विचार / लेख
-हिमांशु दुबे
आजकल राजनीतिक गलियारों में हरियाणा विधानसभा चुनाव की ख़ूब चर्चा है। राज्य की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति बनाने में व्यस्त हैं।
एक तरफ़ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गठबंधन की चर्चा है। तो दूसरी ओर बीजेपी अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी, क्योंकि दुष्यंत चौटाला की जेजेपी यानी जन नायक जनता पार्टी बीजेपी का साथ छोड़ चुकी है। जेजेपी ने अब चंद्रशेखर आज़ाद की आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ गठबंधन किया है।
विधानसभा चुनाव में जेजेपी 70 सीटों पर जबकि आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस बीच बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इसमें 67 उम्मीदवारों के नाम हैं।
लेकिन टिकट बंटवारे के बाद से ही बीजेपी के कुछ नेता नाराजग़ी जता रहे हैं तो कुछ ने इस्तीफ़ा भी दे दिया है। चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के लिए ये आंतरिक संकट कितनी बड़ी मुसीबत बन सकता है?
बीजेपी ने इस बार किसका टिकट काटा?
बीजेपी की सूची के मुताबिक़ राज्य के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी लाडवा से चुनाव लड़ेंगे, जो कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में आता है। जबकि राज्य में बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनिल विज को अंबाला कैंट से टिकट मिला है।
इसी सूची में बीजेपी ने मौजूदा 9 विधायकों को टिकट नहीं दिया है।
इनमें पलवल से दीपक मंगला, फरीदाबाद से नरेंद्र गुप्ता, गुरुग्राम से सुधीर सिंगला, बवानी खेड़ा से विशम्भर वाल्मीकि, रनिया से रणजीत चौटाला, अटेली से सीताराम यादव, पेहोवा से संदीप सिंह, सोहना से संजय सिंह और रतिया से लक्ष्मण नापा के नाम शामिल हैं।
हरियाणा की रनिया विधानसभा से बीजेपी ने हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह चौटाला की जगह शीशपाल कंबोज को टिकट दिया है।
इस बात से नाराज़ होकर कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने इस्तीफ़ा दे दिया है।
विधायक लक्ष्मण नापा ने भी बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है। इसकी वजह रतिया विधानसभा से सुनीता दुग्गल को टिकट देना बताया जा रहा है।
उनके अलावा, हरियाणा बीजेपी किसान मोर्चा के अध्यक्ष सुखवीर श्योराण, सोनीपत से बीजेपी युवा कार्यकारिणी सदस्य एवं विधानसभा चुनाव प्रभारी अमित जैन, वरिष्ठ नेता शमशेर गिल और हरियाणा में ओबीसी मोर्चा के प्रमुख रहे करणदेव कंबोज ने भी पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया।
उन्होंने कहा, मैं और मेरा परिवार जनसंघ के ज़माने से बीजेपी में रहे हैं। अब यहां कांग्रेस की संस्कृति हावी हो रही है। मैंने पाँच साल तक ओबीसी समुदाय को बीजेपी से जोडऩे की कोशिश की, लेकिन मेरी जगह किसी और को टिकट दिया गया। यह बाक़ी पार्टी वर्करों के साथ धोखा है। हम इसका विरोध करेंगे। कांग्रेस यहां सरकार बनाएगी और बीजेपी का सपना, सपना ही रहेगा।
दिलचस्प ये भी है कि बीजेपी की पहली सूची से उसके अपने नाराज़ हैं लेकिन दूसरी तरफ़ लिस्ट में जेजेपी के तीन पूर्व विधायकों को टिकट दिया गया है। इनमें देवेंद्र सिंह बबली, राम कुमार गौतम और अनूप धानक शामिल हैं।
पार्टी ने देवेंद्र सिंह बबली को टोहाना, अनूप धानक को उकलाना से और राम कुमार गौतम को सफीदों से टिकट दिया है।
हालांकि, बीजेपी फिलहाल इस नाराजग़ी को बहुत बड़ा मानती नहीं दिख रही है।
बीजेपी हरियाणा के मीडिया प्रभारी अरविंद सैनी ने टिकट बँटवारे को लेकर स्थानीय नेताओं की नाराजग़ी को लेकर कहा, चुनावी माहौल में क्षणिक नाराजग़ी हो जाती है। बीजेपी का कार्यकर्ता समर्पित भाव से राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए जुटा हुआ है।
हरियाणा में बीजेपी के प्रति किसानों की नाराजग़ी के मामले पर सैनी ने कहा, भाजपा से ज़्यादा किसान हितैषी पार्टी कोई दूसरी नहीं हो सकती है। हरियाणा पहला राज्य है, जहां सूबे में होने वाली सभी 24 फ़सलों पर एमएसपी दी जा रही है। पहले 14 फ़सलों पर दी जा रही थी। अब 24 पर दी जा रही है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी बता दें कि वो किन-किन राज्यों में ऐसा कर रहे हैं?
सैनी ने कहा, 2014 में हरियाणा में हमने सरकार बनाई क्योंकि, किसान हमसे खुश थे। 2019 में हमने सरकार बनाई, क्योंकि किसान हमसे खुश थे। और अब 2024 में भी हम सरकार बनाएंगे। हमने पूरे दस साल पूरी पारदर्शिता के साथ काम किया है। हमने युवाओं, महिलाओं, किसानों सभी के लिए काम किया है।
बीजेपी की चुनौती क्या है?
जानकारों के मुताबिक हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए तीन मुद्दे मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।
पहला- किसानों की नाराजग़ी। दूसरा- महिला पहलवानों के मामले में बढ़ा असंतोष और तीसरा- सत्ता विरोधी लहर।
वरिष्ठ पत्रकार सूर्यनारायण मिश्रा कहते हैं, किसानों और किसान आंदोलन को लेकर दिया गया कंगना रनौत का बयान हो या महिला पहलवानों का मुद्दा, इन दोनों ही मामलों को लेकर बीजेपी को लोगों की नाराजग़ी का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, स्थानीय जनता हो या किसान, दोनों में केंद्र के रवैये को लेकर ज़्यादा नाराजग़ी है। पिछले कुछ वर्षों में आप देखें तो केंद्र ने इस नाराजग़ी को दूर करने को लेकर कोई विशेष प्रयास नहीं किए हैं। ऐसे में निश्चित रूप से इसका असर चुनाव पर दिखेगा। क्योंकि, हरियाणा में सबसे बड़ा वर्ग किसान है।
फि़ल्म अभिनेत्री और हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान बांग्लादेश में हुए आंदोलन को भारत के किसान आंदोलन से जोड़ दिया था।
कंगना ने कहा था, जो बांग्लादेश में हुआ है, वो यहाँ (भारत में) होते हुए भी देर नहीं लगती, अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व सशक्त नहीं होता।यहाँ पर जो किसान आंदोलन हुए, वहाँ पर लाशें लटकी थीं, वहाँ रेप हो रहे थे, किसानों की बड़ी लंबी प्लानिंग थी, जैसे बांग्लादेश में हुआ। चीन, अमेरिका, इस तरह की विदेशी शक्तियाँ यहां काम कर रही हैं। हालांकि, बीजेपी ने कंगना रनौत के इस बयान से किनारा कर लिया था।
बीजेपी ने कहा था, बीजेपी, कंगना रनौत के बयान से असहमति व्यक्त करती है। पार्टी की ओर से, पार्टी के नीतिगत विषयों पर बोलने के लिए कंगना रनौत को न अनुमति है और न वे बयान देने के लिए अधिकृत हैं। भारतीय जनता पार्टी की ओर से कंगना रनौत को निर्देशित किया गया है कि वे इस प्रकार के कोई बयान भविष्य में न दें।
भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर पिछले साल की शुरुआत में महिला पहलवानों ने यौन शोषण समेत कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन भी किया था।
यह विरोध-प्रदर्शन चर्चित पहलवान बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक की अगुवाई में शुरू हुआ था। कुछ खिलाड़ी, खाप पंचायत, किसान संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने पहलवानों का समर्थन भी किया था।
फि़लहाल यह मामला न्यायालय में है। इस बीच बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है और अब उनके हरियाणा विधानसभा चुनाव लडऩे की भी चर्चा है।
हाल ही में बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट की कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाक़ात की तस्वीर सामने आई थी। इसके बाद दोनों के कांग्रेस की ओर से चुनाव लडऩे की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है।
मगर, क्या हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ेगा?
इस पर वरिष्ठ पत्रकार सूर्यनारायण मिश्रा कहते हैं, दस साल सत्ता में रहने के बाद थोड़ा बहुत एंटी-इनकम्बेंसी का माहौल हर सरकार के साथ रहता है। ऐसे में बीजेपी के लिए भी ये चुनौती वैसी ही रहने वाली है।
लेकिन बीजेपी के अलावा बाकी पार्टियों के लिए हरियाणा विधानसभा चुनाव में क्या संभावनाएं बनती दिख रही हैं?
इस पर सूर्यनारायण मिश्रा ने कहा, जेजेपी हो या इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी), दोनों ही पार्टियां इस बार भी किंगमेकर की भूमिका में नजऱ आ सकती हैं। जहां तक सवाल मायावती की बहुजन समाज पार्टी या चंद्र शेखर आज़ाद की आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) का है, तो मुझे नहीं लगता है कि दोनों पार्टियां कोई बहुत बड़ा उलटफेर करने में सफल हो पाएंगी। कुल मिलाकर ये चुनाव मुख्य तौर पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही लड़ा जाने वाला है।
उन्होंने कहा, जहां तक सवाल आम आदमी पार्टी का है, तो आपको यह बात मानना पड़ेगी कि दिल्ली-पंजाब और हरियाणा में फिलहाल आम आदमी पार्टी के वोट बैंक को नजऱअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। यदि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन होता है तो ये दोनों पार्टियों के लिए फायदेमंद ही होगा।
हरियाणा में बीजेपी पिछले 10 सालों से सत्ता में है। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश की 90 सीटों में से 47 सीटें जीतकर बहुमत की सरकार बनाई थीं।
तब आईएनएलडी यानी इंडियन नेशनल लोकदल ने 19 और कांग्रेस ने 15 सीटें जीती थीं। साल 2019 में बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
इस चुनाव में बीजेपी केवल 40 सीटें जीत पाई थी। तब 10 सीटें जीतने वाली जेजेपी के साथ बीजेपी ने गठबंधन सरकार बनाई थी।
साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने पाँच-पाँच सीटें जीती थीं। हालांकि बीजेपी ने सूबे की सारी 10 सीटें जीतने का दावा किया था।
लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसे बीजेपी की मौजूगा सरकार के ख़िलाफ़ लहर का संकेत माना जा रहा है।
विनेश फोगाट कितना बड़ा फ़ैक्टर?
जानकारों का कहना है कि एक बीजेपी नेता के ख़िलाफ़ सडक़ पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर चुकी और ओलंपिक के फाइनल तक पहुंच चुकीं विनेश और ओलंपिक में ब्रॉन्ज़ मेडल जीत चुके बजरंग पुनिया के कांग्रेस में शामिल होने से चुनाव और दिलचस्प हो गया है।
एआईसीसी मुख्यालय में समारोह के बाद हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया ने संकेत दिए हैं विनेश फोगाट जुलाना से कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ सकती हैं। इसके बाद शाम को कांग्रेस की ओर जारी एक बयान में कहा गया कि बजरंग पुनिया को अखिल भारतीय किसान सभा का चेयरमैन बनाया जा रहा है।
विनेश फोगाट का चुनाव लडऩा बीजेपी के लिए कितनी बड़ी चुनौती हो सकता है?
वरिष्ठ पत्रकार हेमन्त अत्री ने बीबीसी हिंदी के दिनभर कार्यक्रम में कहा, हरियाणा के संदर्भ में और देश के संदर्भ में, विनेश एक बहुत बड़ा नाम हैं। वो एक सेलिब्रिटी हैं। ओलंपिक के फाइनल तक पहुंचने वाली पहली महिला पहलवान और विश्व चैंपियन को हराया था।
हरियाणा में एक आइकन हैं। वो पहलवान हैं, महिला हैं, जवान हैं और साथ ही उन्होंने जो संघर्ष किया है, इससे उनका रुतबा बढ़ गया है। जब वो सात साल की थीं तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। वो ग्रामीण परिवार से आती हैं और हालात से संघर्ष करते हुए आगे बढ़ीं हैं।
हेमंत अत्री का कहना है, उनके पक्ष में एक तरफ ये बात है कि वो महिला हैं, युवा हैं और पहलवान हैं लेकिन जिस तरह की उनकी उपलब्धि है वैसी किसी और खिलाड़ी की नहीं है। दूसरी बात जो उनके पक्ष में जाती है वो उनका मानवीय पक्ष।
हेमन्त अत्री ने कहा, उनके साथ कुश्ती महासंघ में कोई परेशानी नहीं हुई थी लेकिन उन्होंने युवा खिलाडिय़ों के लिए आवाज़ उठाई थी। वो दिल्ली के जंतर-मंतर पर 140 दिनों तक बैठी रहीं, उसके बाद किसानों के साथ जाकर विरोध में शामिल हुईं। इस तरह वो हरियाणा के मुख्य मुद्दों- युवा, खेती-किसान और महिलाओं के जुड़ती हैं।
वो संघर्ष की प्रतीक हैं और जब वो इस तरह के मुद्दों को उठाएंगी तो उन्हें सुना जाएगा। बीजेपी के खेमे में भी पहलवान बबीता फोगाट हैं, उन्हें क्यों टिकट नहीं देते। बीजेपी के लिए मुश्किल होगा क्योंकि विनेश से जूझना उनके सामने बड़ी मुश्किल हो सकती है।
बीजेपी को किस बात का फ़ायदा मिल सकता है?
हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गठबंधन की चर्चा है। लेकिन हरियाणा कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने इसे लेकर नाराजग़ी जताई है।
अगर हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस स्थानीय नेताओं की नाराजग़ी को नहीं दूर कर पाती है, तो इसका फ़ायदा बीजेपी को मिल सकता है।
हालांकि अभी बीजेपी को अपने नेताओं की नाराजग़ी का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं, दुष्यंत चौटाला की जन नायक जनता पार्टी और चंद्र शेखर आज़ाद की आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के गठबंधन से भी वोट बँटने की आशंका बनी रहेगी। इसका फ़ायदा बीजेपी को मिल सकता है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में 90 सीटों के लिए पाँच अक्तूबर को एक चरण में मतदान होगा। वोटों की गिनती आठ अक्तूबर को होगी। (बीबीसी)


