सूरजपुर

सरहरी विद्यालय में बाल दिवस और बिरसा मुंडा जयंती पर सांस्कृतिक कार्यक्रम
16-Nov-2025 6:36 PM
सरहरी विद्यालय में बाल दिवस और बिरसा मुंडा जयंती पर सांस्कृतिक कार्यक्रम

'छत्तीसगढ़Ó संवाददाता
प्रतापपुर,16 नवंबर।
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरहरी में बाल दिवस एवं बिरसा मुंडा जयंती के उपलक्ष्य में संयुक्त रूप से भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शा. उमावि सरहरी, शा. प्राथमिक शाला पोड़ी तथा शा. पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरहरी के विद्यार्थियों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। विद्यालय परिसर पूरे दिन उल्लास, उमंग और सांस्कृतिक विविधता से सराबोर रहा।
कार्यक्रम का शुभारंभ पंडित जवाहरलाल नेहरू एवं धरती आबा बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ। इसके पश्चात कक्षा 11वीं के पंकज कश्यप, मयंक कुशवाहा एवं अभिषेक मिश्रा ने बिरसा मुंडा तथा पं. नेहरू के जीवन, योगदान और आदर्शों पर प्रभावशाली भाषण प्रस्तुत दिया, जिसे दर्शकों ने बड़े ध्यान से सुना।
जनजातीय गौरव पखवाड़ा के अंतर्गत सांस्कृतिक कार्यक्रम के अवसर पर विद्यालय के विद्यार्थियों ने पारंपरिक परिधानों में जनजातीय नृत्य एवं गीत प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। विद्यार्थियों ने पारंपरिक एवं आधुनिक कला की रंगारंग प्रस्तुतियाँ दीं कक्षा 8वीं की छाया एवं साथियों ने 'हमर पारा तुहर पाराÓ गीत पर मनमोहक नृत्य किया। कक्षा 9वीं की सलिता एवं टीम ने 'आदिवासी जंगल कर रखवालाÓ गीत पर आकर्षक प्रस्तुति दी। कुमारी श्रुति एवं साथियों ने 'जेहर रखे तीर कमानÓ गीत पर सजीव नृत्य कर दर्शकों का मन जीता लिया।

वर्षा एवं साथियों ने 'हाथे शंखा चुरीÓ गीत पर सुंदर प्रस्तुति दी। रुक्मणी एवं उनकी टीम ने 'मनमोहक सुआÓ नृत्य करके विशेष उत्साह का संचार किया। इसके अलावा करमा, डोमकच एवं सरगुजिहा नृत्य की पारंपरिक प्रस्तुतियों ने आदिवासी संस्कृति की अनोखी झलक उपस्थित जनों के सामने रखी। इन सभी प्रस्तुतियों को दर्शकों की भरपूर सराहना मिली।
 कार्यक्रम का संचालन राज्यपाल पुरस्कृत व्याख्याता अजय कुमार चतुर्वेदी ने किया। उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए चाचा नेहरू के बाल प्रेम, राष्ट्रनिर्माण में उनकी भूमिका तथा बिरसा मुंडा के संघर्ष, उनके उलगुलान आंदोलन और आदिवासी स्वाभिमान की ऐतिहासिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बिरसा मुंडा के जीवन-वृत्त से शिक्षा लेते हुए आदिवासी लोक संस्कृति, लोक नृत्य, लोकगीत और लोक भाषाओं का संरक्षण करना चाहिए। साथ ही जल, जंगल और जमीन की रक्षा करना भी हमारा दायित्व है। आगामी दिनों में चित्रकला, रंगोली और निबंध प्रतियोगिता सहित आदिवासी लोक संस्कृति पर आधारित नुक्कड़ नाटक एवं झांकियों का प्रदर्शन किया जाएगा।


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