राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : रेणुका सिंह का क्या होगा?
03-Feb-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : रेणुका सिंह का क्या होगा?

रेणुका सिंह का क्या होगा?

निशक्तजन संस्थान में घपले की सीबीआई जांच के आदेश से प्रदेश के राजनीतिक-प्रशासनिक गलियारों में खलबली मची हुई है। जांच के घेरे में रमन सरकार के पहले कार्यकाल में समाज कल्याण मंत्री रहीं रेणुका सिंह भी आ गई हैं। वे मात्र 18 महीने मंत्री रहीं। तब संस्थान का सिर्फ गठन हुआ था और थोड़ा बहुत खर्च हुआ था। उनसे अब इस पूरे मामले पर जवाब मांगा जा रहा है। हल्ला तो यह भी है कि उन्हें केन्द्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। 

सुनते हैं कि सीबीआई जांच के आदेश से रेणुका सिंह काफी परेशान है। वे सफाई दे रहीं हंै कि उनका इस घपले से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है। चर्चा तो यह भी यह है कि उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को फोन कर अपनी तरफ से सफाई दी है। मगर नड्डा की तरफ से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। दूसरी तरफ, पार्टी के भीतर चर्चा है कि  रेणुका सिंह को ज्यादा कोई समस्या नहीं है, लेकिन उनके बाद समाज कल्याण विभाग का दायित्व संभालने वाली लता उसेंडी और रमशीला साहू को दिक्कत हो सकती है, क्योंकि संस्थान में अनियमितता इन्हीं दोनों के कार्यकाल में ज्यादा हुई हैं। 


मुस्लिमों के बीच भाजपा धराशायी
एनआरसी और सीएए कानून का चौतरफा विरोध हो रहा है। इस कानून के खिलाफ विशेषकर मुस्लिम समाज के लोग सड़कों पर उतर आए हंै। पहले भाजपा को मुस्लिम विरोध के चलते वोटों का ध्रुवीकरण की उम्मीद पाले थी और राज्यों के विधानसभा चुनावों से लेकर वर्ष-2024 के लोकसभा चुनाव में फायदे की उम्मीद थी। अब धीरे-धीरे उम्मीदों को झटका लगता दिख रहा है। भाजपा सांसद मोदी सरकार के खिलाफ बनते माहौल को लेकर चिंतित दिख रहे हैं। पार्टी के अंदरखाने में इसको लेकर बहस चल रही है।

एक विवाह कार्यक्रम में शिरकत करने आए पड़ोसी राज्य के एक भाजपा सांसद ने अनौपचारिक चर्चा में कहा कि शुरू में लग रहा था कि एनआरसी-सीएए कानून से भाजपा को बड़ा फायदा होगा। मगर पहले धारा-370, फिर राम मंदिर पर फैसला और अब एनआरसी-सीएए के चलते मुस्लिम समाज तकरीबन पूरी तरह भाजपा के खिलाफ हो गया है। उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी फोरम में इस बात को लेकर चर्चा हुई थी और सभी सांसदों को मुस्लिम समाज के बीच में जाकर कानून को लेकर गलतफहमी दूर करने के लिए कहा गया था। 

इस सांसद ने आगे कहा कि जब वे अपने लोकसभा क्षेत्र के मुस्लिम बस्तियों में गए, तो पाया कि निचले तबके के लोगों को कानून को लेकर कोई जानकारी नहीं है, फिर भी वे इसको अपने खिलाफ मान रहे हैं। भाजपा विरोधी लगातार इसको हवा दे रहे हैं। हाल यह है कि मुस्लिम समाज के अन्य वर्ग जैसे कि शिया, बोहरा, अहमदिया और खोजा तबके के लोग भाजपा समर्थक रहे हैं, वे भी अब दूर होते दिख रहे हैं। इस कानून के चलते तकरीबन पूरा मुस्लिम समाज भाजपा के खिलाफ हो गया है। वे मानते हैं कि मोदी सरकार और पार्टी को जल्द ही कानून से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए तत्काल कोई कदम उठाना होगा। 

रायपुर के एक नेता ने कहा कि एनआरसी-सीएए कानून के चलते म्युनिसिपल चुनाव तक में भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। रायपुर के एक वार्ड में तो मुस्लिम समाज के भाजपा प्रत्याशी को अपने ही समाज के वोट भी नहीं मिल पाए। समाज के लोगों ने बैठक कर भाजपा प्रत्याशी को साफ तौर पर बता दिया था कि उन्हें समाज के लोगों का वोट नहीं मिलेगा। मुस्लिम समाज के लोगों ने एकमुश्त गैर मुस्लिम कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया। 

ऐसा नहीं है कि पार्टी स्तर पर कानून को लेकर मुस्लिम समाज के लोगों के बीच गलतफहमियां दूर करने की कोशिश नहीं की गई है। एक भाजपा नेता ने बताया कि पूर्व सीएम रमन सिंह का एनआरसी-सीएए को लेकर भ्रांतियां  दूर करने मुस्लिम बाहुल्य इलाके बैजनाथ पारा में कार्यक्रम प्रस्तावित था। मगर समाज के लोगों ने शर्त जोड़ दी कि पूर्व सीएम को हमारी बातें पूरी सुननी पड़ेगी। हड़बड़ाए भाजपा नेताओं ने पुलिस अफसरों की समझाइश के बाद कार्यक्रम निरस्त करना उचित समझा। 

जब तक हॉर्न प्लीज लिखा रहेगा...
मुम्बई पुलिस ने अभी एक नया इंतजाम किया है कि चौराहों के रेड लाईट पर रूकने वाली गाडिय़ां अगर हर बत्ती जल्दी बुलाने की हसरत में हॉर्न अधिक बजाएंगी, तो उनके शोर को भांपकर उनके सामने की लालबत्ती को कुछ और लंबा कर दिया जाएगा। 

हिन्दुस्तानी सड़कों पर शोर का ऐसा बुरा हाल है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट लगातार कई किस्म के फैसले दे चुके हैं, यह एक अलग बात है कि उन पर कोई अमल करने में शासन-प्रशासन की दिलचस्पी नहीं है। दरअसल ट्रकों और बसों के पीछे, छोटे-छोटे कारोबारी वाहनों के पीछे जिस तरह हॉर्न प्लीज लिखा रहता है उससे लोगों की सोच ऐसी हो जाती है कि हॉर्न बजाना ही है। और सामने चूंकि गाड़ी यह अनुरोध कर ही रही है कि कृपया हॉर्न बजाएं, तो पीछे के लोग उसकी फरमाईश पूरी करते चलते हैं। गाडिय़ों के पीछे यह लिखने पर कानूनी रोक लगनी चाहिए, और यह लिखवाना चाहिए कि हॉर्न न बजाएं। इसमें एक दिक्कत जरूर आ सकती है कि हिन्दुस्तानी ट्रैफिक सड़क के नियमों के बजाय हॉर्न की आवाज सुनकर ही ठीक हो पाता है, और बिना हॉर्न इसमें कुछ गड़बड़ हो सकती है, शायद शुरू के कुछ वक्त। 

लेकिन पुलिस और आरटीओ विभागों का हाल देखें, तो जिन बड़ी बसों और ट्रकों से इन्हें सबसे अधिक संगठित रिश्वत मिलती है, उन गाडिय़ों में जो बड़े-बड़े प्रेशर हॉर्न लगाकर रखते हैं, और जो उनकी अंधाधुंध रफ्तार के लिए जरूरी रहते हैं, उन पर रोक न तो सुप्रीम कोर्ट लागू कर पाया, न किसी प्रदेश का हाईकोर्ट। ([email protected])

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