सरगुजा
कहा- अब आदिवासी चुप नहीं रहेंगे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सीतापुर, 31 जुलाई। सरगुजा के देवगढ़ गांव में आज एक और आदिवासी किसान 55 वर्षीय मोहरलाल पिता सेराम को हाथियों ने कुचल कर मार डाला। घटना सीतापुर से सिर्फ 3 किलोमीटर दूर हुई, जहां कुछ दिन पहले भाजपा का शिविर आयोजित हुआ था। लेकिन सरकार फिर भी बेखबर है। ये बीते 15 दिनों में छठी मौत है। सभी मृतक आदिवासी, खेतिहर, जंगल के बेटे है।
पूर्व मंत्री और आदिवासी समाज से आने वाले कांग्रेस नेता अमरजीत भगत ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार के लिए ये मौतें बस आंकड़े हैं, लेकिन हमारे लिए ये हमारे भाई हैं, हमारे खेतों की मिट्टी हैं। मोहरलाल जी की जान हाथियों ने नहीं, सरकार की बेपरवाही ने ली है।
अमरजीत भगत ने बताया कि वो बीते कई दिनों से प्रभावित गांवों में जाकर खुद लोगों के फॉर्म भर रहे हैं, टॉर्च बाँट रहे हैं, फील्ड में रात-दिन लगे हैं।
लेकिन सरकार और प्रशासन अब तक किसी ठोस एक्शन मोड में नहीं आए।हमारे लोग जंगल में रहते हैं, लेकिन आदमखोर नहीं हैं। ये वही आदिवासी हैं जिन्होंने जंगलों को जिंदा रखा है। और आज वही लोग मर रहे हैं,क्योंकि सरकार उन्हें इंसान नहीं समझ रही।
उन्होंने सीधे शब्दों में कहामैं जंगल से आया हूँ, मुझे पता है हाथियों की चाल, लेकिन इस सरकार की चुप्पी उससे भी ज़्यादा खतरनाक है। हमें अब सडक़ पर उतरना पड़ेगा। मुझे अपने लोगों के लिए आंदोलन करना पड़ेगा।
भगत ने निम्न मांगें रखीं- मोहरलाल जी के परिवार को तत्काल सहायता दी जाए। हाथी प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीणों को रात्रि गश्ती व सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाएं।सभी आदिवासी गांवों में जागरूकता शिविर और वन विभाग की स्थानीय चौकियां स्थापित हों।जनजातीय सुरक्षा कानून के तहत विशेष फंड और राहत नीति लाई जाए।
उन्होंने कहा कि हर आदिवासी की जान की कीमत है। हम जंगल में रहते हैं, लेकिन कानून से बाहर नहीं हैं। अब हमारी चुप्पी नहीं — हमारी लड़ाई सरकार को सुनाई देगी।


