राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : नतीजे भाजपा के खिलाफ आते हैं तो?
03-Nov-2020 5:59 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : नतीजे भाजपा के खिलाफ आते हैं तो?

नतीजे भाजपा के खिलाफ आते हैं तो?

पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने उपचुनाव को लेकर भविष्यवाणी की, कि मरवाही की जनता ने दिवंगत अजीत जोगी के अपमान का बदला लेने का निर्णय ले लिया है। अब चुनाव नतीजे भाजपा के खिलाफ आते हैं, तो माना जाएगा कि जनता ने अपमान का बदला नहीं लिया। बृजमोहन मरवाही में आखिरी के तीन दिनों में पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार के लिए गए थे। वे अजय चंद्राकर के साथ मरवाही से करीब 30 किलोमीटर दूर एक रिसोर्ट में ठहरे थे। दोपहर प्रचार के लिए निकल जाते थे, दो-तीन सभा लेने के बाद वापस रिसोर्ट आ जाते थे। वहां कुछ कांग्रेस के लोग भी ठहरे थे, जिनसे खुशनुमा माहौल में अच्छी चर्चा भी हो जाती थी। कोरोना संक्रमण के कारण बृजमोहन और अन्य नेता घर से बाहर नहीं निकल पाए थे, लेकिन उपचुनाव में प्रचार के बहाने अच्छीखासी आउटिंग भी हो गई।

बड़ा घोटाला रुका

पीएचई के जल मिशन के टेंडर निरस्त होने से एक बड़ा घोटाला रूक गया। सुनते हैं कि प्रभावशाली लोगों ने अफसरों के जरिए अपनी पसंदीदा कंपनियों को करोड़ों का काम दिला दिया था। कांग्रेस संगठन के एक बड़े नेता ने तो अपने मुंहबोले नाती को भी 10 करोड़ का काम दिलाया था। ठेका निरस्त हो गया तो मुंहबोले नाती की भारी भरकम कमाई करने की इच्छा धरी की धरी रह गई। चर्चा है कि कुछ लोगों ने एडवांस भी अफसरों को दे दिया था, जिसे लौटाने के लिए अफसरों पर काफी दबाव है।

उम्मीद जीएसटी बकाया मिलने की

जीएसटी कलेक्शन का नवीनतम आंकड़ा आया है जिसमें छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश पहले नम्बर पर हैं। अक्टूबर माह में पिछले साल के इसी माह के मुकाबले 26 प्रतिशत अधिक कलेक्शन हुआ है। सितम्बर माह में भी अच्छी स्थिति रही तब कलेक्शन 31 प्रतिशत अधिक रहा। केन्द्र के लिये आंकड़ा इसलिये महत्वपूर्ण है कि पहली बार किसी महीने में जीएसटी संग्रहण एक लाख करोड़ रुपये से अधिक (1.05155 लाख) पहुंच गया। छत्तीसगढ़ सहित अनेक राज्यों का केन्द्र पर बकाया चढ़ा हुआ है। जीएसटी कानून के मुताबिक राज्यों के कर संग्रह में कमी आने पर केन्द्र को आने वाले कई वर्षों तक भरपाई करनी है। अगस्त माह में यह बकाया 2800 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। अब और बढ़ गया होगा। बीते 5 अक्टूबर को जीएसटी कौंसिल की बैठक में यह मुद्दा उठाया गया तो केन्द्रीय वित्त मंत्री ने राज्यों को कर्ज लेने की सलाह दी थी। यह भी कहा था कि कम ब्याज दर पर कर्ज लेने में केन्द्र सरकार मदद करेगी। छत्तीससगढ़ सहित अनेक राज्यों ने ऐसा करने से मना कर दिया। छत्तीसगढ़ सरकार तो अनेक लोक लुभावन वायदों को पूरा करने के लिये बार-बार कर्ज ले तो रही है लेकिन इस मामले में हड़बड़ी नहीं दिखाकर ठीक ही किया। कोरोना का भय जितना कम होता जा रहा है, व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ती जा रही है। इसलिये उम्मीद की जा सकती है कि कलेक्शन की रफ्तार बनी रहेगी। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य उम्मीद भी कर सकते हैं कि उन्हें केन्द्र से बकाया राशि जल्द मिल सकेगी।

अब तो शुरू करें सरकारी कॉलेज

कोरोना के चलते निजी और सरकारी सभी तरह के कॉलेजों में पढ़ाई लम्बे समय तक बंद रही। पर, निजी विश्वविद्यालयों ने मौके की नजाकत देखकर ऑनलाइन कक्षायें शुरू कर दीं। करीब-करीब सभी निजी विश्वविद्यालय अगस्त महीने से ही ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं। इसके पहले स्टाफ को क्लास लेने के लिये ऑनलाइन प्रशिक्षण भी दिया गया। वे यह उम्मीद भी कर रहे हैं कि फरवरी मार्च आते-आते कोरोना संक्रमण की स्थिति सुधर जाये कि प्रायोगिक परीक्षाएं भी फिजिकल उपस्थिति के साथ शुरू हो। दूसरी ओर सरकारी कॉलेजों की चाल बिल्कुल सरकारी है। एक माह पहले से ही तय हो चुका है कि ऑनलाइन कक्षाओं के लिये तैयारी की जायेगी जो नहीं हुआ। उच्च शिक्षा विभाग अब तक नया सिलेबस जारी नहीं कर पाया है। कोरोना काल में कक्षाओं को हुए नुकसान को देखते हुए पाठ्यक्रम में कुछ कटौती करनी थी लेकिन यह भी नहीं हो पाया। सत्र का आधे से ज्यादा हिस्सा बिना अध्यापन के ही गुजर चुका है। कोरोना के चलते महाविद्यालयों में प्रवेश की स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिये बार-बार एडमिशन की आखिरी तारीख बढ़ाई जाती रही। निजी विश्वविद्यालयों में एडमिशन को लेकर काफी उदारता बरती जाती है। बीच सत्र में भी प्रवेश मिल सकता है। पर इसके कारण उन्होंने ऑनलाइन क्लासेस रोककर नहीं रखा। सरकारी कॉलेजों में इसी बहाने से क्लासेस रोककर रखे गये। अब बचे हुए दो तीन माह में कैसे सालभर की पढ़ाई पूरी की जायेगी, रिजल्ट कैसा होगा, क्या यह साल बेकार चला जायेगा? सवाल बना हुआ है। हालांकि सोमवार से कुछ कॉलेजों ने उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशों का इंतजार किये बिना पढ़ाई शुरू कर दी है, पर अधिकांश तो अब तक क्लास नहीं ले रहे हैं।

बगावत के बाद भी निष्कासन नहीं...

जिन दो विधायकों देवव्रत सिंह और प्रमोद शर्मा ने कांग्रेस को खुला समर्थन दिया है छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने उन्हें इस्तीफा देकर फिर चुनाव लडऩे की सलाह दी है। जवाब में इन विधायकों ने कहा है कि अमित ने भी कांग्रेस से निकाले जाने के बाद इस्तीफा नहीं दिया और पूरे कार्यकाल तक पार्टी में बने रहे। अब जब पार्टी के फैसले के खिलाफ जाकर दोनों विधायकों ने खुली बगावत कर दी है तो निष्कासन जैसी कार्रवाई तो बनती है। पर, इससे तो उनकी विधायकी बची रह जायेगी, उल्टे पार्टी को मिले कुछ वोटों का प्रतिशत गिर जायेगा। जानकार बताते हैं कि इससे पार्टी को मिले क्षेत्रीय पार्टी के दर्जे पर भी असर भी पड़ेगा। बहरहाल, चुनाव परिणाम के बाद तो कई उलटफेर देखने को मिलेंगे। आज मरवाही में मतदान है, फैसला भी 10 को आ जायेगा, प्रतीक्षा करनी होगी।

खुदकुशी से बचने के बाद की लड़ाई

फिंगेश्वर के पास तरीघाट के एक किसान ने कुछ माह पहले आत्महत्या की कोशिश की, पर समय रहते उसे बचा लिया गया। इसके बावजूद उसकी वह समस्या हल नहीं हुई, जिसकी वजह से उसने जान देने की कोशिश की थी। दरअसल गांव में गौठान बनाने लिये पंचायत ने तहसीलदार की मौजूदगी में उसकी खड़ी फसल मवेशियों के हवाले कर दी। जान खतरे में डालने के बाद भी न तो अधिकारियों ने उसकी सुनी न प्रशासन ने। दूसरी बार पीडि़त किसान घासीराम नागर्ची ने आत्महत्या का रास्ता नहीं चुना, बल्कि साहस जुटाकर अपनी लड़ाई हाईकोर्ट ले गया। अब ख़बर है कि हाईकोर्ट ने उसके हक में फैसला दिया है। गौठान कहीं और बनेगा और किसान जमीन पर काबिज रहकर खेती-बाड़ी करता रहेगा। यह घटना इस मायने में खास है कि जब भी किसी महत्वाकांक्षी योजना को पूरा करने का दबाव नीचे के अधिकारियों पर पड़ता है वे नियम कायदों को ताक में धर देते हैं। वे यह भूल जाते हैं कि आम लोगों की सहूलियत बनी रहे। शासन का आदेश है, कहकर कई गलतियां करते हैं, पसीजते नहीं। हो सकता है कोर्ट के इस आदेश का उन पर कुछ असर पड़े। दूसरा, सिस्टम प्रताडि़त करे, शासन की सुविधायें न मिलें, भूखों मरने की नौबत भी आये, तब भी इंसाफ के और दरवाजे तो खुले रहते ही हैं। हर किसी को हाईकोर्ट जाना ही पड़े यह भी जरूरी नहीं। किसान घासीराम अब महसूस कर रहा होगा कि आत्महत्या की कोशिश गलत थी।

कोरोना टीका लगवाने के लिये...

कोरोना की वैक्सीन फरवरी 2021 तक आने की उम्मीद है। इसके लिये प्रदेशभर में कोल्ड स्टोरेज भी तैयार किये जा रहे हैं। केन्द्र सरकार का निर्देश है कि पहले डॉक्टरों, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और निजी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों और स्टाफ को यह टीका लगाया जाये। जाहिर है टीके का सभी को बेसब्री से इंतजार है। हर कोई चाहता है कि वैक्सीन आते ही लगवा लें और कोरोना के खतरे से निश्चिन्त हो जायें। ऐसी स्थिति में फर्जीवाड़े की आशंका तो बनी हुई है। सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, कार्यकर्ताओं की तो पूरी सूची अपडेट है पर निजी अस्पतालों की सूची देखकर स्वास्थ्य विभाग का माथा ठनका है। अकेले बिलासपुर जिले में निजी अस्पतालों की ओर से 22 हजार कर्मचारियों की सूची स्वास्थ्य विभाग को सौंपी गई है। यह एक बड़ी संख्या है, जिस पर अधिकारियों को यकीन नहीं हो रहा। ऐसा लगता है कि कई अस्पतालों ने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर बता दी है, ताकि इन्हें ज्यादा मात्रा में वैक्सीन मिल सके। स्वास्थ्य विभाग सूची की क्रास चेंकिंग करने जा रहा है। वैसे, वैक्सीन जिन्हें दी जायेगी उन पर निगरानी भी रखी जानी है। उनका नाम, पता परिचय पत्र सब दर्ज किया जायेगा। ऐसी स्थिति में गड़बड़ी किस रास्ते से होगी, देखना पड़ेगा।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news