राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मंत्रालय खतरे में
17-Sep-2020 6:01 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मंत्रालय खतरे में

मंत्रालय खतरे में

कोरोना से बचने के लिए अफसर अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं। कृषि सचिव एम गीता के पास फाइल भी अब सैनिटाइज होकर पहुंचती है। सबसे ज्यादा कृषि विभाग के अफसर-कर्मी ही कोरोना की चपेट में आए हैं।

पिछले दिनों मंत्रालय के ही एक विभाग में दो कर्मचारियों के पाजिटिव आने पर बाकी कर्मचारी अवकाश पर जाना चाहते थे, लेकिन विभागीय सचिव इसके लिए तैयार नहीं हुई, तब कर्मचारियों ने एक राय होकर सचिव तक खबर भिजवाई, कि सभी कोरोना पाजिटिव कर्मचारी के संपर्क में रहे हैं। ऐसे में उन्हें क्वॉरंटीन रहना होगा। इस तर्क का कोई काट नहीं था। लिहाजा, सचिव को अनुमति देनी पड़ी।

बाकी राज्यों को रास्ता दिखाया

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत की दूरदर्शिता ही थी कि कोरोना संक्रमण काल में चार दिन का सत्र ठीक-ठाक निपट गया। विधानसभा की टीम ने सत्र शुरू होने से पहले कोरोना फैलाव रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए थे। इससे परे मध्यप्रदेश विधानसभा के एक दिन के सत्र में ही सरकार को पसीने छूट गए। 26 विधायक पॉजिटिव निकले, प्रश्नकाल नहीं हो सका। किसी तरह बजट प्रस्ताव को मंजूरी देकर सत्र का अवसान हो गया। छत्तीसगढ़ में भी एक विधायक पॉजिटिव पाया गया, लेकिन तब तक सत्र खत्म हो चुका था। संक्रमण भी नहीं फैला। छत्तीसगढ़ विधानसभा की तर्ज पर ही लोकसभा और राज्यसभा में सिटिंग अरेजमेंट बदला गया है और कांच की दीवार बनाई गई। कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ विधानसभा ने कोरोना काल में सदन की कार्रवाई को लेकर बाकी राज्यों को रास्ता दिखाया।

कोरोना हराकर अफसर-नेता ऐसे मिले...

काढ़ा पीते हुए यह तस्वीर इसलिये खिंचवाई जा रही है ताकि लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक रहें और कोरोना वायरस का हमला हो तो मुकाबला कर सकें। काढ़ा पीने वाले जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को देखिये और पीछे खड़ी स्व-सहायता समूह की सदस्यों को भी। सब महामारी से बचने को लेकर निश्चिंत दिखाई दे रहे हैं। इनमें बिलासपुर कलेक्टर हैं, विधायक हैं, नगर निगम के सभापति हैं कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। सब के सब कोरोना से संक्रमित होकर और स्वस्थ होने के बाद दुबारा जन सेवा के लिये मैदान में उतरे हैं। वे यह जता रहे हैं कि लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील तो वे करते रहेंगे पर उनके सिर पर जिम्मेदारियों का इतना ज्यादा बोझ है कि वे इस नियम को नहीं मान सकते। अब वे दलील दे सकते हैं कि कैमरे का फ्रेम इतना बड़ा होता नहीं कि दो गज की दूरी रखते हुए सबकी फोटो एक साथ ली जा सके। वैसे नियमानुसार 100-100 रुपये जुर्माना सब पर बनता है।

छपाई ठेके के चक्कर में जान जोखिम में...

छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े, और सबसे पुराने पं. रविशंकर विश्वविद्यालय ने कॉलेजों की परीक्षाओं के लिए टाइम टेबल और गाइड लाइन की घोषणा कर दी है, लेकिन ऑनलाइन परीक्षा के नाम पर ऐसा रायता फैला है कि अच्छे-अच्छे सर खुजलाने लग गए हैं।  ऑनलाइन का मतलब तो सभी यही जानते हैं कि कम्प्यूटर या मोबाइल के जरिए परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। घर बैठे परीक्षार्थियों को परचा मिल जाएगा और निर्धारित समय में जवाब लिखकर बैठे-बैठे एक क्लिक के जरिए सेंटर या विवि में उत्तरपुस्तिका जमा हो जाएगी, लेकिन रविवि के कर्ता-धर्ताओं के लिए ऑनलाइन परीक्षा का मतलब ही अलग है। तभी तो उन्होंने अधिसूचना में कहा है कि उत्तरपुस्तिका लेने परीक्षार्थियों को पहले सेंटर जाना होगा फिर उसके बाद परीक्षा के प्रत्येक दिन उसे जमा करने सेंटर जाना होगा। पालक और बच्चे इसीलिए ही सर खुजा रहे हैं कि आखिर ये किस तरह का ऑनलाइन एग्जाम है, जिसमें रोजाना सेंटर जाना पड़ेगा। कोरोना संक्रमण के कारण घर बैठे-बैठे परीक्षा देने का नियम बनाया गया है, तो सशरीर जाने का कोई तुक समझ नहीं आता। परीक्षार्थी एक साथ सेंटर जाएंगे तो स्वाभाविक ही वहां भीड़ जुटेगी। इतना ही कई परीक्षार्थी तो गांव या दूर-दराज के इलाके में रहते हैं, तो उनको एक घंटे के भीतर सेंटर पहुंचना पड़ेगा। संभव है कि परीक्षार्थी का परिजन कोरोना संकमित हुआ हो, उसका निवास कंटेंटमेंट जोन में आता हो, तो कैसे उनको सेंटर बुलाकर खतरा मोल लिया जा सकता है।

कई कॉलेजों में परीक्षार्थियों की संख्या हजारों में है और कई कॉलेज के स्टाफ के लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं। ऐसे में इस तरह के नियम समझ से परे हैं। जबकि राज्य के दूसरे विवि मसलन दुर्ग और बिलासपुर विवि में ऑनलाइन उत्तरपुस्तिका जमा करने व स्पीड पोस्ट से भेजने का नियम बनाया गया है। इस नियम से पालक और कॉलेज प्रबंधन सहमत हैं और किसी तरह संक्रमण की आशंका भी नहीं है।

बताया जा रहा है कि विवि प्रबंधन ने ओएमआर वाली ऑसरशीट पहले ही छपवा ली थी लिहाजा उनका उपयोग करने के लिए उत्तरपुस्तिका प्राप्त करने और जमा करने के नियम बनाए गए है ताकि वो बेकार न हो जाए। ये भी दलील दी जा रही है कि ओएमआर शीट से मूल्यांकन करने के लिए पूरा सिस्टम कम्प्यूटराइज्ड है। सर खुजाने वाले परीक्षार्थी और पालक अब सर खुजाना बंद करें क्योंकि मामला छपाई ठेके का है, जिसकी वजह से ऐसे नियम बनाए गए हैं। भले ही ऐसा करने से संक्रमण का खतरा हो। हालांकि इस पर राजभवन में आपत्ति दर्ज कराई गई। संभव है कि नियमों में कुछ बदलाव हो। अगर राहत मिलती है तो ठीक, लेकिन नहीं मिलती है तो परीक्षार्थी और पालक इस बात के लिए दिमाग दौड़ाएं कि उत्तरपुस्तिका जमा करने का सुरक्षित तरीका क्या हो सकता है।

साहब की सावधानी

कोरोना से बचाव के लिए मास्क और सेनेटाइजर के उपयोग के बारे में अधिकांश लोग वाकिफ हैं और बाहर आते-जाते समय इसका उपयोग भी करते हैं, लेकिन सूबे के एक आईएएस कोरोना को लेकर कुछ ज्यादा ही सतर्क नजर आ रहे हैं। वे मास्क, सेनेटाइजर के साथ फेस शील्ड और मेडिकल ग्लोब्स का भी उपयोग करते हैं। वो कहते हैं ना कि सावधानी घटी कि दुर्घटना घटी। शायद उन पर इस स्लोगन का कुछ ज्यादा ही प्रभाव पड़ा है, तभी तो सावधानी बरतने में साहब कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हालांकि ऐसा करने में कोई बुराई भी नहीं है। कोरोना काल में सावधानी को ही बचाव का सबसे बड़ा उपाय माना गया है, लेकिन ये साहब तो सीएम हाउस की बैठकों में भी मेडिकल ग्लब्स पहनकर ही आते-जाते हैं, जबकि वहां सोशल डिस्टेसिंग के साथ तमाम गाइड लाइन का पालन किया जाता है। ऐसे में मंत्रालय के मातहत कर्मचारियों-अधिकारियों का कहना है कि राजधानी रायपुर में जिस तरह से संक्रमण खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है, उसको देखकर लगता है कि साहब आने वाले दिनों में सीएम की बैठकों में भी पीपीई किट में नजर आएंगे।

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