सुकमा

हाथ-पैर में सूजन से 3 साल में 61 मौतें, प्रशासन से उच्चस्तरीय जांच की मांग
27-Jul-2022 8:45 PM
हाथ-पैर में सूजन से 3 साल में 61 मौतें, प्रशासन से उच्चस्तरीय जांच की मांग

   15 से 30 साल के युवा इस बीमारी का हो रहे शिकार, 6 महीनों में 24 युवाओं ने गंवाई जान   

जिला स्तरीय टीम का गठन कर गांव में भेजा जा रहा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 27 जुलाई।
सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड अंतर्गत भेज्जी थाना अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत रेगडग़ट्टा में पिछले 3 सालों में एक अज्ञात बीमारी से वहां के ग्रामीण जूझ रहे हैं और इस बीमारी से पिछले 3 सालों में अब तक कुल 61 मौतें हो गई हैं।

इन मौतों का आंकड़ा खुद वहां के ग्रामीण दे रहे हैं और ग्रामीणों का कहना है कि वह खुद इस बीमारी के बारे में कुछ नहीं जानते।

बुधवार को लगभग आधा दर्जन ग्रामीण जिनके साथ वहां की मितानिन और वार्ड मेंबर भी कलेक्टर कार्यालय में आवेदन लेकर पहुंचे, हालांकि किसी कारण उनके कलेक्टर से मुलाकात नहीं हो पाई, लेकिन उनके अधीनस्थ अपर कलेक्टर को इन ग्रामीणों ने आवेदन देकर वहां के हालात से रूबरू करवाया और ग्रामीणों ने अपील की है कि जल्द से जल्द वहां जांच टीम पहुंचे स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंचे और इस गंभीर बीमारी की सूक्ष्म जांच हो ताकि वहां अब मौतों के आंकड़े को रोककर लोगों को राहत पहुंचाई जाए ग्रामीणों ने आवेदन में बीमारी से मारे गए ग्रामीणों के नाम की भी जानकारी लिखी है।

 गौरतलब है कि रेगडग़ट्टा पंचायत में मिली इस समस्या से मौत का कारण अब तक स्पष्ट रूप से नहीं पता चल पाया है और यह किस वजह से हो रहा है यह भी ग्रामीणों के लिए जिज्ञासा स्वरूप है फिलहाल ग्रामीण इसे लाइलाज बीमारी बताकर डरे हुए हैं, वहीं अब प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं।

प्रारंभिक तौर पर यह समस्या पैर में सूजन से जुड़ी हुई है, जिससे लिवर और किडनी को किसी कारण से नुकसान होने का अंदेशा लगाया जा रहा है लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लोगों के प्रभावित होने पर पहला अंदेशा हैंड पंप से आने वाले पानी वहां के खानपान पर लगाया जा रहा है।

हालांकि पंचायत सचिव का कहना है कि इस घटना की जानकारी मिलते ही सबसे पहले वहां के पानी की जांच की गई, पर पानी में ऐसी समस्या नहीं दिखी जिससे इन ग्रामीणों को इस तरह का नुकसान हो, वही स्वास्थ्य विभाग ने बीमार मरीजों के खून की जांच भी की थी, जिसमें यूरिक एसिड बढऩे की समस्या सामने आ रही है हालांकि उच्च स्तरीय जांच में ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि आखिर इतने बड़े संख्या में ग्रामीण कैसे प्रभावित हो रहे हैं और आखिर क्यों इनकी मौत हो जा रही है।

 इस मामले पर कोंटा बीएमओ दीपेश चंद्राकर ने बताया कि दोपहर में कलेक्टर से इस विषय में बात हुई थी उन्होंने जिला स्तरीय टीम गठित कर कौन सा टीम के साथ गांव जाने के निर्देश दिए हैं। कल टीम वहां पहुंचेगी, खून की जांच हुई है जिसमें यूरिक एसिड बढऩा पाया गया है, जिसकी वजह से यह समस्या बन रही है। प्रथम दृष्टया वहां के पानी पर संदेह है, लेकिन शुरुआती जांच में सब सामान्य पाया गया। पीएचई की टीम दोबारा वहां के पानी की जांच करेगी और इसके सैंपल आगे भी भेजे जाएंगे, जिससे पूरा मामला स्पष्ट हो पाए।

3 साल में 61 मौत, फिर भी समझ न आई समस्या
सरपंच पति सोढ़ी कोसा से मिली जानकारी के अनुसार रेगडग़ट्टा गांव में कुल 800 लोग हैं, जिसमें  दोरलापारा में इस बीमारी से मौत 2020-2021 हुई, जिसके बाद कई दिनों तक सब सामान्य हो चुका था फिर रेगडग़ट्टा बड़ापारा में इसका प्रकोप 2022 में दिखाने लगा है।

2020 में माडवी मंगड़ू , माडवी पोज्ज़ा माडवी जोगा, माडवी नागा करतम  बीड़ा ,करसम रामा कुरसम कन्ना ,सोढ़ी देशा ,करतम गंगा,मुचकि हूंगा,मडक़म मुत्ति कुरसम लक्ष्मी ,माड़वी नागल, माड़वी  आयते,माडवी हिडमा, माडवी कोसा,पोडिया हूँगी, वहीं 2021 में माड़वी कोसी ,आयते ,कट्टम देवा ,मुचाकी जोगा ,माडवी साबानी ,कुरसम राजू, सोढ़ी रामा, कुरसम डाढ़ा ,मडक़म गंगा,खिना,माडवी गंगा,एर्रे, सोमडु, करतम देवा, माडवी कोसी,रामबती ,हिड़मे, कुरसम रामा, इसके साथ ही 2022 में अब तक माडवी लक्चु माडवी लखमू माडवी हड़मा माडवी आयते माडवी ववांगी ,जोगा,गुड्डी,हिड़मा,हूंगा,करतम हूंगा,मुचाकी बुच्चा, बुधरा, हिड़मा,हड़में,भीमे,पोडियम जोगा,हिड़मे,पानी,बुधरा,मुचाकी देवे,हूंगा,घानी, पोदीया पाण्डु ,पदाम बुधरा यह वह मृतक है जिनकी उम्र 15 से 30 साल के बीच ग्रामीण बता रहे हैं।

इसके अलावा इनमें से 3 लीटर कैसे हैं जिनकी उम्र 40 साल है। इतनी कम उम्र में मौतों से जाहिर तौर पर अब जिले के लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि इससे पहले ऐसी कोई बीमारी से यहां मौतों की जानकारी निकलकर सामने नहीं आई है. ग्रामीणों ने मांग की है कि रेगड़ घटा के युवा युवती और ग्रामीणों की मृत्यु की जांच और उच्च स्तरीय चिकित्सा दल भेजा जाए ताकि बीमार लोगों का इलाज कर उन्हें मरने से बचाया जा सके।

रेगडग़ट्टा के सरपंच सोढ़ी पाली का कहना है कि 2 महीने पहले हमने कोंटा बीएमओ को आवेदन देकर जानकारी दी थी जिसके बाद 4-5 बार टीम आई थी बीमार हुए लोगो का खून सैम्पल जून के महीने में ली गई थी जांच के नामपर मगर अब तक इसके बारे में भी कुछ नही बताया गया है । यहां के हैंडपम्पों के पानी की भी जांच होनी चाहिए इस मामले पर स्वास्थ्य विभाग को गंभीरता दिखाने की जरूरत है ।


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