राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : न आज्ञाकारी पुत्र, न आज्ञाकारी पिता
22-Jun-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : न आज्ञाकारी पुत्र, न आज्ञाकारी पिता

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल तब से सामाजिक राजनीति में सक्रिय हैं जब भूपेश कॉलेज में पढ़ते थे। वे पिछड़े वर्ग की राजनीति करते हैं, और खुलकर ब्राम्हण-बनिया समुदायों के खिलाफ बोलते हैं। भूपेश बघेल को कांग्रेस की राजनीति में आने के बाद से हर साल-दो साल में यह साफ करना पड़ता है कि उनके पिता, उनके पिता तो हैं, लेकिन घर में ही। उनकी राजनीति और उनकी सोच अलग है जिससे उनका कोई भी लेना-देना नहीं है। कम लोगों को यह बात याद होगी कि जब अजीत जोगी मुख्यमंत्री थे, और भूपेश बघेल मंत्री थे, तब नंदकुमार बघेल अपनी एक किताब को लेकर धार्मिक भावनाएं आहत करने के एक पुलिस केस में गिरफ्तार हुए थे, और कई दिन जेल भी रहे थे। वे बौद्ध धर्म अपना चुके हैं, और भूपेश बघेल को पारिवारिक संस्कारों से अलग भी कर चुके हैं क्योंकि भूपेश हिन्दू हैं। 

अभी लगातार वे कई वीडियो में दिख रहे हैं जो कि चारों तरफ फैल रहे हैं, उसमें वे कांग्रेस के, और भूपेश सरकार के कई नेताओं और मंत्रियों के खिलाफ बोलते रहते हैं। उनकी राजनीति ब्राम्हण, बनिया, गैरछत्तिसगढिय़ा, इन सबको हटाने और हराने की है। पिछले बरस भूपेश बघेल के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए पार्टी ने एक बयान जारी किया था जिसमें स्पष्ट किया गया था कि नंदकुमार बघेल का कांग्रेस पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है, और न ही भूपेश बघेल का अपने पिता की राजनीति से कोई लेना-देना है। बार-बार इस बात को साफ कर देने की वजह से कांग्रेस हाईकमान के सामने, और पार्टी के भीतर तो पिता-पुत्र के संबंध एकदम साफ हैं, लेकिन मीडिया को इसमें मजेदार वीडियो मिल जाते हैं। नंदकुमार बघेल खासे पढ़े हुए हैं, और हिन्दू धर्म, पुराण, की मिसालें देते हुए वे आक्रामक अंदाज में बयान देते हैं। लेकिन साथ-साथ यह भी खुलासा कर देते हैं कि भूपेश बघेल उनके बेटे तो हैं, लेकिन उन्होंने खुद ने ही भूपेश को सिखाया है कि न वे उनके आज्ञाकारी बेटे रहें, और न ही वे उनके आज्ञाकारी पिता रहेंगे। अलग-अलग राजनीतिक सोच वाली यह बड़ी अजीब सी राजनीतिक-पारिवारिक जोड़ी है, और जब भूपेश बघेल को पहले से यह खबर रहती है कि किसी कार्यक्रम में मंच पर उनके पिता को भी बुलाया गया है, तो वे उसमें जाना मंजूर भी नहीं करते। जिन मंत्रियों और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ इन दिनों नंदकुमार बघेल का अभियान चल रहा है, उन्हें भी यह बात साफ है कि भूपेश अपने पिता के कंधे पर रखकर बंदूक नहीं चला रहे, क्योंकि बागी तेवरों वाले पिता किसी को अपने कंधे पर हाथ भी नहीं धरने देते।

पहले से कमाई अधिक...
छत्तीसगढ़ में शराब के कारोबार को देखने वाले आबकारी विभाग मेें काम कर रहे एक अफसर का कहना है कि जब दुकानें दारू ठेकेदार चलाते थे, तब अमले की कमाई सीमित रहती थी। अब पूरा धंधा ही विभाग के हाथ में हैं, तो नीचे से ऊपर तक एकाधिकार ने सबको मालामाल कर दिया है। इस धंधे की जिस-जिस बात से कमाई होती थी, वे सबकी सब जारी हैं, और अब कमाई से ठेकेदार या दुकानदार अलग हो गए हैं, इसलिए सिर्फ विभाग बाकी है। चूंकि दारू के ग्राहक समाज में हिकारत से देखे जाते हैं, इसलिए अगर उन्हें लूटा भी जा रहा है, तो उनके साथ किसी की हमदर्दी नहीं है। ([email protected])

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