सरगुजा
सरकारी दर 266, प्रतापपुर में 1000 तक बिका यूरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
प्रतापपुर, 27 अगस्त। छत्तीसगढ़ के अन्नदाता इस समय यूरिया संकट की मार झेल रहे हैं। प्रतापपुर सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों में यूरिया खाद की किल्लत और कालाबाजारी ने किसानों की कमर तोड़ दी है। खेती-किसानी के लिए जरूरी यह खाद शासकीय दर पर 266 रुपए प्रति बोरी मिलना चाहिए, लेकिन खुले बाजार में 900 से लेकर 1 हजार तक बेचा जा रहा है। प्रशासन की चुप्पी और विभागीय लापरवाही ने किसानों को लुटने के लिए मजबूर कर दिया है।
किसानों ने मीडिया से अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया कि मजबूरी में उन्हें महंगे दामों पर खाद खरीदना पड़ रहा है। किसी ने 900 रुपए, तो किसी ने 1 हजार रुपये या उससे ज्यादा देकर यूरिया खरीदी। दुकानदार न केवल मनमाने दाम वसूल रहे हैं, बल्कि पक्के बिल तक देने से साफ इंकार कर देते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती।
ग्रामीणों का आरोप है कि यह पूरा खेल अधिकारियों और कालाबाजारियों की मिलीभगत से चल रहा है। दुकानों में जब छापामारी होती है तो स्टॉक खत्म दिखा दिया जाता है, जबकि असल में माल गोदाम से निकालकर दूसरी जगह छुपा दिया जाता है। इससे साफ जाहिर होता है कि बिना विभागीय संरक्षण के इतना बड़ा गोरखधंधा संभव ही नहीं।
प्रतापपुर के कृषि विस्तार अधिकारी शिवशंकर यादव का कहना है कि छापामारी की जाती है, लेकिन दुकानों में स्टॉक नहीं मिलता। उन्होंने यह भी स्वीकारा कि बाजार में कालाबाजारी हो रही है और इस पर रोक लगाने के लिए विभाग जाल बिछा रहा है। हालांकि किसानों का सवाल है कि जब दुकानों पर खुलेआम 1000 रुपए तक यूरिया बिक रहा है, तो कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही क्यों की जा रही है?


