सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 26 सितंबर। सरगुजा जिले का नामी निजी विद्यालय बिरला ओपन माइंड स्कूल, सरगवां अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ रहा था। किताब और यूनिफॉर्म को लेकर हो रही मनमानी की शिकायत सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुँची। शिकायत पर हुई जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की जांच रिपोर्ट में पाया गया कि विद्यालय ने छत्तीसगढ़ एससीईआरटी या एनसीईआरटी की मुफ्त किताबें लागू ही नहीं कीं। नर्सरी से आठवीं तक सभी कक्षाओं में निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें थोप दी गईं। कीमत इतनी अधिक कि नर्सरी की किताबों का सेट 2,946 रुपए और आठवीं तक पहुँचते-पहुँचते 7,578 रुपए तक हो गया। जांच में यह भी पाया गया कि एक पतली 24 पन्नों की वर्कबुक तक 650 रुपए में बेची जा रही थी।
केवल किताबें ही नहीं, बल्कि यूनिफॉर्म और अन्य सामग्री पर भी अभिभावकों को मजबूर किया गया। नर्सरी से यूकेजी तक यूनिफॉर्म सेट 4,300 रुपए, वहीं पहली से छठवीं तक लड़कियों के लिए 3,100 रुपए और लडक़ों के लिए 3,000 रुपए में तय किया गया। कक्षा 7 तक का सेट 3,700 रुपए का मिला। चौंकाने वाली बात यह रही कि सभी किताबें और यूनिफॉर्म सिर्फ एक ही दुकान ‘किताब घर’, भ_ी रोड, केदारपुर से लेने का नियम बना दिया गया था।
जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि विद्यालय प्रबंधन का यह कदम ‘अनुचित लाभ प्राप्त करने की संलिप्तता’ को दर्शाता है। पूर्व में भी स्कूल प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ था, लेकिन उसका जवाब संतोषजनक नहीं रहा।
इन गड़बडिय़ों के आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी अंबिकापुर ने विद्यालय पर 1 लाख रुपए का आर्थिक दंड अधिरोपित किया है। साथ ही साफ चेतावनी दी गई है कि यदि भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति हुई तो विद्यालय की मान्यता ही रद्द कर दी जाएगी। अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूल शिक्षा के नाम पर कारोबार कर रहे हैं और किताब-यूनिफॉर्म के बंधन से अभिभावकों का शोषण हो रहा है। वहीं शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई से अन्य विद्यालयों पर भी सख्ती का संदेश गया है।


