राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : चेंबर में भी राजनीतिक-गंदगी पहुंची
13-Mar-2021 6:17 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : चेंबर में भी राजनीतिक-गंदगी पहुंची

चेंबर में भी राजनीतिक-गंदगी पहुंची

चेम्बर के चुनाव एक वक्त कारोबारी तबके के भीतर के होते थे, लेकिन अब राजनीतिक दल सुरंग खोद-खोदकर इस चुनाव में घुस चुके हैं, और उसी का नतीजा है कि चुनाव के तौर-तरीके भी पेशेवर राजनीतिक तौर-तरीकों जैसे हो गए हैं।

चेंबर चुनाव के एक पैनल के कारोबारी राजेश वासवानी ने अभी पुलिस रिपोर्ट की है कि भाटापारा के एक व्यापारी गिरधर गोविंद दानी से उनकी दो महीने पहले बात हुई थी। इस बातचीत को उसने रिकॉर्ड किया, और एडिट करके उसे राजेश वासवानी के खिलाफ चारों तरफ फैलाया। किसी की बातचीत को काट-छांटकर उसे किसी बुरी नीयत से फैलाना एक साइबर क्राईम है, और चेंबर चुनाव में साइबर क्राईम की दखल हो चुकी है, अब देखना है कि पुलिस की कार्रवाई पहले हो पाती है, या चुनाव पहले निपट जाता है।

अब यहां दो चीजें तमाम कारोबारियों के लिए सोचने की रह जाती हैं। राजेश वासवानी प्रदेश के एक सबसे बड़े मोबाइल फोन कारोबारी हैं। उन्हें मालूम है कि मोबाइल फोन पर बातचीत रिकॉर्ड करना बहुत आसान और आम बात है। किसी से बात करने के पहले यह मानकर चलना चाहिए कि लोग रिकॉर्ड कर रहे हैं, और रिकॉर्डिंग उनके खिलाफ इस्तेमाल हो सकती है। इस सामान्य समझबूझ का इस्तेमाल सभी लोगों को सभी तरह की बातचीत के लिए करना चाहिए। लेकिन इस मामले में एक नैतिक बात यह उठती है कि अगर कारोबारी आपस में पेशेवर बदमाश नेताओं की तरह एक-दूसरे की बात रिकॉर्ड करने लगे तो व्यापारी तबके का एक-दूसरे से भरोसा ही टूट जाएगा। व्यापारियों के बीच दो नंबर के कारोबार, टैक्स और जीएसटी की चोरी, नगदी रकम के हवाला जैसी बहुत सी बातें आम हैं। अब अगर इन्हें लोग रिकॉर्ड करने लगें तो इन्हें इंकम टैक्स, ईडी, और जीएसटी तो बहुत पसंद करेंगे, लेकिन कारोबार ठप्प हो जाएगा। दूसरी बात कानूनी है कि किसी की बातचीत को काट-छांटकर बदनीयत से इस्तेमाल करना जो कि पहली नजर में ही साइबर क्राईम है, अब देखना है कि यह मामला किस किनारे तक पहुंचता है। फिलहाल टुकड़ा-टुकड़ा बातों से भी चुनावी नुकसान तो हो ही सकता है।

अफसरों से बात न करने के वक्त..

छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में सरकारी अफसरों के बीच किसी काम को न करने, न छूने, उसके बारे में अनुरोध भी न सुनने के दो आम बहाने हैं। एक है, हाऊस में बिजी हूं, और दूसरा है सेशन चल रहा है।

सरकार के बाहर के लोगों को इस भाषा का उतना अंदाज नहीं रहता इसलिए उनकी जानकारी में यह इजाफा करना जरूरी है कि यह हाऊस किसी अफसर का अपना नहीं रहता, बल्कि सीएम हाऊस रहता है। जो कोई इसे सीएम हाऊस कहकर बुलाएं वे जाहिर तौर पर इस हाऊस से अधिक वाकिफ नहीं रहते। जो वाकिफ रहते हैं वे इसे सिर्फ हाऊस कहते हैं। सरकार के भीतर अपने आपकी व्यस्तता साबित करने का सबसे बड़ा पैमाना हाऊस में बिजी रहना, हाऊस जाना, हाऊस में होना, हाऊस का कहा करने में बिजी रहना रहता है। इसके बाद कोई बाहरी व्यक्ति ही अफसर से समय की उम्मीद कर सकते हैं, और ऐसी उम्मीद को झिडक़ी मिलना तो जायज रहेगा ही। दूसरा मामला विधानसभा सत्र का रहता है जिसे सरकारी जुबान में सिर्फ सेशन कहा जाता है। जितने दिन सत्र चलता है, उतने दिन अफसर किसी को भी किसी भी अनुरोध के लिए झिडक़ने के मानो ‘संसदीय’ अधिकार से लैस हो जाते हैं, और सेशन के बीच किसी तरह की अपील का प्रावधान इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में अफसरों के सामने नहीं रहता। अफसरों से मिलने या काम के लिए वक्त की उम्मीद तभी करनी चाहिए जब वे हाऊस में बिजी न हों, और सेशन न चल रहा हो।

यह हमला रमन पर तो नहीं?

कांग्रेस पार्टी ने कल भाजपा के धमतरी जिले के कुरूद विधानसभा के आईटी सेल के सहसंयोजक डोमेन्द्र कुमार साहू के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई है। कांग्रेस द्वारा पुलिस को दिए गए स्क्रीनशॉट के मुताबिक इस भाजपा नेता ने नेहरू, अंबेडकर, मुस्लिम, बौद्ध, इन सबके खिलाफ गंदी बातें लिखीं, और धार्मिक उन्माद और साम्प्रदायिकता पैदा करने वाली बातें लिखीं।

लेकिन डोमेन्द्र कुमार साहू ने अपने ट्विटर पेज पर 2 मार्च की अपनी एक ट्वीट को सबसे ऊपर टैग करके रखा है, मतलब यह कि वह ट्वीट सबसे ऊपर ही दिखते रहेगी। इसमें उन्होंने लिखा है- चिंतनीय, 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह जी ने 17 घंटे पहले ट्वीट किया है, 16 री-ट्वीट, 260 लाईक! जबकि फॉलोअर्स 23 लाख से ऊपर हैं। छत्तीसगढ़ में सब भाजपा नेता और पदाधिकारी ढीले पड़ गए हैं, पुरंदेश्वरीजी कुछ कीजिए।

नेहरू और अंबेडकर के खिलाफ गंदी बातें लिखने से तो भाजपा में कोई कार्रवाई होने से रही, मुस्लिम और बौद्ध के खिलाफ भी लिखने में कोई खतरा नहीं है, लेकिन जब अजय चंद्राकर के कुरूद का कोई भाजपा पदाधिकारी डॉ. रमन सिंह के खिलाफ इस तरह से लिख रहा है तो यह कुछ हैरानी की बात हो सकती है। भाजपा आईटी सेल पदाधिकारी की इस ट्वीट से यह सवाल भी उठता है कि रमन सिंह के 23 लाख फॉलोअर हैं कौन? क्योंकि हिन्दुस्तान के बहुत से नेताओं के तीन चौथाई से अधिक फॉलोअर दुनिया के उन देशों में पाए जा रहे हैं जिनका हिन्दुस्तानी राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, और जहां हिन्दी बोली भी नहीं जाती। अब क्या यह हमला रमन सिंह पर है, या भाजपा के बाकी लोगों पर है, पार्टी के आईटी सेल पर है, या किसी और पर?

फिलहाल हैरानी की बात यह भी है कि हर कुछ मिनटों में ट्वीट या री-ट्वीट करने का वक्त अगर किसी को है, तो उन्हें जिंदगी चलाने के लिए कोई और काम करने का वक्त कब मिलता है।

धान की बिक्री पर कितना नुकसान होगा?

धान के पहले लॉट की बिक्री में ही सरकार को भारी नुकसान हो रहा है। 54 हजार मीट्रिक टन धान को 1525 रुपये क्विंटल की दर पर बेचने की मंत्रिमंडलीय समिति ने मंजूरी दी है। यदि पिछले साल की ही तरह किसानों के लिये वायदा निभाते हुए सरकार 2500 रुपये दाम देती है तो घाटा 950 रुपये हर एक क्विंटल के पीछे होना है। कुल 20 लाख 50 हजार मीट्रिक टन धान बेचना है। यदि इसी दर पर सारा धान बिका तो जाहिर है कई सौ करोड़ रुपये के नुकसान में सरकार रहेगी। लेकिन धान खरीदी के लिये लिया गया कर्ज पूरा चुकाना होगा। जाहिर है, इसका असर प्रदेश के बाकी विकास कार्यों पर दिखाई देगा। सरकार ने इस बार बजट के आकार में कटौती भी की है भले ही इसका कारण महामारी को बताया गया हो। 

खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि केन्द्र सरकार ने 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने का वादा किया था पर उसने बाद में मना कर दिया। अब सिर्फ 24 लाख क्विंटल ही लेने की सहमति दी है। इसलिये धान मजबूरी में बेच रहे हैं।

यह तो सर्वविदित है कि छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में धान की बड़ी भूमिका है। जिस तरह से धान को प्रोत्साहित किया जा रहा है, उससे आने वाले दिनों में इसका उत्पादन कम होने, किसानों का आकर्षण घटने की उम्मीद नहीं है। केन्द्र व राज्य सरकार के बीच भी टकराव हर साल कमोबेश ऐसा ही चलता रहेगा। तो क्या हर साल इसी तरह का नुकसान भी सहा जायेगा?  क्या भविष्य के लिये कोई ऐसी नीति नहीं बननी चाहिये कि किसानों का लाभ भी कम न हो और राजस्व की हानि भी न हो?

फ्री पास चाहिये पर महंगा वाला

शहीद वीरनारायण स्टेडियम में चल रहे रोड सेफ्टी इंटरनेशनल क्रिकेट स्पर्धा में फ्री पास को लेकर बड़ी उदारता बरती गई है। अलग-अलग वर्गों को बारी-बारी फ्री पास दिये जा रहे हैं। सरकारी कर्मचारी, दिव्यांग, महिलाओं, स्कूल कॉलेज के विद्यार्थियों, उपक्रमों के कर्मचारी अधिकारी इसका फायदा ले रहे हैं। अब एक वर्ग ऐसा भी है जिसे फ्री पास मिलने की ज्यादा खुशी नहीं हो रही है। वे कह रहे हैं ये तो पांच-सौ रुपये टिकट वाली गैलरी के हैं। हमें तो उस बॉक्स का पास चाहिये जिसमें खाना पीना सब फ्री है, जिसका टिकट करीब 20 हजार रुपये में बिकता है। अंदाजा लगाइये यह कौन सा वर्ग है?

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