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फ्रांस : अब सरकार बनाने की चाबी धुर-दक्षिणपंथी पार्टी के पास
07-Sep-2024 10:44 PM
 फ्रांस : अब सरकार बनाने की चाबी  धुर-दक्षिणपंथी पार्टी के पास

फ्रांस में संसदीय चुनाव के दो महीने बाद राष्ट्रपति माक्रों ने दक्षिणपंथी दल के नेता मिशेल बार्निए को पीएम चुना है. वाम धड़े के विरोध के बाद अब सरकार बनाने की चाबी मरीन ले पेन की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी के पास है.

 (dw.comhi)

फ्रांस में करीब दो महीने से जारी राजनीतिक गतिरोध, ऊहापोह और लंबी बातचीत के बाद आखिरकार देश को नया प्रधानमंत्री मिल गया। राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने मिशेल बार्निए को पीएम नियुक्त किया है। 73 साल के बार्निए 1958 में ‘फिफ्थ रिपब्लिक’ के गठन से अबतक के सबसे उम्रदराज प्रधानमंत्री हैं। बार्निए प्रधानमंत्री पद पर जिन गैब्रिएल अताल की जगह ले रहे हैं, उनकी उम्र 35 साल है और वह आधुनिक फ्रांस के सबसे युवा पीएम थे।

पेरिस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में मौजूद फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों। पेरिस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में मौजूद फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों।

लंबा राजनीतिक करियर रहा है बार्निए का

बार्निए ने ‘बदलाव’ लाने का आश्वासन देते हुए कहा कि वह आम फ्रेंच लोगों की समस्याओं पर ध्यान देंगे। उन्होंने कहा कि आम लोगों की परेशानियों, गुस्से और चुनौतियों पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना भी उनकी सरकार की प्राथमिकताओं में होगा। उन्होंने शिक्षा, सुरक्षा और ‘इमिग्रेशन पर नियंत्रण’ को अपने प्रमुख लक्ष्यों में गिनाया।

पीएम बार्निए दक्षिणपंथी रिपब्लिकन्स पार्टी के नेता हैं। उनके पास दशकों का राजनीतिक अनुभव है। वह 22 साल की उम्र में बतौर काउंसिलर चुने गए और 1978 में संसद के सबसे युवा सदस्य बने। वह फ्रांस में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। विदेश मंत्रालय के अलावा वह पर्यावरण मंत्रालय, यूरोपीय मामलों का मंत्रालय और कृषि मंत्रालय भी संभाल चुके हैं।

ब्रेक्जिट (ब्रिटेन का यूरोपीय संघ छोडऩा) से जुड़ी बातचीत के समय वह ईयू के प्रमुख वार्ताकार थे। उन्हें जुलाई 2016 में ईयू के ‘आर्टिकल 50 टास्क फोर्स’ का प्रमुख बनाया गया था। ईयू का आर्टिकल 50, किसी सदस्य देश के ब्लॉक छोडक़र जाने की प्रक्रिया से जुड़ा है। बार्निए दो बार यूरोपीय आयोग में कमिश्नर भी रहे हैं। बतौर कमिश्नर उन्होंने क्षेत्रीय नीति की जिम्मेदारी संभाली।

बार्निए के आगे अब विश्वासमत हासिल करने की चुनौती है। उन्होंने कहा है कि समर्थन जुटाने और सहमति बनाने के लिए वह अलग-अलग राजनीतिक धड़ों से मुलाकात करेंगे।

फ्रांस के चुनाव में किसी को नहीं मिला था बहुमत

दो महीने पहले जुलाई में फ्रांस में मध्यावधि चुनाव हुए। तीनों राजनीतिक धड़ों (सेंटर, लेफ्ट और फार-राइट) में से किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। 577 सीटों की नेशनल असेंबली में ‘न्यू पॉपुलर फ्रंट’ को सबसे ज्यादा 188 सीटें मिलीं। यह चार पार्टियों का लेफ्ट-ग्रीन गठबंधन है।

हालांकि, बहुमत के लिए कम-से-कम 289 सीटों की जरूरत है। माक्रों के इन्सैंबल (ईएनएस) गठबंधन को 161 सीटें और धुर-दक्षिणपंथी नेशनल रैली अलायंस (आरएन) को 142 सीटें मिलीं।

सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत बनकर भी लेफ्ट-विंग गठबंधन के उम्मीदवार के नाम पर सहमति नहीं बनी। वाम मोर्चे ने बार्निए के चुनाव से निराशा जताई है। उसने कहा है कि वह अविश्वास प्रस्ताव लाएगा। इस गठबंधन में चार घटक दल हैं- एलएफआई, सोशलिस्ट पार्टी (पीएस), फ्रेंच ग्रीन पार्टी (एलई-ईईएलवी) और फ्रेंच कम्युनिस्ट पार्टी (पीएसएफ)।

फ्रांस में वामपंथी गठबंधन ने जीतीं सबसे ज्यादा सीटें

वाम मोर्चे ने लूसी कैस्ते को प्रधानमंत्री पद का अपना उम्मीदवार बनाया था। वह एक वरिष्ठ वित्तीय अधिकारी और फाइनैंशल क्राइम के मामलों की विशेषज्ञ हैं। राष्ट्रपति माक्रों ने उन्हें नियुक्त करने से इनकार कर दिया। माक्रों ने आशंका जताई कि कैस्ते पर सहमति नहीं बनेगी और अगर उनके नेतृत्व में सरकार गठित हुई, तो उसे जरूरी बहुमत नहीं मिलेगा।

बार्निए को नामित किए जाने पर निराशा जताते हुए कैस्ते ने समाचार चैनल आरटीएल से कहा, ‘मैं बहुत गुस्से में हूं, उन लाखों फ्रांसीसी मतदाताओं की तरह जो कि मेरे विचार में अपने साथ धोखा महसूस कर रहे हैं।’ कैस्ते ने माक्रों पर आरोप लगाया कि वह धुर-दक्षिणपंथी राजनीति से जुड़ी पार्टी नैशनल रैली (आरएन) के साथ हो रहे हैं।

यूरोपीय आयोग में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते मिशेल बार्निए। यह तस्वीर दिसंबर 2017 की है। यूरोपीय आयोग में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते मिशेल बार्निए। यह तस्वीर दिसंबर 2017 की है।

क्या बार्निए को समर्थन देगी मरीन ले पेन की आरएन पार्टी?

इस घटनाक्रम के कारण मरीन ले पेन की पार्टी आरएन असली किंगमेकर बन सकती है। खबरों के मुताबिक, राष्ट्रपति माक्रों अब आरएन से उम्मीद कर रहे हैं कि वह वाम धड़े के प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग कर बार्निए को बचा लें। आरएन ने कहा है कि वह इंतजार कर रही है कि अपने पहले संबोधन में बार्निए संसद के आगे किन नीतिगत योजनाओं की रूपरेखा रखते हैं। इसके बाद ही वह फैसला करेगी कि बार्निए की सरकार को समर्थन देना है या विरोध करना है। हालांकि, ले पेन ने यह भी स्पष्ट किया कि समर्थन देने की स्थिति में भी आरएन नई कैबिनेट का हिस्सा नहीं होगी।

बार्निए दक्षिणपंथी सदस्यों के बीच खासे लोकप्रिय बताए जाते हैं। आलोचकों का कहना है कि राष्ट्रपति माक्रों लगातार खुद को यूं पेश करते रहे कि वह धुर-दक्षिणपंथ के सत्ता में पहुंचने की राह में दीवार हैं। अब उन्होंने बार्निए को चुनकर मरीन ले पेन को किंगमेकर बनने का अवसर दे दिया है। फ्रेंच अखबार ‘ले मोंद’ ने बार्निए को ऐसा प्रधानमंत्री बताया है, ‘जो आरएन की निगरानी में रहेंगे।’ अखबार ने अपने फ्रंट पेज पर बार्निए की तस्वीर डालकर लिखा, ‘मरीन ले पेन द्वारा मंजूर।’

जानकारों की राय में, आरएन बार्निए के खिलाफ वोट नहीं करेगी। ले मोंद के अनुसार, पार्टी की नेता ले पेन ने सकारात्मक संकेत देते हुए बार्निए को बातचीत करने वाली शख्सियत बताया और कहा कि उन्होंने कभी आरएन के बारे में ‘अपमानजनक’ बातें नहीं कहीं। उन्होंने बार्निए को बतौर प्रधानमंत्री ‘मौका देने’ का रुझान दिखाते हुए यह भी कहा कि उनकी पार्टी ने उम्मीदवार के लिए जो पहली पात्रता रखी थी कि वह ‘अलग-अलग राजनीतिक धड़ों के प्रति सम्मान रखता हो’ और बार्निए इस शर्त को पूरा करते हैं। (dw.comhi)


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