सरगुजा

राजमोहिनी देवी कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय का दीक्षारंभ कार्यक्रम विवादों में
04-Aug-2025 10:00 AM
राजमोहिनी देवी कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय का दीक्षारंभ कार्यक्रम विवादों में

जनभागीदारी समिति की अध्यक्ष व महापौर ने जताई नाराजगी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अंबिकापुर, 3 अगस्त। शासकीय राजमोहिनी देवी कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 31 जुलाई को आयोजित दीक्षारंभ कार्यक्रम इन दिनों शिक्षा जगत से ज्यादा राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

दरअसल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत नवप्रवेशित छात्राओं के लिए आयोजित इस गरिमामय आयोजन में न तो किसी जनप्रतिनिधि को आमंत्रित किया गया और न ही जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष या किसी सदस्य की उपस्थिति दर्ज कराई गई। यह उपेक्षा अब सवालों के घेरे में है।

महाविद्यालयीन सभागार (रूसा भवन) में गुरुवार को सुबह 11.30 बजे से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य छात्राओं को उच्च शिक्षा के परिवेश, महाविद्यालयीन पाठ्यक्रम, मूल्य आधारित शिक्षा एवं उनके सर्वांगीण विकास की दिशा में मार्गदर्शन देना था। कार्यक्रम में विद्यार्थियों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अवधारणाओं से अवगत कराया गया।

आयोजन की बागडोर महाविद्यालय के राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी विशाल गुप्ता ने संभाली, जबकि महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. एजेन टोप्पो की अध्यक्षता में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। लेकिन पूरे आयोजन में जिस बात की सबसे अधिक चर्चा रही, वह थी—किसी भी स्थानीय विधायक, पार्षद, या अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधि सहित जनभागीदारी सदस्यों की अनुपस्थिति।

स्थानीय राजनीतिक एवं सामाजिक हलकों में इसे जनप्रतिनिधियों की ‘अनदेखी’ के रूप में देखा जा रहा है। कई लोगों का कहना है कि जब राज्य सरकार द्वारा महाविद्यालयों में जनभागीदारी समितियों का गठन किया गया है, तब इस तरह के आयोजनों में उनकी अनुपस्थिति संस्थान की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है।

पूर्व में आयोजित ऐसे शैक्षणिक कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिलती रही है, जिससे विद्यार्थियों को प्रेरणा मिलती है और महाविद्यालय की गतिविधियों को जनसहयोग भी प्राप्त होता है। मगर इस बार न तो आमंत्रण भेजे गए और न ही कोई उपस्थिति रही—यह बात कई शिक्षाविदों और अभिभावकों को भी खटक रही है।

कार्यक्रम की गरिमा पर कोई संदेह नहीं, लेकिन इस आयोजन में लोकतांत्रिक सहभागिता की कमी ने इसकी उपलब्धियों पर परोक्ष रूप से प्रश्नचिह्न लगा दिया है। जनभागीदारी की उपेक्षा महज एक चूक थी या कोई जानबूझकर की गई अनदेखी—यह अब जांच और जवाबदेही का विषय बन गया है।

अंबिकापुर की मेयर और जनभागीदारी समिति की अध्यक्ष मंजूषा भगत ने इस मामले में घोर आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय की प्राचार्य की मनमानी है। हम लोगों को किसी प्रकार की सूचना भी इस आयोजन की नहीं दी गई है। वर्तमान में शहर की प्रथम नागरिक भी हूं यह उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मेयर ने इस संबंध में प्राचार्य के खिलाफ लिखित में शिकायत करने की बात भी कही है। उन्होंने मामले से सरगुजा कलेक्टर को भी अवगत कराया है।


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