राजपथ - जनपथ
रेणुका सिंह का प्रमोशन या...
केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जल्द ही फेरबदल हो सकता है। प्रेक्षकों का अंदाजा है कि 26 जनवरी के बाद मंत्रिमंडल में नए चेहरों को जगह मिल सकती है। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि छत्तीसगढ़ से रेणुका सिंह की जगह किसी दूसरे सांसद को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। कुछ के तर्क हैं कि रेणुका का परफार्मेंस ठीक नहीं रहा है। इसके चलते उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। मगर रेणुका सिंह के समर्थक निश्चिंत हैं। उनका मानना है कि रेणुका सिंह को मंत्रिमंडल से बाहर निकालना तो दूर, उनका कद बढ़ाया जा सकता है।
रेणुका सिंह के समर्थकों के आत्मविश्वास की वजह प्रधानमंत्री का शुभकामना संदेश है, जो कि रेणुका सिंह के जन्मदिन पर 4 जनवरी को भेजा गया था । शुभकामना संदेश में प्रधानमंत्री ने लिखा है कि मंत्रिमंडल के मेरी अहम सहयोगी के रूप में आप अपने अथक परिश्रम, असीमित ऊर्जा और अटल संकल्पशक्ति से न्यू इंडिया के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। आगे उन्होंने यह भी लिखा है कि मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि देश की समृद्धि के लिए आप जिस समर्पित भाव से अपनी सेवाएं दे रही हैं, वह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है।
स्वाभाविक है कि इस तरह की भाषाशैली किसी हटाए जाने की संभावना वाले मंत्री के लिए नहीं लिखी जाती। प्रधानमंत्री के शुभकामना संदेश की भाषा शैली से रेणुका समर्थकों का आत्मविश्वास बढ़ा है। मगर विरोधी इससे सहमत नहीं है। उन्होंने पत्र की बारीकियों की तरफ इशारा किया, जिसमें एक-दो मात्रा संबंधी त्रुटियां थी। चाहे कुछ भी हो, प्रधानमंत्री के शुभकामना संदेश से रेणुका समर्थकों में खुशी की लहर है।
पार्षद दल नेता नहीं चुन पा रही
भाजपा रायपुर नगर निगम पार्षद दल का नेता नहीं चुन पा रही है। पहले सूर्यकांत राठौर का नाम फाइनल कर दिया गया था, लेकिन बाद में कुछ ने पेंच अड़ा दिया। इसके बाद घोषणा अटक गई। यह तर्क दिया जा रहा है कि मीनल चौबे के पक्ष में ज्यादा पार्षद हैं। ऐसे में उन्हें ही नेता प्रतिपक्ष बनाया जाना चाहिए। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और राजेश मूणत खेमे के बीच चल रही खींचतान के चलते भाजपा सालभर बाद भी पार्षद दल का नेता तय नहीं कर पाई है।
पिछले दिनों मीनल चौबे की अगुवाई में महिला पार्षदों और कुछ नेताओं ने प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी से मुलाकात की थी, और उन्हें अब तक पार्षद दल का नेता नहीं तय होने की जानकारी दी थी। नेता ही तय नहीं है, तो निगम में भाजपा विपक्ष की भूमिका ठीक से निभा नहीं पा रही है। पुरंदेश्वरी ने पार्षदों को भरोसा दिलाया है। संकेत है कि अगले कुछ दिनों में पार्षदों से रायशुमारी कर नेता प्रतिपक्ष का चयन किया जाएगा।
पुलिस को उसी के मंच पर...
नेताओं या जनप्रतिनिधियों को अपने कार्यक्रमों में बुलाने से पुलिस को तौबा कर लेनी चाहिए। अब बालोद का मामला देखिए। यातायात सुरक्षा मास के शुभारंभ अवसर पर पहुंचे पूर्व विधायक भैयाराम सिन्हा ने मंच से आरोप लगाया कि यातायात पुलिस से आम लोग बड़े पैमाने पर परेशान हैं। ये अवैध वसूली में लगे हुए हैं। सिन्हाजी अपने समय में बड़े तेज विधायक थे। उनके खिलाफ पुलिस अधिकारी का कॉलर पकडऩे का केस भी चल चुका है। पुलिस को उगाही के नाम पर उनके ही मंच से सुना देने का ये काम दूसरी बार हुआ है। बिलासपुर में एक थाना भवन के उद्घाटन के समय विधायक शैलेष पांडे ने भी पुलिस पर ऐसा ही आरोप लगाया था। उन्होंने तो थानों में रेट लिस्ट लगाने का सुझाव भी दिया। कांग्रेस विधायक रश्मि सिंह ने भी पुलिस पर उगाही के आरोप लगाए थे। गृहमंत्री ने क्या कार्रवाई की यह किसी की जानकारी में नहीं है। मौजूदा विधायक जब कार्रवाई के इंतजार में हों तो सिन्हा को तो कोई उम्मीद पालने की जरूरत नहीं होगी। पुलिस को भले ही किसी एक्शन की चिंता न हो पर मंच से ऐसी बातें की जाए तो बेचैनी महसूस करते होंगे। बिलासपुर में पुलिस ने ज्यादा समझ दिखाई। किसी नेता को बुलाने की गलती नहीं की। उम्मीद है बाकी जिलों की पुलिस तक भी ये खबर पहुंच जाएगी।
धान खरीदी लक्ष्य पार करेगी?
धान खरीदी को लेकर आ रहे लगातार विपरीत समाचारों के बीच एक जानकारी ये भी है कि इस बार भी लक्ष्य के मुताबिक धान किसानों से ले लिया जाएगा, इसकी पूरी संभावना है। सरकार ने पहले 85 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य रखा था, पर बाद में रकबा की रिपोर्ट मिलने पर इसे बढ़ाकर 90 लाख मीट्रिक टन किया गया। अब जब खरीदी अपने आखिरी दौर में आ चुकी है अब तक लगभग 72 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है। बस वे किसान बचे दिनों में अपनी बारी के लिए आपाधापी में फंस सकते हैं। अंतिम दिनों में दूसरे राज्यों का धान खपाने की कोशिश बढ़ जाती है, साथ ही आढ़तिए भी सोसाइटी में सेटिंग कर बहती गंगा में हाथ धोना चाहते हैं।
एक रिटायर्ड आला अफसर, और खानदानी किसान का कहना है कि इस बार माहो की मार बहुत रही, और फसल बहुत कम हुई है। लेकिन सरकारी आंकड़ों में फसल इसलिए ज्यादा दिखाई जाती है कि चारों तरफ के राज्यों से यहां धान लाया जाता है, और इस तस्करी से सबको कुछ न कुछ मिल जाता है। इसलिए सरकार कम फसल की बात मंजूर नहीं करती है, और असली फसल से अधिक की खरीदी हो जाती है। कई बरस पहले जब छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार को दिल्ली में धान उत्पादन में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी का केन्द्र सरकार का पुरस्कार मिला था, और दिल्ली के मंच पर उस वक्त के केन्द्रीय राज्यमंत्री चरणदास महंत भी थे, तब भी यह बात दबी जुबान में हो रही थी कि पड़ोसी राज्यों के धान की तस्करी की मेहरबानी से छत्तीसगढ़ को यह पुरस्कार मिल रहा है।