राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : आखिर महंत के दबाव में
13-Mar-2025 3:28 PM
राजपथ-जनपथ : आखिर महंत के दबाव में

आखिर महंत के दबाव में 

आखिरकार सरकार ने भारतमाला परियोजना के मुआवजे में भ्रष्टाचार मामले की जांच ईओडब्ल्यू-एसीबी के हवाले कर दिया है। बुधवार को विधानसभा में मुआवजे में भ्रष्टाचार के मसले पर काफी किचकिच हुई थी। सरकार ने तो मान लिया था कि मुआवजा वितरण में गड़बड़ी हुई है, और करीब 44 करोड़ रुपए अतिरिक्त मुआवजा बटा है। मगर वो इसकी सीबीआई जांच कराने के लिए तैयार नहीं थे। जबकि नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत परियोजना की सीबीआई जांच की मांग पर जोर दे 
रहे थे।

राजस्व मंत्री सदन में रायपुर कमिश्नर से मुआवजा घोटाले की जांच कराने पर अड़े थे। मगर देर रात कैबिनेट में प्रकरण की ईओडब्ल्यू-एसीबी से जांच कराने का फैसला लिया गया। बताते हैं कि मुआवजा घोटाले की ईओडब्ल्यू-एसीबी से जांच कराने के फैसले के पीछे नेता प्रतिपक्ष का ही दबाव रहा है। महंत ने तो सदन में सीधे-सीधे कह दिया था कि प्रकरण की सीबीआई जांच कराने के लिए वो हाईकोर्ट जाएंगे।

चूंकि परियोजना और मुआवजे में केंद्र का पैसा लगा है, इसलिए कोर्ट में प्रकरण की सीबीआई जांच के लिए तर्क मजबूत दिख रहा था। ऐसे में सरकार ने आनन-फानन में प्रकरण ईओडब्ल्यू-एसीबी के हवाले कर दिया। सरकार के फैसले पर महंत की प्रतिक्रिया नहीं आई है, और संभव है कि वो सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाए। कुल मिलाकर ईओडब्ल्यू-एसीबी की जांच के बावजूद मामला ठंडा होते नहीं दिख रहा है।

जांच और प्रमोशन 

वैसे तो रायपुर-विशाखापटनम भारतमाला परियोजना के मुआवजे में भ्रष्टाचार का मामला पिछली सरकार के समय का है। मगर जिस तरह राजस्व विभाग घोटाले की जांच को लेकर हीला हवाला कर रही है, इसकी काफी चर्चा हो रही है। घोटाले के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार एसडीएम निर्भय कुमार साहू समेत 5 अफसरों को सस्पेंड किया गया। दिलचस्प बात यह है कि घोटालेबाजों पर कार्रवाई तब हुई जब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का सवाल लगा।

एसडीएम, और अन्य अफसरों के खिलाफ शिकायतें पहले भी हो चुकी थी। मगर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। और तो और घोटालेबाज एसडीएम को जगदलपुर नगर निगम का कमिश्नर बना दिया गया था। चर्चा है कि इस पूरे मामले में कई नेता और कुछ आईएएस अफसरों की संलिप्तता रही है।

 यही वजह है कि प्रकरण की जांच में देरी की गई है। अब ईओडब्ल्यू-एसीबी बड़े मछलियों तक पहुंच पाती है या नहीं, यह देखना है। हालांकि ईओडब्ल्यू-एसीबी सीजीएमएससी घोटाले की भी जांच कर रही है। दो आईएएस अफसरों की भूमिका स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुई है। दोनों से पूछताछ भी हुई है, लेकिन जिस तरह दोनों अफसर के करीबी लोग निश्चित हैं, वो उसकी काफी चर्चा हो रही है। वैसे भी ईओडब्ल्यू-एसीबी में प्रकरण के दर्ज होने के बावजूद कई अफसर लगातार प्रमोट होते रहे, और रिटायर भी हो गए। प्रकरण अभी भी दर्ज है। देखना है ताजा मामलों का क्या होता है।

बच्चों से छिन गया मुखौटा

प्रदेश में कानून व्यवस्था को बनाए रखने को लेकर पुलिस अफसरों के विचार अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन होली जैसे उल्लासपूर्ण त्योहार में अचानक लिए गए कठोर निर्णय आम लोगों को मायूस कर सकते हैं। प्रदेश में ऐसा कोई स्पष्ट आदेश नहीं है कि होली पर मुखौटे बेचने या पहनने पर प्रतिबंध लगाया जाए, लेकिन कोरबा पुलिस ने यह मानते हुए कि इनका इस्तेमाल आपराधिक तत्व कर सकते हैं, सडक़ किनारे होली का सामान बेचने वाले ठेले और रेहडिय़ों पर छापा मारते हुए करीब 3,000 मुखौटे जब्त कर लिए। यह कार्रवाई नए कानून बीएनएसएस की धारा 106 के तहत की गई, जो पुलिस को उस संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देती है, जिसका अपराध में इस्तेमाल होने की आशंका हो। पुलिस का कहना है कि यह कदम लूट, छीना-झपटी और छेड़छाड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए उठाया गया है। इतना ही नहीं, पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि यदि कोई व्यक्ति मुखौटा पहनकर घूमता मिले, तो तुरंत सूचना दें।

होली के रंग-बिरंगे मुखौटे, जैसे जोकरों, पौराणिक पात्रों, जानवरों और फिल्मी किरदारों के मुखौटे-बच्चों और युवाओं के बीच सालों से लोकप्रिय रहे हैं। ये न सिर्फ रंग-गुलाल से बचाव का एक तरीका हैं, बल्कि मज़ाक और सरप्राइज़ का हिस्सा भी होते हैं। लेकिन इस बार कोरबा में होली बिना मुखौटों के होगी, जिससे बच्चों की खुशी जरूर फीकी पड़ सकती है। मुखौटे बेचने वाले छोटी पूंजी पर धंधा करने वाले लोग हैं, उनका भी नुकसान हो गया।

मुखौटों को जब्त करने का आधार यह है कि इनका इस्तेमाल अपराधी पहचान छिपाने के लिए कर सकते हैं। लेकिन यह तर्क अधूरा लगता है। अगर केवल चेहरे छिपाने की वजह से मुखौटे जब्त किए जा रहे हैं, तो फिर हेलमेट भी इसी श्रेणी में आ सकता है, क्योंकि उसे पहनने के बाद भी चेहरा ढका रहता है।

कोरबा पुलिस ने दो दिन पहले शराब के नशे में गाड़ी चलाने वालों पर 1.70 लाख रुपये का भारी-भरकम जुर्माना वसूला था। अगर होली के दिन सडक़ पर निकलने वाले शराबी चालकों और उनकी संदिग्ध गतिविधियों पर निगरानी रखी जाए, तो न सिर्फ कानून व्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि अपराध की आशंका भी कम की जा सकती है। सही तरीके से चेकिंग की जाए, तो पुलिस इससे दस गुना ज्यादा राजस्व वसूल सकती है।

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