राजपथ - जनपथ
पूरे छत्तीसगढ़ में चिटफंड को लेकर पुलिस की कार्रवाई बड़ी तेज चल रही है। सरगुजा के कुछ थानों में राजनांदगांव के भूतपूर्व सांसद अभिषेक सिंह के खिलाफ भी रिपोर्ट लिखाई गई है, और यह किसी शिकायतकर्ता के किए नहीं हुआ है, अदालत के आदेश से हुआ है। ऐसे में प्रदेश के एक जिले के एक थाने में राज्य सरकार में हड़कम्प मचा दिया है। वहां पर चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जो रिपोर्ट लिखाई गई है, उसमें प्रदेश के आधा दर्जन आईएएस, और आईपीएस अफसरों का नाम भी लिखा गया है। राज्य सरकार के लोग यह देखकर हक्का-बक्का हैं कि क्या इस राज्य के थाने की पुलिस को प्रदेश के इतने आईएएस-आईपीएस लोगों के नाम एफआईआर में दर्ज करते हुए यह समझ नहीं आया कि इसके बारे में किसी बड़े अफसर से भी पूछ लिया जाए? अब पता चल रहा है कि एक ही थाने की ऐसी कम से कम दो एफआईआर को वेबसाइट से भी हटा दिया गया है, और थाने से उसके बारे में कोई जानकारी भी नहीं दी जा रही। खैर, कुछ लोगों ने दस्तावेजी सुबूत जुटा रखे हैं, और ये सुबूत पुलिस के बड़े अफसरों के लिए खासी दिक्कत खड़ी करेंगे। वेबसाइट पर एफआईआर डालना सुप्रीम कोर्ट ने शुरू करवाया है, और किसी बहुत ही संवेदनशील मामले में उसे बड़े अफसर की मर्जी से हटाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए मामले का संवेदनशील होना जरूरी है, महज बड़े अफसरों का नाम आ जाने से मामला संवेदनशील नहीं हो जाता। जिन अफसरों के नाम चिटफंड घोटाले में एफआईआर में दर्ज हैं, वे सचिव स्तर के आईएएस हैं, और डीआईजी स्तर के आईपीएस हैं। कुछ मंत्रालय में हैं, कुछ आईजी रेंज में हैं, और कोई दिल्ली में पोस्ट है।
इन्हें मौत पर भरोसा है...
कल एक सड़क हादसे में छत्तीसगढ़ में एक ऐसा व्यक्ति मारा गया जो मोटरसाइकिल पर था, जिसके पास हेलमेट भी था, लेकिन उसे पहनने के बजाय उसे हैंडिल पर टांगकर रखा था। अब मौत ऐसे हेलमेट के रोके रूकती नहीं है। ऐसे ही अगर मौत पर असर होता, तो उन गाडिय़ों के हादसों में तो कोई मरते ही नहीं जिन्होंने सामने नींबू और मिर्च टांग रखे थे। उन घरों में कोई गम ही नहीं होता जो सामने काली हंडी टांगकर उस पर चेहरा बनाकर घर को नजर से बचाते हैं। हेलमेट कोई तिलस्मी ताबीज नहीं है, और वह जब सिर पर ठीक से बंधा हो, तो ही वह मौत को रोक सकता है। हेलमेट इस्तेमाल करने वाले गिने-चुने लोगों में से भी अधिकतर लोग हेलमेट को सिर पर रखकर बिना बेल्ट बांधे चलते हैं। इनका कोई हादसा हो तो सबसे पहले हेलमेट ही दूर जाकर गिरता है। कुछ ऐसा ही हाल सीट बेल्ट का भी है। कारों में सीट बेल्ट की वजह से उनके दाम कम से कम दस हजार रूपए बढ़ते हैं, लेकिन महंगी कार लेने वाले लोग भी उसे तेज रफ्तार तो चलाते हैं, लेकिन सीट बेल्ट नहीं लगाते। उन्हें खुद को हासिल हिफाजत के इस्तेमाल से, सीट बेल्ट से, अधिक भरोसा मौत की रहमदिली पर होता है कि मौत उन्हें छोड़कर चलेगी। जब लोग मरने पर इतने आमादा हैं, तो उन्हें क्या तो पुलिस बचा लेगी, और क्या बिना इस्तेमाल किए हुए हेलमेट-सीट बेल्ट ! ([email protected])