आने से दलित वोट बँट सकता है। मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने इनेलो के साथ गठबंधन किया है। दलित वोटों पर दावेदारी चंद्रशेखर और मायावती दोनों की रहती है। उधर बीजेपी भी गैर-जाट वोटों को एकजुट करने की कोशिश करती है। ऐसे में चुनाव दिलचस्प हो गया है।
बीजेपी के सामने चुनौतियां
आईएनएलडी और जेजेपी का प्रदर्शन भले ही लोकसभा चुनाव में अच्छा ना रहा हो, मगर इनके होने से बीजेपी को नुक़सान हो सकता है।
सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे में भी हरियाणा में कांग्रेस के मजबूत होने के संकेत मिले हैं।
मगर ऐसा नहीं है कि इससे बीजेपी के लिए बाज़ी हाथ से पूरी तरह निकल गई है।
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, जेजेपी, आजाद समाज पार्टी, आईएनएलडी- इतने राजनीतिक दलों के हरियाणा के चुनावी मैदान में होने से एंटी-बीजेपी वोट बँट सकता है।
बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में 46 फीसद वोट पाने में सफल रही थी।
साथ ही हरियाणा में कांग्रेस के अंदर दो गुट नजर आ रहे हैं- कुमारी शैलजा बनाम हुड्डा। हालांकि बीजेपी में भी भीतरघात के कई मामले सामने आए हैं। (bbc.com/hindi)


