सूरजपुर

अमन दोन आदिवासी भूमि घोटाला: 55 डिसमिल जमीन रिकॉर्ड में बढ़ाकर 3.40 एकड़
23-Nov-2025 8:22 PM
अमन दोन आदिवासी भूमि घोटाला: 55 डिसमिल जमीन रिकॉर्ड में बढ़ाकर 3.40 एकड़

करोड़ों की अवैध खरीद-फरोख्त का आरोप, जांच की मांग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

प्रतापपुर, 23 नवंबर। सूरजपुर जिले के प्रतापपुर विकासखंड के ग्राम अमन दोन में भूमि रिकॉर्ड से जुड़े एक मामले ने स्थानीय स्तर पर चर्चा पैदा कर दी है। रिकॉर्ड के अनुसार 55 डिसमिल जमीन का रकबा बढक़र 3.40 एकड़ दर्ज होने का प्रकरण सामने आया है। आवेदक का आरोप है कि इस बढ़े हुए रकबे की पिछले 5-6 वर्षों में करोड़ों की अवैध खरीद-फरोख्त हुई है।

रिकॉर्ड में बदलाव का दावा

राजस्व दस्तावेजों के अनुसार खसरा नंबर 619/6 वर्ष 1985 से 1992-93 तक 55 डिसमिल दर्ज था। आवेदक का दावा है कि वर्ष 2004-05 के रिकॉर्ड में यह रकबा 3.40 एकड़ दर्ज हो गया।

इसी प्रकार खसरा 451/2 वर्ष 1984-85 से 1988-89 तक रिकॉर्ड में नहीं था, पर बाद में इसे शामिल कर नया खसरा नंबर 422 दिया गया। कानूनगो शाखा प्रतापपुर ने भी यह कहा है कि पुराने अभिलेखों में ऐसा कोई खसरा दर्ज नहीं रहा था।

आवेदक द्वारा राजस्व कर्मचारियों पर आरोप

आवेदक मनीष गुप्ता ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया में एक आदिवासी परिवार को मोहरा बनाकर गलत बयान दर्ज कराए गए और कूट–रचित प्रतिवेदन तैयार किए गए।

उन्होंने कहा कि अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासी भूमि गैर-आदिवासी को बेचना प्रतिबंधित होने के बावजूद यह रकबा बढ़ाकर गैर-आदिवासियों के नाम दर्ज कराने की मंशा से पूरा मामला तैयार किया गया।

170-ख के तहत हस्तांतरण का आरोप

स्थानीय सूत्रों ने कहा है कि बढ़े हुए रकबे को 170-ख के आधार पर कई गैर-आदिवासियों को बेचे जाने की प्रक्रिया चली, जबकि 99 वर्ष के पट्टे का कोई प्रावधान नहीं है। सूत्रों के अनुसार जमीन को टुकड़ों में बांटकर बेचे जाने के कारण लेनदेन करोड़ों तक पहुंचने की बात कही जा रही है।

शासकीय व वनभूमि जुडऩे का भी दावा

स्थानीय स्तर पर कुछ लोगों का कहना है कि आईटीआई प्रतापपुर के आसपास के क्षेत्र में पहाड़ काटकर निर्माण कार्य हुए हैं और इस भूमि में कुछ हिस्से शासकीय एवं संभावित वनभूमि भी जुड़े हुए दिखाई देते हैं।

इन बिंदुओं पर भी जांच की मांग की जा रही है।

कानूनी स्थिति

आवेदक के अनुसार रकबा परिवर्तन, गलत प्रविष्टि, कथित कूट–रचना तथा कथित अवैध खरीद–फरोख्त जैसे मामलों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471 आदि के प्रावधान लागू हो सकते हैं।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इतने बड़े परिवर्तन की जांच आवश्यक है।

उच्च स्तरीय जांच की मांग

आवेदक मनीष गुप्ता ने कहा है कि यह मामला केवल भूमि विवाद नहीं बल्कि एक ‘आदिवासी भूमि घोटाला’ है। उन्होंने कहा है कि यदि 15 दिनों के भीतर आवश्यक कार्रवाई नहीं होती है, तो वह संभागायुक्त या न्यायालय की शरण लेगा।


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