सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 31 जुलाई। सीतापुर देवगढ़ के मोहरलाल की जान हाथियों ने नहीं, बल्कि सरकार और वन विभाग की आपराधिक लापरवाही ने ली है। पिछले 15 दिनों में हाथियों के कुचलने से 6 लोगों की जान जा चुकी है, मगर सरकार और प्रशासन खामोश बैठे हैं। यह चुप्पी भाजपा सरकार की नाकामी और असंवेदनशीलता को उजागर करती है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी,अल्पसंख्यक विभाग प्रदेश महासचिव परवेज आलम गांधी ने जारी विज्ञप्ति में कहा है कि सरकार और वन विभाग कुंभकर्णी नींद में सोए हुए हैं। ग्रामीण रोज़ मौत के साए में जी रहे हैं, मगर किसी अधिकारी या मंत्री को उनकी सुध लेने की फुर्सत नहीं है। हाथियों के आतंक से गांव खाली हो रहे हैं, किसान खेतों में नहीं जा पा रहे, बच्चे स्कूल छोडऩे पर मजबूर हो रहे हैं। मगर सरकार सिर्फ बयानबाज़ी कर रही है। ग्रामीणों की पीड़ा पर सरकार और वन विभाग की बेरुख़ी निंदनीय है।
यदि सरकार ने तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए, हाथियों को नियंत्रित करने के लिए आपातकालीन योजना नहीं बनाई तो जनआंदोलन होगा। परवेज आलम गांधी ने मांग की है कि हाथियों के मूवमेंट पर तुरंत नियंत्रण किया जाए। मृतकों के परिजनों को तत्काल आर्थिक सहायता दी जाए।प्रभावित गांवों में वन विभाग और प्रशासन की चौकसी बढ़ाई जाए। हाथियों को आबादी वाले क्षेत्रों से दूर करने के लिए वैज्ञानिक और आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाए।


