सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 14 अगस्त। 15 अगस्त को सिन्धी समाज के घरों में चूल्हे नहीं जलेंगे। सिन्धी समाज द्वारा थदिड़ी पर्व 15 अगस्त को मनाया जावेगा।
14 अगस्त को भोजन पकाया जाएगा व 15 अगस्त को खाया जाएगा। सिन्धी समाज अंबिकापुर ने बताया कि किसी भी धर्म के त्यौहार और संस्कृति उसकी पहचान होते हैं। त्यौहार उत्साह,उमंग व खुशियों का ही स्वरुप हैं। लगभग सभी धर्मों के कुछ विशेष त्यौहार या पर्व होते हैं, जिन्हें उस धर्म से संबंधित समुदाय के लोग मनाते हैं। ऐसा ही एक पर्व है सिंधी समाज का थदिड़ी।
थदिड़ी शब्द का सिन्धी भाषा में अर्थ होता है.. ठंडी.. शीतलता.. रक्षाबंधन के सातवें दिन इस पर्व को समूचा सिंधी समुदाय हर्षोल्लास से मनाता है।
थदिड़ी पर्व के दिन शीतला माता की पूजा की जाती है, ऐसी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति शीतलाजनित रोगों से पीडि़त हो तो मां शीतला उन्हें दूर कर आशीष प्रदान करती हैं। अत: गृहस्थों के लिए शीतला माता की आराधना दैहिक तापों ज्वर, संक्रमण तथा अन्य विषाणुओं के दुष्प्रभावों से मुक्ति दिलाती है।
मां शीतला की आराधना करके रोगमुक्त होने की कामना की जाती है। जो भी भक्त शीतला मां की प्रतिदिन साधना-आराधना करते हैं, मां शीतला उन पर अनुग्रह करती हुई, उनके घर-परिवार की सभी विपत्तियों से रक्षा करती हैं।
इस वर्ष थदडी पर्व स्थानिय सिन्धू भवन मे बड़े धूम धाम से मनाया जाएगा , जिसमे विभिन्न कार्यक्रमो का आयोजन किया गया है तथा समाज की महिलाएं सिधी सावन सुंदरी का भी आयोजन करेगी। इस दिन समाज के सदस्य अनेक प्रकार के सिंधी व्यंजनों का लुफ्त उठाएंगे।


