राजपथ - जनपथ
कोरोना से अधिक जांच से डर...
छत्तीसगढ़ में कोरोना तेजी से फैल रहा है, लेकिन कोरोना टेस्ट कराने से विधायक ना-नुकुर कर रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने 23 तारीख को विधानसभा में सभी विधायकों का कोरोना टेस्ट कराने की व्यवस्था की थी। मगर अब यह स्थगित कर दिया गया है। वजह यह है कि ज्यादातर विधायक कोरोना टेस्ट कराने से मना कर रहे हैं।
यही नहीं, सभी विधानसभा अधिकारी-कर्मचारियों को भी कोरोना टेस्ट कराने की व्यवस्था की गई थी। मगर 12 अधिकारी-कर्मचारियों ने ही इसमें रूचि दिखाई। आखिरकार कोरोना टेस्ट कराने का फैसला ही टाल दिया गया। खास बात यह है कि नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, दलेश्वर साहू और शिवरतन शर्मा कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। कौशिक और दलेश्वर तो ठीक हो चुके हैं, लेकिन शिवरतन अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं।
बृजमोहन अग्रवाल के बेटे और स्टॉफ के कुछ लोगों को कोरोना हो गया था, लेकिन बृजमोहन की रिपोर्ट निगेटिव आई है। अजय चंद्राकर का गार्ड भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। कुल मिलाकर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत चाहते हैं कि जो विधायक कोरोना पीडि़त रहे हैं अथवा जिनके परिवार के लोग संक्रमित हैं। वे सदन की कार्रवाई में हिस्सा न लें। ऐसा अनौपचारिक चर्चा में संदेश भेजा गया है। मगर विधायक कितनी गंभीरता से लेते हैं, यह देखना है।
बेनामी की तेज तलाश
केन्द्र सरकार ने आयकर विभाग के नियमों में फेरबदल करके कुछ दफ्तरों के अधिकार सीमित किए हैं, तो कुछ दफ्तरों के अधिकार बढ़ा भी दिए हैं। अब आयकर का एक अमला लोगों की बेनामी संपत्ति की तलाश में लगा हुआ है क्योंकि प्रधानमंत्री ने अपने पिछले कुछ भाषणों में ऐसी कार्रवाई की बात कही थी। सबसे बड़ी बेनामी संपत्ति जमीन-जायदाद की शक्ल में रहती है, और एक बार यह किसी नाम पर चढ़ जाती है तो वह नाम तो सरकारी रिकॉर्ड से खत्म होता नहीं है। ऐसे में आने वाले दिन दो-नंबरी से लेकर दस-नंबरी लोगों तक के लिए परेशानी के रहने वाले हैं। केन्द्र और राज्य के हर विभाग का किसी भी किस्म का टारगेट इस बरस किसी किनारे नहीं पहुंच रहा है, केन्द्र सरकार के पास राज्यों को जीएसटी का हिस्सा देने के लिए भी पैसे नहीं है, इसलिए हर विभाग जहां से हो सके वहां से टैक्स और जुर्माना वसूली करने वाले हैं। आयकर विभाग बेनामी संपत्ति की खबर मिलने पर, और उसके बेनामी साबित हो जाने पर 15 फीसदी ईनाम भी देता है, और दो-नंबरी लोगों के यहां बरसों से नौकरी कर रहे छोटी-छोटी तनख्वाह और बड़ी-बड़ी जानकारी वाले लोगों को भी यह आकर्षित कर सकता है। एक बार इंकम टैक्स के मददगार हो गए, तो फिर मालिक कितने ही दबंग और रंगदार क्यों न हों, वे खबरिया कर्मचारी का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते।