राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक लिस्ट की बड़ी चर्चा है...
24-Jul-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक लिस्ट की बड़ी चर्चा है...

छत्तीसगढ़ के मंत्रालय, और पुलिस मुख्यालय के अफसरों के बीच में  इन दिनों एक लिस्ट की या तो तलाश चल रही है, या चर्चा। जिनकी दराज में लिस्ट रखी है वे भी किसी को इसे दिखाना नहीं चाहते, लेकिन बहुत से लोग हैं जो इसकी चर्चा करते टटोलना चाहते हैं कि उन्हें इसकी खबर है या नहीं, या वे इसके बारे में क्या सोचते हैं।

दरअसल नया रायपुर के इलाके में एक बड़ा सा गोल्फ कोर्स बनाने के लिए एक ऐसी योजना बनाई गई थी जिसमें प्रमोटर-बिल्डर को इस शर्त पर बहुत बड़ी जमीन एक रुपये दाम पर दी गई थी कि वह वहां पर गोल्फ कोर्स बनाए, और बगल में एक महंगी कॉलोनी बनाने की जमीन भी बाजार भाव पर दी गई थी, जिस पर बने बंगले डेढ़-दो करोड़ रुपये में लोगों को छांट-छांटकर दिए गए।

पिछली सरकार के वक्त जो अफसर ताकतवर थे, उनमें से बहुतों ने अपने नाम से या अपने किसी करीबी के नाम से यहां पर बंगले लिए। लेकिन नई सरकार आने के बाद जब यह चर्चा निकली कि खुद इस कॉलोनी में बंगला पाने के लिए कुछ लोगों ने इस पूरी योजना को तरह-तरह से इजाजतें दीं, तो कुछ हड़बड़ाहट पैदा हुई। पता लगा कि कुछ ऐसे अफसर भी थे जो नया रायपुर विकास प्राधिकरण में थे, या इस योजना के इजाजत देने वाली किसी कुर्सी पर थे, और उन्होंने साफ-साफ हितों के टकराव वाला यह काम किया है, जो आगे-पीछे लोकायुक्त तक पहुंचने का खतरा बन जाएगा। ऐसी हड़बड़ी के बीच कम से कम एक आईएफएस अफसर ने लिया हुआ ऐसा बंगला लौटा दिया है। जिन लोगों ने अपनी ताकत से बाहर होने की वजह से यहां पर बंगला नहीं लिया था, वे लोग मजे से नजारा देख रहे हैं। पता लगा है कि मुख्य सचिव और पर्यावरण मंत्री दोनों ने यह लिस्ट बुलाई है, अभी तो विधानसभा में इसके बारे में सवाल हुआ जरूर था लेकिन जवाब में उतनी जानकारी सामने नहीं आई जितनी की लोग उम्मीद कर रहे थे। 

विधानसभा में आवास पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने यह बताया कि गोल्फ कोर्स के लिए 101 एकड़ जमीन एक रुपये वर्गमीटर में दी गई और आवासीय बंगलों के लिए 825 रुपये प्रतिवर्गमीटर से साढ़े 37 एकड़ जमीन दी गई है।

आने वाले दिनों में यह मामला कुछ नई सनसनीखेज जानकारी लेकर आएगा। 

हाथियों की चुनौती...

हाथियों को लेकर छत्तीसगढ़ बड़ा परेशान है। जहां चाहे वहां हाथी जिसे चाहे उसे कुचल रहे हैं, फसल रौंद रहे हैं, घर तोड़ रहे हैं, और सरकार के हाथ कई रस्सियों से बंधे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों से लेकर वन्य प्राणी अधिनियम तक सरकार को कड़ी कार्रवाई से रोकते हैं, और इस बीच जिस इलाके में हाथी लोगों को मार रहे हैं, वहां का दबाव भी सरकार पर रहता है। हाथियों के हक के लिए लडऩे वाले कुछ वन्य प्राणी प्रेमी भी सरकार को नोटिस देते रहते हैं, हाईकोर्ट तक दौड़ लगाते रहते हैं। 

छत्तीसगढ़ में जंगली हाथियों के साथ-साथ पालतू हाथी भी एक समस्या बन गए हैं जिन्हें लेकर उनके महावत घूमते हैं, और घर-घर से कुछ मांगते हैं, बच्चों को हाथी पर घुमाकर भी कुछ कमाई कर लेते हैं। लेकिन कानून की नजर में उनका यह काम कानूनी नहीं है, इसलिए ऐसे तीन हाथी पिछले दिनों जब्त किए गए, और कई कारणों से उन्हें एक कानूनी प्रावधान के तहत फिर से उन्हीं महावतों के हवाले कर दिया गया। 

इस बीच भूतपूर्व केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री मेनका गांधी का अचानक छत्तीसगढ़ के जंगल विभाग पर हमला सा हो गया है। वे हर दिन कई बार फोन लगाकर हाथियों के बारे में पूछ रही हैं, और अफसरों को हुक्म भी दे रही हैं। वे अब सिर्फ एक सांसद रह गई हैं, इसलिए उनके हुक्म का कोई कानूनी वजन नहीं है, दूसरी तरफ वे इस राज्य में पकड़े गए पालतू हाथियों को मथुरा भेजने का हुक्म भी दे रही हैं जहां पर वे एक हाथी बचाव केन्द्र चलाती हैं। पालतू हाथी बचपन से ही अपने महावत के साथ रहने के आदी हो जाते हैं, और उनके बिना खाते-पीते भी नहीं हैं। ऐसे परस्पर संबंधों की वजह से जब छत्तीसगढ़ के वन विभाग ने ऐसे तीन हाथी जब्त किए तो उनके महावतों को भी साथ रखा गया ताकि हिरासत में भी हाथी भूखे न मर जाएं। 

रायपुर के एक छोटे वन अफसर ने बताया कि यहां पर जिस हाथी को रखा गया था, उसके लिए खाने का इंतजाम करते-करते विभाग की हालत खराब हो गई थी क्योंकि उसके लिए कोई बजट तो था नहीं। उसके अलावा महावत का कहना था कि अगर रोज पांच किलोमीटर चलाया न जाए, तो हाथी बीमार हो जाएगा। इसलिए महावत और वन कर्मचारी दोनों साथ में चलते हुए हाथी को घुमाने ले जाते थे, धूल में खेलने ले जाते थे, उसके बाद महावत तालाब में उसे नहलाता था, और फिर एक पेट्रोल पंप के पीछे सुनसान जगह में जहां उसे ठहराया गया था, वहां दो वक्त उसके खाने का इंतजाम किया जाता था। 

चूंकि जंगली या पालतू, दोनों ही किस्म के हाथियों की जिंदगी बचाना एक बड़ी जिम्मेदारी है, इसलिए बिगड़ैल और हिंसक हो गए जंगली हाथियों को सरगुजा के सरकारी हाथी बचाव केन्द्र में रखा जा रहा है, और पालतू हाथियों को सुपुर्दनामे कर महावत के हवाले कर दिया जा रहा है। 

अब आज की सबसे बड़ी हाथी-दिक्कत कोरबा जिले में आई है जहां गणेश नाम का एक दंतैल हाथी बेकाबू है, और वह बहुत लंबे इलाके में घूम-घूमकर हिंसा कर रहा है। यह अब तक 15 लोगों को मार चुका है, और एक दिन तो इसने एक घंटे के भीतर 8 किलोमीटर दूरी पर दो अलग-अलग लोगों को मारा। अब इसे कल किसी तरह बेहोश किया गया है, और तरह-तरह के दबाव के बीच इसे एक दूसरे जंगल में ले जाकर छोड़ा जा रहा है क्योंकि वन्य प्राणी प्रेमियों ने इसे सरकारी बचाव केन्द्र में रखने का विरोध किया था। अब दूसरे जंगल के इलाके से वह फिर अपने इस इलाके में लौटता है या नहीं यह भी देखना होगा, और अगर इसने दूसरे जंगल में भी लोगों को मारा तो वहां के लोगों का विरोध सामने आएगा। फिलहाल उसे रेडियो-कॉलर लगाकर छोड़ा जा रहा है ताकि जीपीएस से उसकी लोकेशन का पता लगता रहे। इस रेडियो-कॉलर की बैटरी 8-10 बरस तक चलती है, और वन विभाग उस पर नजर रख सकेगा। फिलहाल मेनका गांधी सुबह से रात तक अफसरों को लगातार फोन कर रही हैं, और हाथियों को ठीक से रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है।  ([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news