राजपथ - जनपथ
तो हैरान मत होना...
आईपीएस के 89 बैच के अफसर, और डीजीपी अशोक जुनेजा फरवरी के पहले हफ्ते में रिटायर हो रहे हैं। उन्हें छह माह का एक्सटेंशन दिया गया था। जुनेजा के रिटायरमेंट के पहले ही उनके उत्तराधिकारी के नामों पर चर्चा चल रही है। सीएम विष्णुदेव साय ने दो दिन पहले मीडिया से चर्चा में कहा कि समय आने पर डीजीपी की नियुक्ति कर दी जाएगी।
चर्चा यह भी है कि अशोक जुनेजा को छह माह का एक्सटेंशन और दिया जा सकता है। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने के लिए अभियान छेड़ा हुआ है, और इसके लिए मार्च-2027 तक नक्सलियों के खात्मे के लिए समय-सीमा निर्धारित की है। इसकी वजह से पहले केन्द्र सरकार में बस्तर आईजी सुंदरराज पी के एनआईए में पोस्टिंग को निरस्त कर दिया गया। उन्हें बस्तर में यथावत रखने के लिए कहा गया है। जबकि सुंदरराज को राज्य सरकार ने पहले प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए हरी झंडी दी थी। इन सबकी वजह से जुनेजा को एक्सटेंशन मिल जाए, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। देखना है आगे क्या होता है।
बिल्डर की ताकत
रायपुर नगर निगम सीमा क्षेत्र के गांव अमलीडीह में कॉलेज के लिए आरक्षित 9 एकड़ सरकारी जमीन को नामी बिल्डर रामा बिल्डकॉन को आबंटित करने का मामला गरमा गया है। पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा ने विधायक रहते ग्रामवासियों की सहमति से कॉलेज के लिए उक्त जमीन को आरक्षित करने के लिए पहल की थी। मगर गुपचुप तरीके से जमीन रामा बिल्डकॉन को आबंटित कर दी गई।
बताते हैं कि कांग्रेस सरकार की सरकारी जमीन के आबंटन की नीति रही है। बाजार दर पर सरकारी जमीन को आबंटित किया जा सकता था। रामा बिल्डकॉन के डायरेक्टर राजेश अग्रवाल ने विधानसभा आम चुनाव की मतगणना के तीन दिन पहले उक्त जमीन को आबंटित करने के लिए आवेदन लगाया था, और तत्कालीन कलेक्टर ने आनन-फानन में आबंटन से जुड़ी सारी प्रक्रिया पूरी कर मंत्रालय भिजवा दिया।
सरकार बदल गई, लेकिन रामा बिल्डकॉन के आवेदन पर कार्रवाई गुपचुप चलती रही। इसी बीच साय सरकार ने कांग्रेस सरकार की जमीन आबंटन की नीति को ही निरस्त कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि निरस्तीकरण के आदेश से पहले ही रामा बिल्डकॉन को जमीन आबंटित करने का फैसला हो गया। यह फैसला जून में ही हो गया था, और अब जब बात छनकर बाहर निकली, तो ग्रामीण गुस्से में हैं।
रायपुर ग्रामीण के विधायक मोतीलाल साहू ने राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने सीएम के संज्ञान में मामला लाया है। साहू ने तत्कालीन कलेक्टर को घेरे में लिया है। वे सीएम से इस मामले पर हस्तक्षेप करने के लिए दबाव बनाए हुए हैं। चाहे कुछ भी हो, राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली जग जाहिर हुई है।
आवास के लिए हडक़ंप
प्रदेश में भाजपा की सरकार लौटी तो उसमें प्रधानमंत्री आवास योजना पर किया गया वादा भी एक कारण था। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में कैबिनेट की पहली ही बैठक में 18 लाख अधूरे आवासों को पूरा करने की मंजूरी दे दी गई थी। इनमें नगरीय क्षेत्रों के भी आवास शामिल थे। शहरी क्षेत्रों में हितग्राहियों को सीधे राशि न देकर इन निकायों के माध्यम से काम कराया जाता है। हाल ही में जो रिपोर्ट्स मंगाई गई है, उसके अनुसार शहरों में 40 फीसदी से भी कम आवास तैयार हो पाए हैं। अब अल्टीमेटम दिया गया है कि 31 दिसंबर से पहले सभी आवासों का निर्माण पूरा कर लिया जाए। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनको अधूरे आवासों के लिए कोई अनुदान नहीं मिलेगा। निकायों को अपने मद से खर्च कर आवासों को पूरा कराना होगा। इस आदेश के बाद निकायों के अफसरों में हडक़ंप मचा हुआ है। इंजीनियर्स मजदूरों और मिस्त्रियों की तलाश में जुटे हैं। अधिकांश नगरीय निकायों में बिजली बिल पटाने और वेतन देने के लिए पैसेनहीं होते, पर प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए फंड पड़ा होने के बावजूद समय पर काम नहीं कराया जा रहा है। कुछ अभियंता बता रहे हैं कि 31 दिसंबर तक बचा काम पूरा होने की उम्मीद नहीं है, पर वे सर्टिफिकेट बना लेंगे। दूसरी उम्मीद यह भी है कि यह डेटलाइन आगे बढ़ जाएगी।
इतनी साफ-सफाई?
रेलवे जोन बिलासपुर की ओर से सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया गया है। रेल यात्रियों से की गई बातचीत भी इसमें दर्ज है। इसमें बताया गया है कि स्लीपर और जनरल क्लास की बोगियों में अब कितनी स्वच्छता बरती जा रही है। तस्वीर में दिखाई गई साफ-सुथरी बास-बेसिन आपको कभी दिखे तो आप भी रेलवे को टैग करके बताएं।