राजपथ - जनपथ
मौत एक और आदिवासी लडक़ी की...
छत्तीसगढ़ के सरगुजा और बस्तर संभाग की कई गंभीर ख़बरें राजधानी तक पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ देती है। सुर्खियों में महिला सुरक्षा, दलित अत्याचार पर सेमिनार, सरकारी बैठकें और सख्त निर्देश होती हैं। कहा जा रहा है कि फरसगांव में एक आदिवासी बालिका का एक पुलिस कर्मी शारीरिक शोषण करता रहा। गर्भवती हुई तो उसे दुत्कार दिया। सामाजिक उलाहना के डर से बालिका घर छोडक़र शिशु के साथ निकल गई और संदिग्ध परिस्थितियों में उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आत्महत्या की बात सामने आई। मौत के बाद उस कथित पुलिस वाले के खिलाफ शिकायत हुई। कार्रवाई क्या हुई? उसे बस निलम्बित कर दिया गया है। दुष्कर्म के आरोप में न एफआईआर न कोई गिरफ्तारी। सरगुजा संभाग और बस्तर की कुछ घटनायें सामने आने पर राज्यपाल ने भी पुलिस के रवैये पर तेवर तीखे किये थे। पर दिखता यही है कि जब तक प्रशासन का दबाव न हो, पुलिस अपने विभाग के लोगों को बचाने की कोशिश करती है। केसकाल के पूर्व विधायक कृष्ण कुमार ध्रुव ने इस सवाल को बाल संरक्षण आयोग और उच्चाधिकारियों के सामने रखा है, देखें उनकी शिकायत को गंभीरता से लिया जाता है या नहीं।
मुख्यमंत्री ने पुलिस को महिला प्रताडऩा पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश तो दे दिए हैं, लेकिन वे पहले पुलिस विभाग के भीतर सेक्स शोषण के मामलों को तो देख लें जो बरसों से पड़े हैं !
मां तो बस मां होती है....
मरवाही विधानसभा उप-चुनाव के लिये नामांकन दाखिले के दिन जिला मुख्यालय के सामने भारी गहमागहमी थी। काफी उलझन और तनाव भरे माहौल में जोगी परिवार भी इसी परिसर में मौजूद था। अमित जोगी और ऋ चा जोगी साथ खड़े थे, एक खबरनवीस ने ऋ चा जोगी से कहा, पिछला चुनाव (अकलतरा) बस दो हजार से हार गईं लेकिन इस बार तो आपको विधानसभा में पहुंचने का पूरा मौका है। खबरनवीस को लगा कि अपनी तारीफ सुनकर ऋ चा जोगी खुश होंगी, लेकिन उन्होंने कहा- नहीं, मैं तो सोच रही हूं कि अगर किसी कारण से मुझे चुनाव में निकलना पड़ेगा तो सब कैसे मैनेज होगा। अभी मेरा बेटा बहुत छोटा है, मैं तो चाहती हूं पूरे समय उसे अपनी आंखों के सामने रखूं। मुझे तो परिस्थितियों के चलते सामने आना पड़ा है, अभी तो ऐसी कोई इच्छा थी नहीं।
कोरोना का रोल मॉडल अस्पताल
एम्स, मेडिकल और सरकारी कोविड अस्पतालों में कोई शक नहीं डॉक्टर और स्टाफ अपनी पूरी क्षमता से कोरोना संक्रमितों का बेहतर इलाज की कोशिश कर रहे हैं। इन सबके बीच अलग तरह का काम कर रहा रहा है केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल भरनी के अस्पताल में तैनात युवा डॉक्टर। तीन डॉक्टरों डॉ. रमेश यादव, डॉ. एस के जैन और डॉ. सुरेन्द्र सानगोड़े की टीम ने अब तक 150 कोरोना मरीजों का इलाज किया। यहां किसी की मौत नहीं हुई। मरीजों में न केवल सुरक्षा बल व पुलिस के जवान हैं बल्कि आम लोगों के बीच से हैं। ये मरीज सिर्फ सीआरपीएफ कैंप के नहीं बल्कि बस्तर, रायपुर से भी आये हैं। जब बिस्तर खाली हो तो बाहरी मरीजों को भी भर्ती किया जाता है। इन डॉक्टरों का दावा है कि कोरोना संक्रमण का असर चेस्ट पर कैसा है इसी से बीमारी की गंभीरता को वे भांप लेते हैं। मरीज के छाती का प्रतिदिन तय समय पर एक्स रे लिया जाता है फिर उसकी स्टडी कर उनके लिये उपचार तय किया जाता है। इन डॉक्टरों का यह भी कहना है कि कोरोना का इलाज महंगा नहीं है बस सावधानी और ऑब्जर्वेशन जरूरी है। यह संयोग ही है कि इसी भरनी से थोड़ा आगे जाने पर गनियारी गांव मिलता है जहां स्थापित जन सहयोग केन्द्र के डॉक्टरों का किफायती इलाज पूरे देश में चर्चित है।