सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर,6 अगस्त। ऑल चर्चेस यूनाइटेड फ्रंट,अम्बिकापुर की ओर से छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यकों के संवैधानिक,धार्मिक एवं मानव अधिकारों की रक्षा के लिये आवश्यक कदम उठाने हेतु ईसाई समुदाय के लोगों ने शहर में मौन जुलूस निकालकर प्रशासन के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा गया है।
ज्ञापन में बताया गया कि भारत एक प्रजातांत्रिक देश है और यहाँ के सब नागरिकों को एक-बराबर संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं जिसकी रक्षा करने का कर्तव्य केंद्र एवं राज्य सरकारों का है। छत्तीसगढ़ राज्य का वर्तमान परिवेश यह साबित करने के लिये पर्याप्त है कि यहाँ के गरीब, आदिवासी एवं अल्पसंख्यक भय एवं आतंक के साये में जी रहे हैं।दुर्ग में दो ननों एवं तीन अन्य के साथ जिन लोगों द्वारा अमानुषिक बर्ताव किया गया, वह निंदनीय है।
धर्मांतरण एवं मानव तस्करी के आरोप पूरी तरह बेबुनियाद एवं पूर्वाग्रह से ग्रसित है। सारी दुनिया देख और समझ रही है। यह आश्चर्य की बात है कि कुछ कट्टरपंथी हिन्दू संगठन कानून व्यवस्था अपने हाथ में लिये हुए हैं। प्रशासन उनके खिलाफ कुछ नहीं करता। उदाहरण स्वरूप: दुर्ग की घटना में पीडि़तों के साथ कट्टरपंथी लोगों की बर्बरता स्पष्ट झलक रही है। दोषियों पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाये। छग के जिम्मेदार व्यक्ति यह दुहराते नहीं थकते कि आदिवासियों से बड़ा और कोई हिन्दू नहीं।
ऐसा लगता है कि उन्हें आदिवासियों के इतिहास की जानकारी नहीं है। हमारे देश के लगभग 2 करोड़ लोग विदेशों में निवास करते हैं। उन्हें मालूम है कि अनेकों विदेशी मूल के लोग भी हिन्दू भक्ति को अपना रहे हैं। वहाँ उनके लिये अन्य धर्म या भक्ति को अपनाने में कोई व्यवधान नहीं है। यहाँ तो मानव अधिकार का खुला उल्लंघन हो रहा है।


