राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : हम अंग्रेजों के जमाने के टैक्स कलेक्टर हैं
10-Feb-2025 4:30 PM
राजपथ-जनपथ : हम अंग्रेजों के जमाने के टैक्स कलेक्टर हैं

हम अंग्रेजों के जमाने के टैक्स कलेक्टर हैं 

भारत में करीब 200 वर्ष राज करने वाले अंग्रेज देशवासियों से दो तरह से टैक्स लेते थे। एक किसानों से लगान और नौकरीपेशा मुलाजिमों से इनकम टैक्स कह सकते हैं । इनकम टैक्स सबसे पहले अंग्रेजी हुकूमत ने ही लगाया था। वह भी देश छोडऩे से दो वर्ष  पहले 1945 से इनकम टैक्स लगाया था। यानी  उस वक्त यह टैक्स आठ पैसे से लेकर दो आने तक के अलग-अलग आय पर अलग-अलग स्लैब था। सस्ते के उस जमाने के लोग भी टैक्स से परेशान रहे होंगे। इनकम टैक्स लगे 80 वर्ष बीत चुके हैं। और इस दौरान देशवासियों कि इनकम लाखों गुना बढ़ी और उसी अनुपात में टैक्स भी। पर अंग्रेजी हुकूमत को नहीं पता था कि उनका लगाया टैक्स कभी एक तरह से  शून्य भी कर दिया जाएगा। अभी 1 फरवरी को पेश बजट में सरकार ने 12 लाख तक की आय को कर मुक्त कर दिया है।  हालांकि इसके गुणा- भाग को लेकर सदन से सडक़ तक बहस जारी है।  उस वक्त के टैक्स स्लैब को अंग्रेजों के आदेश की यह दुर्लभ प्रति हमें इनकम टैक्स से ही एक अधिकारी रहे सुरेश मिश्रा ने शेयर की है।

शराब बनाने की छूट का लाभ किसे?

कई राज्यों, विशेष रूप से छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में आदिवासी समुदाय को महुआ से शराब बनाने की छूट दी गई है। सरकारें इसे उनकी परंपरा, रीति-रिवाज और सांस्कृतिक पहचान से जोडक़र इस पर रोक लगाने से बचती रही हैं। लेकिन इस छूट की आड़ में गैर आदिवासी महुआ शराब बनाकर धड़ल्ले से अवैध रूप से बेच रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में कई नेताओं और मंत्रियों ने महुआ शराब के उत्पादन को आदिवासी संस्कृति से जोड़ते हुए इसे जारी रखने का समर्थन किया है, जैसे पूर्व मंत्री कवासी लखमा। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने इसे आदिवासी अधिकारों से जोड़ा था, पर इसे नियंत्रित करने के पक्षधर थे। भाजपा नेता ननकीराम कंवर, नंदकुमार साय आदिवासी समाज में शराबबंदी की पैरवी करते हैं।

मध्य प्रदेश में 2020 में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने पारंपरिक शराब को कानूनी मान्यता देने की घोषणा की थी। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार ने 2022 में महुआ लिकर को पारंपरिक मदिरा के रूप में मान्यता देने की योजना बनाई थी। झारखंड में भी इसे आदिवासी समुदाय के अधिकार के रूप में देखा गया है। लेकिन इन राज्यों में महुआ शराब को पारंपरिक उपयोग के नाम पर बनाए जाने की अनुमति इसके बड़े पैमाने पर अवैध कारोबार को शह देती है। कई गैर-आदिवासी इलाकों में पुलिस तथा आबकारी विभाग की मिलीभगत से इसे बेचा जाता है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के लोफंदी गांव में हाल ही में महुआ शराब के सेवन से आठ लोगों की मौत हुई, जिन लोगों की अवैध महुआ शराब के निर्माण की बात आ रही है।

शराब के दूसरे फॉर्मेट की तरह महुआ शराब भी कम नुकसानदायक नहीं है। बल्कि, इसे बनाने के तरीके पर किसी भी तरह की निगरानी ही नहीं होती। बेचने के लिए बनाई जाने वाली कच्ची महुआ शराब में नशा बढ़ाने के लिए यूरिया खाद, तंबाकू और कीटनाशक दवा का उपयोग किया जाता है। तंबाकू में निकोटिन होता है, जो दिमाग और स्नायु तंत्र को प्रभावित करता है, और सड़ाया गया महुआ पाचन तंत्र को नष्ट कर देता है। तंबाकू एवं महुए के रस से बना नशीला पेय पेट में अल्सर पैदा कर सकता है। अधिक तेज महुआ शराब आमाशय, छोटी और बड़ी आंत में छाले पैदा करती है, जिनसे खून की उल्टी होती है। आंतरिक अंगों को इतनी बुरी तरह नुकसान पहुंचाती है कि मौत हो जाती है। इधर छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के बीच एनीमिया एक बड़ी समस्या बनकर आई है। सरगुजा, बस्तर से आदिवासियों की मौत की खबर रक्त की कमी के कारण हो जाने की खबरें अक्सर आती रहती है। शराब रक्त अल्पता की एक बड़ी वजह है।

बिलासपुर जिले में हुई मौतों के पीछे विषाक्त हो चुकी शराब है या नहीं, इस पर प्रशासन ने अब तक कुछ भी साफ-साफ जवाब नहीं दिया है। पर इसके दुष्परिणाम तो जगजाहिर हैं। आबकारी और पुलिस की अवैध कमाई का जरिया बने इस धंधे को रोकना शायद तभी मुमकिन है, जब महुआ शराब पर दी गई छूट पर निगरानी बढ़ाई जाए, दुरुपयोग रोका जाए।

सडक़ पर बिखरे रंग-बिरंगे सपने

रायपुर की एक सडक़ पर यह गुब्बारा विक्रेता अपने दोपहिया वाहन पर ढेर सारे रंग-बिरंगे गुब्बारे लेकर जा रहा है। लाल, नीले और हरे गुब्बारों से भरा यह दृश्य जितना आकर्षक है, उतना ही यह व्यक्ति के संघर्ष और जीवटता का प्रतीक भी है। सडक़ पर संतुलन साधते हुए यह विक्रेता अपनी रोजी-रोटी की तलाश में निकला है, जो महानगर का रूप लेते शहर में आत्मनिर्भर छोटे व्यवसायियों की बढ़ती भूमिका को व्यक्त करता है। यह तस्वीर रोज़मर्रा की जद्दोजहद और सपनों को साकार करने की जिद बनकर उभरती है। भले ही उसका अपना जीवन अपनी आजीविका की चिंता से घिरा हो।

([email protected])

अन्य पोस्ट

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news