राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भौंरा-गेड़ी तक तो ठीक है, लेकिन...
17-Jan-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भौंरा-गेड़ी तक तो ठीक है, लेकिन...

भौंरा-गेड़ी तक तो ठीक है, लेकिन...
छत्तीसगढ़ की फिजां में इन दिनों छत्तीसगढिय़ावाद खूब रच बस गया है। सभी की जुबान पर गेड़ी, भौंरा और यहां के तीज त्यौहार का रंग ऐसे चढ़ गया है, मानों वे बरसों से इसके आदी हों। खैर, इसी बहाने राज्य की कला-संस्कृति को तो बढ़ावा मिल रहा है, लेकिन एक छत्तीसगढिय़ा सज्जन इस चक्कर में बुरे फंस गए। दरअसल, छत्तीसगढिय़ा सज्जन लोगों को ज्ञान दे रहे थे कि अब यहां छत्तीसगढ़ी कल्चर और तीज त्यौहार मनाने वालों के कामकाज बनेंगे, इसीलिए गेड़ी चढऩा और भौंरा चलाना सीख लेना चाहिए। दूसरे लोगों को लगा कि वे बात तो ठीक कर रहे हैं, क्योंकि आजकल तो इसी का हल्ला सुनाई देता है और तस्वीरें दिखाई देती है। छत्तीसगढिय़ा सज्जन ने बकायदा ऐलान कर दिया कि अगर कोई हाथ में भौंरा चलाना और गेड़ी चढऩा सीखना चाहता है तो संपर्क कर सकते हैं, वे सीखने में मदद कर सकते हैं। छत्तीसगढिय़ा सज्जन की बातों से दूसरे लोग बड़े हीनभावना से ग्रसित महसूस कर रहे थे कि ये तो नागरिकता प्रमाण पत्र हासिल करने से ज्यादा कठिन शर्त यहां चल पड़ी। अब तो कोई चारा नहीं बचा है। इसी बीच तमाम बातों को गंभीरता से सुन रहे एक दूसरे व्यक्ति ने पूछा कि भाई साहब कि ये सोंटा खाने का क्या सिस्टम है। सोंटा खाने की बात सुनते ही महाशय की बोलती बंद हो गई। दरअसल, छत्तीसगढ़ में गौरा-गौरी पूजा के समय कुश की बनी रस्सी से हाथ में मारा जाता है। जाहिर है कि मार खाना हिम्मत का काम है। भौंरा-गेड़ी तक तो ठीक है, लेकिन सोंटा सभी के बस की बात नहीं है। कई बार इस तरह का खतरा होता है कि अपनी ही गोली रिवर्स हो जाती है। यहां भी कुछ ऐसा ही माजरा देखने को मिला।  लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पिछले दिनों ऐसा सोंटा खाते हुए मीडिया में बड़ी शोहरत पा चुके हैं, इसलिए सोंटे के खिलाफ भी कुछ बोला तो नहीं जा सकता।

आईएएस-आईपीएस खींचतान
आईएएस-आईपीएस अफसरों के बीच छत्तीस का आंकड़ा कोई नहीं बात नहीं है। आईएएस अपने-आपको सुपीरियर ही मानते हैं और वे इसे साबित करने का शायद ही कोई मौका छोड़ते हैं। ऐसे ही पिछले दिनों युवा महोत्सव के दौरान देखने को मिला। हुआ यह कि सूबे के मुखिया इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे थे। इस कार्यक्रम में युवाओं की अच्छी खासी तादाद थी, वे सभी करीब से सीएम की एक झलक पाने के लिए बेताब थे। सभी अपने हाथों में मोबाइल लिए सीएम के नजदीक आने का इंतजार कर रहे थे। इसी बीच सीएम के सलाहकार और आईएएस अफसरों ने सुझाव दिया कि उनको युवाओं के बीच जाना चाहिए। सीएम साहब को इसमें कोई बुराई नहीं लगी तो उन्होंने तत्काल हामी भर दी। जब इस बात की जानकारी सीएम के सुरक्षा में तैनात अफसरों और आईपीएस अधिकारियों को लगी तो उनकी भृकुटी तन गई, क्योंकि भीड़ इतनी थी कि संभालना काफी मुश्किल और ऊपर से सीएम की सुरक्षा का सवाल था। इतना ही नहीं जहां युवाओं के बीच जाना था, वहां की जमीन भी उबड़-खाबड़ थी। ऐसे में वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के पास सीएम को वहां जाने से रोकने के लिए भरपूर ग्राउंड था, तो उन्होंने तुरंत सीएम को समझाया कि वहां सुरक्षागत कारणों से जाना उचित नहीं है। अब सीएम साहब ने उनकी बात मान ली। इस बीच सलाहकारों और आईएएस अफसरों को इसकी भनक लगी, तो उन्होंने फिर से सीएम के कान में फुसफुसाया। सभी को लग रहा था कि युवाओं के बीच लोकप्रिय होने का इससे बेहतर मौका नहीं मिल सकता। फिर क्या था सीएम बिना किसी के सुने सीधे पहुंचे गए युवाओं के बीच। फिर वहां का नजारा ही देखने लायक हो गया। युवा सेल्फी लेने के लिए एकदम से टूट पड़े। इसके बाद तो सुरक्षा में तैनात, और आईपीएस अफसरों के पसीने ही छूटने लगे कि वे भीड़ को कैसे मैनेज करेंगे और इसमें कुछ ऊंच-नीच हुई तो गाज पुलिस वालों पर गिरना तय है। जैसे-तैसे कार्यक्रम निपटा तब तमाम पुलिस अफसरों की जान में जान आई। राहत की सांस लेते हुए एक आईपीएस ने कहा कि सलाह देने वाले अफसरों का क्या होगा वे तो बोल के निकल जाएंगे आखिर फंसना तो पुलिस को ही पड़ता है। ([email protected])

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