राजपथ - जनपथ

बोतल को मना करें...
इन दिनों सरकारी या गैरसरकारी, बड़े लोगों के यहां जाने पर पीने के पानी की छोटी-छोटी सीलबंद बोतलें पेश कर दी जाती हैं। ये दिखने में अच्छी लगती हैं, बड़े ब्रांड का लेबल लगा होने से ऐसा भरोसा होता है कि पानी साफ होगा, और एक ग्लास से भी कम पानी वाली यह बोतल एक बार इस्तेमाल के बाद कचरे की टोकरी में चली जाती है। दुनिया भर में वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि प्लास्टिक की बोतलों में कुछ न कुछ कण प्लास्टिक के ऐसे रह जाते हैं जो कि पानी के साथ बदन में जाते हैं। कुछ अधिक समझदार लोगों ने अब घर के फ्रिज या गाड़ी में भी स्टील, तांबे, या कांच की बोतलें रखना शुरू कर दिया है क्योंकि गाडिय़ां धूप में खड़ी रहती हैं, और प्लास्टिक की बोतलों में गर्म हो जाने वाले पानी में कुछ रासायनिक क्रिया भी होने की खबरें हैं जिनसे सेहत को नुकसान पहुंचता है।
ऐसे में लोग खुद होकर दूसरों के घरों में, या दफ्तरों में प्लास्टिक की सीलबंद बोतल का इस्तेमाल करने से मना भी कर सकते हैं, और साफ पानी ग्लास में मांगकर एक जागरूकता भी फैला सकते हैं। सिर्फ एक बार इस्तेमाल होकर कचरे में चले जाने वाला प्लास्टिक दुनिया पर सबसे बड़ा बोझ बन गया है, और जो लोग ऐसा खर्च कर भी सकते हैं, उन्हें अपनी आने वाली पीढिय़ों को ऐसे प्लास्टिकतले अभी से दफन नहीं करना चाहिए। ऐसी किसी भी बोतल का इस्तेमाल करने के साथ यह सोचना चाहिए कि वह आपकी आने वाली पीढिय़ों का दम किस तरह घोटेगी, ऐसा सोचने पर शायद लोग एक बार फिर फिल्टर किए हुए साफ पानी की तरफ लौट सकेंगे।
सिंहदेव को पड़ोस का जिम्मा
झारखंड विधानसभा चुनाव के चलते सरगुजा राजघराने के मुखिया टीएस सिंहदेव की पूछपरख बढ़ गई है। कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें वहां प्रत्याशी चयन की जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी ने सिंहदेव को प्रत्याशी चयन के लिए गठित छानबीन समिति का अध्यक्ष बनाया है। झारखण्ड, सरगुजा से सटा हुआ है। सरगुजा की आदिवासी संस्कृति झारखण्ड से मिलती जुलती भी है। छत्तीसगढ़ के मंत्री सिंहदेव झारखण्ड की भौगोलिक स्थिति से पूरी तरह वाकिफ हैं। ऐसे में पार्टी को लगता है कि सिंहदेव झारखण्ड में पार्टी की नैय्या पार कराने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरगुजा की सारी सीटें जीतने में सफल रही। इसका श्रेय काफी हद तक सिंहदेव को जाता है, हालांकि ओडिशा में लोकसभा चुनाव के दौरान भी सिंहदेव को जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन वहां वे सफल नहीं रहे। अब देखना है कि झारखण्ड में अपनी जिम्मेदारियों को सिंहदेव कैसे निभा पाते हैं।
झांसे के फोन काटना काफी नहीं...
इन दिनों तकरीबन हर किसी के पास टेलीफोन पर बैंक या क्रेडिट कार्ड का फ्रॉड करने वाले लोगों के फोन आते हैं, और बहुत से पढ़े-लिखे, कामयाब, सरकारी अफसर भी इनके झांसे में आकर कभी अपने एटीएम का नंबर बता देते हैं, तो कभी ओटीपी बता देते हैं। नतीजा यह होता है कि रफ्तार से खाते से पैसे निकल जाते हैं। ऐसे में अभी फेसबुक पर रायपुर के एक नौजवान ने एक मोबाइल नंबर पोस्ट किया कि इस नंबर से ऐसी धोखाधड़ी का फोन आया। यह एक अच्छा तरीका हो सकता है कि ऐसा नंबर देखने वाले लोग उसे अपने फोन की फोनबुक में फ्रॉड के नाम से दर्ज कर लें, ताकि वे खुद तो बचें ही, साथ-साथ दूसरे लोगों को भी उससे मदद मिले। इन दिनों बहुत से लोग मोबाइल पर ट्रू-कॉलर एप्लीकेशन का इस्तेमाल करते हैं जो आपकी फोनबुक तक पहुंच देने पर ही शुरू होता है। और आपकी फोनबुक पर जो नंबर फ्रॉड की तरह दर्ज हैं, वे ट्रू-कॉलर बाकी लोगों को भी फ्रॉड की तरह दिखा देता है। इससे लोग सावधान हो सकते हैं। तो कुल मिलाकर झांसे और जालसाजी के आने वाले फोन के नंबर को सोशल मीडिया पर भी डाल सकते हैं ताकि जिन्हें आप पर भरोसा हो वे अपने फोन में भी उसे दर्ज कर लें। दूसरी तरफ आप अपने फोन पर भी उसे फ्रॉड दर्ज कर लें, ताकि ट्रू-कॉलर औरों को सावधान कर सके।
बदनामी की कई वजहें...
अभी छत्तीसगढ़ के एक म्युनिसिपल नेता का कहा जाने वाला एक वीडियो चारों तरफ फैला जिसमें वे एक राजनीतिक दल की कही जाने वाली युवती के साथ दिख रहे हैं ऐसी चर्चा हुई। हकीकत चाहे जो हो, इसमें कोई जुर्म बनता हो या नहीं, लेकिन इससे दो लोगों की बदनामी तो हुई होगी, इसके साथ-साथ एक दूसरी चीज और हुई। कुछ बड़े शोधकर्ताओं ने इस सेक्स के सेकंड गिने, और इसे घोर निराशाजनक बताया। अब कुछ लोगों का कहना है कि चेहरे से अधिक बदनामी हुई है, या ऐसे प्रदर्शन से, यह कहना अधिक मुश्किल है। कुल मिलाकर इससे नसीहत यही निकलती है कि ऐसी नौबत से दूर रहें, शौक में भी ऐसा वीडियो बनाने से बचें, क्योंकि उसके बाद बदनामी की कई वजहें हो सकती हैं। (rajpathjanpath@gmail.com)