सुकमा

शिक्षा व्यवस्था पर प्रहार के खिलाफ एनएसयूआई लड़ेगी निर्णायक आंदोलन - नामीर अली
31-May-2025 10:49 PM
 शिक्षा व्यवस्था पर प्रहार के खिलाफ एनएसयूआई लड़ेगी निर्णायक आंदोलन - नामीर अली

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

सुकमा, 31 मई। भाजपा सरकार द्वारा लिए गए स्कूल को मर्ज करने के फैसले पर एनएसयूआई प्रदेश सचिव नामीर अली ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने जारी विज्ञप्ति में कहा -सरकार की नीतियों बच्चों, युवाओं और शिक्षकों के भविष्य को अंधकार में धकेल रही है। एनएसयूआई यह स्पष्ट करती है कि शिक्षा के अधिकार, पारदर्शी भर्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण संस्थाओं की रक्षा के लिए हम संघर्ष करेंगे।

नामीर ने कहा -युक्तियुक्तकरण के नाम पर 10000 स्कूल बंद कर शिक्षा के अधिकार पर सीधा हमला कर रही सरकार। सरकार युक्तियुक्तकरण की आड़ में 10000 सरकारी स्कूलों को बंद करने की योजना पर काम कर रही है।

प्रधानमंत्री की मोदी गारंटी में 57000 शिक्षकों की भर्ती का वादा किया गया था। वहीं मोदी की गारंटी को लेकर नामीर ने सरकार से सवाल पूछा- जब स्कूल ही नहीं होंगे, तो शिक्षकों की भर्ती किसकी होगी। यह कदम सरकार ने गरीब, ग्रामीण आदिवासी और पिछड़े वर्ग के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का प्रयास करने के लिए उठाया है।

वहीं एनएसयूआई इसे संविधान के अनुच्छेद 21- ए और आरटीई अधिनियम का घोर उल्लंघन मानती है।

नामीर ने सरकार से पूछा -57000 शिक्षकों की भर्ती को मोदी की गारंटी या सिर्फ 15 लाख का सिर्फ जुमला है ही है पूछा।

सरकार ने चुनाव के वक्त जनता से और युवाओं से बड़े बड़े वादे किए थे।

मगर एक भी वादा आज तक सरकार ने पूरा नहीं किया है। सरकार सिर्फ और सिर्फ युवाओं के साथ विश्वासघात कर रही है।

नामीर ने कहा -कांग्रेस शासन काल में 300 से ज्यादा बंद स्कूलों को खोलने का काम किया था नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों को पढऩे के लिए हर सुविधा उपलब्ध कराने का काम किया था लेकिन साय सरकार ने स्कूलों को मर्ज करने का काम कर रही है यही मामला कोंटा का है जहां 75  वर्ष पुराने मिडिल स्कूल को भी इस नियम के तहत मर्ज किया गया है जहां से कहीं विद्यार्थी शिक्षा हासिल कर अच्छे अच्छे पदों पर  कार्यरत है। और युक्तियुक्तकरण के नियमों में कहा गया है कि ऐतिहासिक स्कूलों को युक्तियुक्तकरण से अलग रखा जाए।

 वहीं एनएसयूआई की सरकार से मांग है कि 57000 पदों पर भर्ती प्रक्रिया तुरंत शुरू करने की मांग की जाए।

यदि सरकार अपने वादों पर खरी नहीं उतरती, तो यह युवाओं के साथ धोखा और विश्वासघात होगा।


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