राजपथ - जनपथ
डेट देखकर ईश्वर अपने श्री चरणों में स्थान दें
पहले कोरोना काल और फिर उसके बाद से ट्रेनें वह भी यात्री ट्रेनें लगातार रद्द कर रहा है। कभी ट्रैक फिटनेस, मेंटेनेंस नान इंटरलॉकिंग, पुल पर गर्डर बिठाने, दूसरी तीसरी और चौथी लाइन को बिछाने जोडऩे आदि आदि कारण बताते रहा है। लेकिन अब बढ़ते कोहरे के मौसम को देखते हुए कुछ ट्रेनों को अस्थायी रूप से रद्द करने का फैसला लिया है। इनमें छत्तीसगढ़ को बनारस वाराणसी से जोडऩे वाली सारनाथ एक्सप्रेस भी शामिल हैं। ऐसे में दिसंबर से मार्च अंत तक अस्थि विसर्जन,श्राद्ध कर्म के लिए वाराणसी जाने वालों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
हमारी ईश्वर से प्रार्थना है कि सभी लंबी न सही अप्रैल तक की आयु से परिपूर्ण करें। दुर्ग-छपरा-दुर्ग एक्सप्रेस (नंबर 15160/15159) को दिसंबर से मार्च तक ऐसे कैंसिल किया गया है मानो यमराज, इस ट्रेन की जर्नी डेट देखकर लोगों की आत्मा ले जाएंगे। यह ट्रेन एक दिन चलेगी तो दूसरे दिन रद्द रहेगी। ऐसे में किसी परिजन को खोने से अधिक दुखदायी, पीड़ा से अधिक उनका अस्थि विसर्जन करना होगा। एक महराज नेे ही इस ओर हमारा ध्यानाकृष्ट कराया है।
उनका कहना था कि ऐसे अंतराल के बजाए रेल प्रशासन मार्च तक पूरा ही रद्द कर दे। हम यहां वो डेट दे रहे हैं जिन दिनों ट्रेन रद्द रहेगी इस पीड़ा की शुरुआत 3 दिसंबर से होगी। ट्रेन 3, 5, 8, 10, 12, 15, 17, 19, 22, 24, 26, 29, 31 तारीख , फिर जनवरी में 2, 5, 7, 9, 12, 14, 16, 19, 21, 23, 25, 28, 30 और 02, 04, 06, 11, 13, 16, 18, 20, 23, 25 फरवरी एवं 27 मार्च 25 को रद्द रहेगी। इसी तरह से छपरा से वापसी में 15159 छपरा-दुर्ग एक्सप्रेस 2, 4, 7, 9, 11, 14, 16, 18, 21, 23, 25, 28, 30 दिसंबर, 2024, 01, 04, 6, 8, 11, 13, 15, 18, 20, 22, 25, 27, 29 जनवरी, 1, 3, 5, 8, 10, 12, 15, 17, 19, 22, 24 एवं 26 मार्च- 25 को निरस्त रहेगी। शेष तिथियों में पूर्ववत चलाई जाएगी।
जीत से बड़ी शपथ
प्रदेश में पहले भी उपचुनावों में विधायक चुनकर आए हैं, लेकिन जो तामझाम सुनील सोनी के शपथ ग्रहण में दिखा, वो पहले किसी नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ में नहीं था। राज्य बनने के बाद सबसे पहले मरवाही विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए। उस समय भाजपा विधायक रामदयाल उइके ने तत्कालीन सीएम अजीत जोगी के लिए नाटकीय अंदाज में विधानसभा से इस्तीफा दिया था, और वो कांग्रेस में शामिल हुए। मरवाही सीट पर पहले उपचुनाव में अजीत जोगी रिकॉर्ड वोटों से चुनाव जीते। जीत के बाद सीएम रहते उन्होंने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल के कक्ष में विधिवत विधानसभा की सदस्यता ग्रहण की।
अजीत जोगी से लेकर सुनील सोनी तक उपचुनावों में दर्जनभर से अधिक विधायक चुने गए। ज्यादातर नवनिर्वाचित विधायकों ने अध्यक्ष के कक्ष में ही शपथ ली। मगर सुनील सोनी के शपथ के सैकड़ों पार्टी नेता साक्षी बने। एक हॉल में सुनील सोनी को गुरुवार को शपथ दिलाई गई। डायस में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, सीएम विष्णुदेव साय, संसदीय कार्यमंत्री केदार कश्यप, विधानसभा सचिव दिनेश शर्मा के साथ ही सुनील सोनी व सांसद बृजमोहन अग्रवाल भी विजयी मुस्कान बिखेरते विराजमान थे।
डायस के नीचे कुर्सियों में प्रथम पंक्ति में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, गौरीशंकर अग्रवाल, स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल, और टंकराम वर्मा बैठे थे। इसके अलावा कई विधायक भी थे। सुनील सोनी के शपथ के लिए सांसद बृजमोहन अग्रवाल, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से अनुमति लेकर एक दिन पहले ही आ गए थे।
शपथ के बाद सुनील सोनी ने कार्यकर्ताओं के बीच बैठकर लॉबी में फोटो भी खिंचवाई। स्वागत सत्कार के बीच थोड़ी चूक भी हो गई। कार्यकर्ताओं के लिए नाश्ते का इंतजाम किया गया था, लेकिन नाश्ता विलंब से पहुंचा। तब तक ज्यादातर कार्यकर्ता निकल चुके थे। बाद में वहां कर्मचारियों को वितरित किया गया। कुल मिलाकर सुनील सोनी की जितनी बड़ी जीत थी उतना ही बड़ा शपथ ग्रहण समारोह रहा।
नगरीय चुनाव टलेंगे तो नहीं?
प्रदेश में नगरीय निकायों का कार्यकाल दिसंबर में समाप्त होने जा रहा है। राज्य निर्वाचन आयुक्त की ओर से पंचायतों और नगरीय चुनावों के लिए बैठक तो ली जा रही है लेकिन सरकार की ओर से ऐसा कोई संकेत नहीं मिल रहा है कि कार्यकाल खत्म होने के साथ चुनाव हो जाएंगे। पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए आयोग की रिपोर्ट सरकार को सौंपी जा चुकी है, मगर इसकी भी कोई सुगबुगाहट दिखाई नहीं दे रही है। पिछले दिनों हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस विषय पर चर्चा के कयास लगाए जा रहे थे, पर कोई निर्णय नहीं हुआ। एक बात जरूर हुई है कि नगर-निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों के अध्यक्षों और जनप्रतिनिधियों को जारी किया जाने वाला फंड अधिकांश नगरीय निकायों में रोक दिया गया है। सरकार के पास अधिकार है कि वह अध्यादेश लाकर चुनाव को 4-6 माह आगे सरका सकती है। सभी राजनीतिक दलों को फैसले, खासकर आरक्षण प्रक्रिया शुरू होने की प्रतीक्षा है।
एक रेट में नारियल पानी
भारत के तकरीबन सभी राज्यों को घूम चुके इस सैलानी ने सोशल मीडिया पर एक दिलचस्प पोस्ट डाली है। उनका कहना है कि नारियल पानी का रेट पूरे देश में एक जैसा है। चाहे दिल्ली, लखनऊ में पी लो या नारियल उत्पादक गोवा, आंध्रप्रदेश, केरल में। हर जगह यह करीब 60 रुपये में ही मिलेगा। यदि दक्षिण भारत से उत्तर भारत नारियल लाया जा रहा हो तो उसका भाड़ा भी तो लगता होगा। सवाल तार्किक है। आप भी इसका जवाब ढूंढ पाएं तो पता करिये..।