राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : केंद्र ने छत्तीसगढ़ से मांगा न्याय !
06-Jun-2020 6:31 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : केंद्र ने छत्तीसगढ़ से मांगा न्याय !

केंद्र ने छत्तीसगढ़ से मांगा न्याय !

भाजपा भले ही सरकार की राजीव गांधी न्याय योजना की आलोचना कर रही है, और यह बताने की कोशिश में लगी है कि किसानों को कोई खास फायदा नहीं हो रहा है। मगर केन्द्र की भाजपा की नेतृत्व वाली सरकार की सोच ठीक इसके उलट है। तभी तो केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने राज्य सरकार से योजना का पूरा ड्राफ्ट मांगा है। राज्य ने योजना से जुड़ी सारी जानकारियां भेज भी दी है।

कोरोना संक्रमण के बीच आर्थिक संकट झेल रही प्रदेश की सरकार ने राजीव गांधी न्याय योजना के जरिए किसानों को आर्थिक मदद पहुंचाई है। इसका व्यापक असर हुआ है। इस योजना के शुरू होने से किसान आर्थिक रूप से मजबूत हुए हैं। इससे प्रदेश में व्यापार को फायदे की उम्मीद है। जानकारों का मानना है कि जिस तरह केन्द्र सरकार न्याय योजना में दिलचस्पी दिखा रही है, उससे ऐसा लग रहा है कि केन्द्र भी आने वाले समय में किसानों को राहत पहुंचाने के लिए कोई नई योजना शुरू कर सकता है। फिलहाल तो जिस तरह न्याय योजना प्रदेश के बाहर भी सराहा जा रहा है, उससे राज्य सरकार के लोग खुश हैं।

मीडिया अब बद्दुआ का सामान

दिल्ली में कल विख्यात और वरिष्ठ पत्रकार, विनोद दुआ के खिलाफ भाजपा के लोगों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज किया गया है। उनके अलावा आकार पटेल नामक सामाजिक कार्यकर्ता के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई है जो कि मानव अधिकार के लिए काम करने वाली संस्था एम्नेस्टी इंटरनेशनल के अध्यक्ष रह चुके हैं। विनोद दुआ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करने को सार्वजनिक रूप से गड़बड़ी फैलाना बताते हुए शिकायत की गई थी, और एफआईआर में कहा गया है कि दुआ ने गलत मंशा से झूठी खबर फैलाकर देश में शांति भंग करने की कोशिश की है। उसके पहले एक दूसरे वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ उत्तरप्रदेश पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की थी, और उन्हें पेश होने का समन भेजा था।

आज की ही एक दूसरी खबर बताती है कि देश में किस-किस अखबार और मीडिया संस्थान ने कितने लोगों को नौकरी से निकाला है, और कितनों ने तनख्वाह घटा दी है।

इन दोनों बातों को देखें तो समझ आता है कि आने वाले वक्त में अगर किसी पेशे में जाने की सबसे कम मांग रहेगी, तो वह अखबारनवीसी और बाकी मीडिया में। जिस धंधे में झूठी शिकायतों पर कोर्ट-कचहरी का खतरा हो, और नौकरी का कोई ठिकाना न हो, तनख्वाह का कोई ठिकाना न हो, उस धंधे में कोई जाना क्यों चाहेंगे? अब तो ऐसा लगता है कि जब कोई किसी को बद्दुआ देना चाहेंगे, तो कहेंगे कि जा तेरी औलाद मीडिया में जाकर भूखी मरे, और जेल जाए!

मीडिया से पोर्टल की ओर

कोरोना संक्रमण के चलते भारी आर्थिक मंदी के चलते मीडिया घरानों ने बड़े पैमाने पर रिपोर्टरों की छंटनी करना शुरू कर दिया है। हालांकि सरकारी स्तर पर ऐसा नहीं करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से पहल भी की गई थी। अब चूंकि छंटनी का क्रम शुरू हो चुका है, तो वेब पोर्टल की बाढ़ आ गई है। कई रिपोर्टर वेब पोर्टल से जुड़ गए हैं।

सुनते हैं कि तकरीबन तीन सौ से अधिक नए न्यूज पोर्टल ने विज्ञापन देने के लिए जनसंपर्क विभाग में आवेदन किया है। हालांकि न्यूज पोर्टल को विज्ञापन देने के लिए सरकार की नीति बहुत ही स्पष्ट है। मगर नए पोर्टल को विज्ञापन देने के लिए काफी दबाव भी है। सत्ता पक्ष के ज्यादातर विधायक और सरकार के प्रभावशाली मंत्रियों ने  नीति में संशोधन कर नए न्यूज पोर्टल को विज्ञापन देने के लिए सिफारिश भी की है। देखना है कि विभाग नीति में कोई परिवर्तन करता है अथवा नहीं।

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