राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : धार्मिक भावनाओं के चलते...
30-Aug-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : धार्मिक भावनाओं के चलते...

धार्मिक भावनाओं के चलते...

छत्तीसगढ़ में जगह-जगह हाथियों का इंसानों के साथ टकराव चल रहा है। इंसान जंगल में घुस गए हैं, और इसलिए हाथी गांवों और कस्बों में चले आए हैं। चूंकि दोनों की ताकत का कोई मुकाबला नहीं है, इसलिए इंसान ही मारे जा रहे हैं। ऐसे में एक-दो हाथी इतने अधिक नुकसान पहुंचाने वाले हो गए हैं कि उन्हें बाड़े में कैद करके रखना तय किया गया है। लेकिन यह बात कहना आसान है, करना बड़ा मुश्किल। अब गणेशोत्सव शुरू हो रहा है, और भगवान गणेश को हाथी से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में हाथी को कौन हाथ लगाए? और छत्तीसगढ़ के कोरबा के इलाके में सबसे अधिक जनहानि पहुंचाने वाले हाथी का तो नाम ही गणेश है। इसलिए वन विभाग ने तय किया है कि गणेशोत्सव निपट जाने के बाद ही उसे कैद करने की कोशिश शुरू की जाए ताकि लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत न हों। एक जानकार ने यह भी बताया कि बारिश के समय जब सारे तालाब-डबरे लबालब रहते हैं, तब हाथी को बेहोश करने में एक दिक्कत यह रहती है कि वह अगर बेहोशी में पानी के भीतर चले गया, या भीतर जाकर बेहोश हुआ, तो वह डूबकर ही मर जाएगा। इसलिए सोच-समझकर पूरी सावधानी बरतकर ही गणेशोत्सव के बाद गणेश को छूने की कोशिश की जाएगी। 

छोटी कर्मचारी का बड़ा हौसला
आज राज्य में तबादले का मौसम चल रहा है, और लोग तबादले रद्द करवाने के लिए अपनी अर्जियों में अपनी सेहत से लेकर अपने परिवार की सेहत तक के बहुत से तर्क देते हुए नापसंद जगह पर जाने से बच रहे हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ की एक आईएएस अधिकारी, और स्वास्थ्य विभाग में काम देख रहीं प्रियंका शुक्ला ने ट्विटर पर एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के बारे में लिखा है। उन्होंने बताया कि पुष्पा तिग्गा नाम की यह स्वास्थ्य कार्यकर्ता, एएनएम, कैंसर पीडि़त हैं, फिर भी बस्तर के सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित इलाके कुन्ना में लगातार काम कर रही है। वे पिछले 11 बरस से वहां पदस्थ हैं, और जिम्मेदारी से अपना काम कर रही हैं। हालांकि जैसा कि उनके नाम से जाहिर है, वे उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा के जशपुर इलाके की हैं, और सैकड़ों मील दूर दक्षिण छत्तीसगढ़ में बस्तर में काम कर रही हैं, लेकिन वे इसी इलाके में काम करना चाहती हैं क्योंकि यहां के लोग भी उन्हें चाहते हैं। अब कैंसर के साथ शहरी इलाकों से इतनी दूर, घोर नक्सल इलाके में काम करने का हौसला छोटा नहीं होता, और तबादले रद्द करवाने को घूम रहे अफसरों और कर्मचारियों को इस कर्मचारी से कुछ सीखना भी चाहिए। उसके समर्पण को देखने वाली एक बड़ी अफसर ने कहा कि इसकी कहानी मंत्रियों को अपने दफ्तर में लगाकर रखनी चाहिए ताकि वे मामूली बीमारियों की वजह से तबादला रद्द करवाने पहुंचती भीड़ को उसे पढ़वा सकें।

सिंहदेव की बेकाबू रफ्तार
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के समय मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे पहले दावा करने वाले टी.एस. सिंहदेव बहुत रफ्तार से काम कर रहे हैं। अस्पतालों का मामला हो, या अफसरों को हटाने का मामला हो, उनके खिलाफ जांच का मामला हो, नियम-कायदों को जब तक उनके मातहत पढ़कर उन्हें बता सकें, तब तक वे अपनी जिम्मेदारी पर कार्रवाई शुरू करवा देते हैं, और अफसरों के बीच इसे लेकर अब कुछ दुविधा भी हो रही है कि शुरू की गई कार्रवाई किनारे कैसे पहुंचाई जाएगी। 
इसी तरह अभी-अभी पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को लेकर उन्होंने बहुत रफ्तार से एक बयान दे दिया कि जोगी के पिता सतनामी थे, और वे अपने को आदिवासी कैसे कह सकते थे? जवाब में जोगी ने सार्वजनिक चेतावनी भेजी कि उनके पिता सतनामी नहीं थे, और वे मानहानि का आपराधिक मुकदमा दायर करेंगे। इस पर आनन-फानन सिंहदेव को दुख जाहिर करना पड़ा, लेकिन उन्होंने तकनीकी रूप से न तो क्षमायाचना की, और न ही खेद व्यक्त किया है। ऐसी किसी भी चि_ी में किंतु-परंतु के साथ लिखी गई बातों का कोई मतलब होता नहीं है, इसलिए सिंहदेव यह कह रहे हैं कि उन्होंने माफी नहीं मांगी और जोगी भी अड़े हुए हैं कि साफ-साफ नहीं मांगी तो अदालत जाना तय है। 

सरकार और सत्ता के जानकार लोगों का कहना है कि सिंहदेव कुछ अधिक रफ्तार से काम कर रहे हैं जिसकी अच्छी और बुरी दोनों किस्म की बातों को निभाना मुश्किल पड़ता है। 

भाजपा सांसदों की निराशा...
प्रदेश के ज्यादातर भाजपा सांसद राज्य सरकार से निराश हैं। वजह यह है कि छोटे-छोटे काम में प्रशासनिक अड़चनें आ रही है, जिसे दूर करने के लिए सांसदों की तरफ से सीएम को गुहार लगाई गई है।

राजनांदगांव सांसद संतोष पाण्डेय तो प्रशासन के राजनीतिकरण और भाजपा के जनप्रतिनिधियों के पक्षपातपूर्ण व्यवहार का आरोप खुले तौर पर लगा चुके हैं। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधि किसी भी दल का हो वो सबका होता है। यहां पक्षपात किया जा रहा है। प्रोटोकॉल में सांसद आगे होता है, लेकिन योग दिवस के कार्यक्रम में विधायक का नाम कार्ड में सबसे आगे छपा था। जांजगीर के सांसद गुहाराम अजगले को छोड़कर बाकी पहली बार सांसद बने हैं। और वे अपने-अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा विकास योजनाएं शुरू कराने की दिशा में प्रयासरत दिखते हैं। 

ये लोग दिल्ली प्रवास के दौरान केन्द्रीय मंत्रियों से मेल-मुलाकात भी करते हैं। ताकि छत्तीसगढ़ को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंच सके। खुद सांसद सुनील सोनी सार्वजनिक मंच पर सीएम के सामने यह कह चुके हैं कि केन्द्र की सभी योजनाएं छत्तीसगढ़ में आए, इसके लिए उनका पूरा प्रयास रहेगा। उन्हें राज्य सरकार के मंत्रियों-अफसरों के साथ केन्द्रीय मंत्रियों से मिलने में भी कोई संकोच नहीं है। यानी भाजपा सांसद विकास योजनाओं के लिए दलीय राजनीति से उपर उठकर काम करने पर जोर दे रहे हैं। मोहन मंडावी जैसे भाजपा सांसद तो सरकार की कुछ योजनाओं से इतने खुश हैं कि उन्होंने सीएम की सार्वजनिक मंच से तारीफ भी कर दी। परन्तु छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर प्रशासनिक अडग़ेबाजी या उदासीनता से ज्यादातर निराश भी हैं। 
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