खराब दौर में 2010 बैच के डीआईजी
राज्य के आईपीएस बिरादरी में डीआईजी स्तर के अफसरों के लिए हाल ही के महीने काफी बुरे साबित हो रहे हैं। पिछले तीन महीनों के भीतर राज्य में हुई घटनाओं के लिए सीधे डीआईजी स्तर के अफसरों को निलंबित अथवा जिले से हटाया गया।
एक बड़ी घटना में बलौदाबाजार हिंसा के मामले में 2010 बैच के आईपीएस डीआईजी सदानंद कुमार पर निलंबन की गाज गिरी। उनके खिलाफ अभी भी विभागीय जांच चल रही है। पिछले दिनों आईजी-एसपी व कलेक्टर कान्फ्रेंस के फौरन बाद मुंगेली एसपी गिरजाशंकर जायसवाल को भी हटा दिया गया। उनकी भी कार्यशैली पर सवाल उठ रहे थे।
इसी बैच के अफसर अभिषेक मीणा पीएचक्यू में डीआईजी हैं। उनके पास भी कोई प्रभार नहीं है। जबकि पिछली सरकार में मीणा राजनांदगांव और रायगढ़ व कोरबा जैसे जिले के एसपी रहे हैं। सरकार बदलने के बाद से वो लूपलाईन में हैं। अब एक ताजा मामले में डीआईजी स्तर के अफसर सूरजपुर एसपी एमआर अहिरे को भी पुलिसकर्मी की पत्नी और बेटी की जघन्य हत्या के मामले में जिम्मेदार ठहराते हुए पीएचक्यू पदस्थ किया गया है। यह संयोग है कि अहिरे भी 2010 बैच के आईपीएस हैं। वह प्रमोटी आईपीएस हैं।
बताते हैं कि आईपीएस बिरादरी में डीआईजी स्तर के अफसरों पर हो रही सिलसिलेवार कार्रवाई से कई करीबी अफसर हँसी-मजाक में उन्हें पूजा-अर्चना और मंदिरों में माथा टेकने की नसीहत भी दे रहे हैं।
दक्षिण और मुस्लिम
रायपुर दक्षिण में मुस्लिम समाज से कुल 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। मुस्लिम समाज को कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। यही वजह है कि इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में उतरने से कांग्रेस में हडक़म्प मचा हुआ है।
वर्ष-2023 के विधानसभा आम चुनाव में भी बड़ी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे लेकिन ढेबर बंधु आखिरी दिन तीन-चार को छोडक़र बाकी सभी के नामांकन वापस करवाने में सफल रहे। कुछ इसी तरह की कोशिश इस बार भी हो रही है लेकिन ऐसा कर पाना कांग्रेस के रणनीतिकारों के लिए आसान नहीं है। कांग्रेस सत्ता में नहीं है, और चर्चा है कि ज्यादातर प्रत्याशी भाजपा के लोगों से जुड़े हुए हैं। ऐसे में वो आसानी से मान जाएंगे इसकी संभावना कम दिख रही है।
रायपुर दक्षिण में मुस्लिम वोटरों की संख्या सर्वाधिक है, और तकरीबन 25 हजार के आसपास मुस्लिम वोटर हैं। हालांकि पहले भी बड़ी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरते रहे हैं, लेकिन सारे मुस्लिम प्रत्याशी मिलाकर पांच हजार के आसपास ही वोट हासिल कर पाते रहे हैं। इस बार क्या तस्वीर बनती है यह तो नाम वापिसी के बाद पता चलेगा।
बड़े-बड़ों को छोटा-छोटा जिम्मा
रायपुर दक्षिण में कांग्रेस, और भाजपा के दिग्गज नेता वार्डों में प्रचार के लिए जा रहे हैं। भाजपा ने तो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत और मोतीलाल साहू को एक-एक मंडल की जिम्मेदारी सौंप दी है। हरेक मंडल में पांच-पांच वार्ड आते हैं। इन सबके अलावा जिन विधायकों को झारखंड और महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के लिए नहीं भेजा गया है वो सभी रायपुर दक्षिण में प्रचार के लिए जुट रहे हैं।
दूसरी तरफ, कांग्रेस में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज रोज चुनाव प्रचार की मानिटरिंग कर रहे हैं। इसके अलावा पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेन्द्र साहू भी प्रचार में जुटेंगे। धनेन्द्र साहू का निवास रायपुर दक्षिण में है, वो सक्रिय भी हैं। इन सबके बीच प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सचिन पायलट भी जल्द प्रचार में यहां आएंगे और हरेक मोहल्ले में जनसंपर्क करेंगे। ये सब कार्यक्रम दीवाली के बाद होगा। कुल मिलाकर दीवाली के बाद दक्षिण का चुनावी माहौल गरमाने के आसार हैं।
स्टेशन चकाचक हो जाए तो भी क्या?
295 किलोमीटर लंबी कटघोरा-डोंगरगढ़ रेल लाइन के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम उठा है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में खनिज विकास निधि सलाहकार समिति की बैठक में भू अर्जन और प्रारंभिक कार्य के लिए 300 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इस लाइन के लिए आजादी से पहले से मांग उठ रही है। अंग्रेजों ने इसका नक्शा बनाकर काम भी शुरू कर दिया था। यह रेल लाइन कवर्धा, मुंगेली, लोरमी, तखतपुर जैसे इलाकों से गुजरने वाली है, जहां से अभी भाजपा के कई कद्दावर मंत्री और विधायक प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि पूरी परियोजना करीब 5950 करोड़ रुपये की है पर एक शुरूआत हुई है, जिसका श्रेय जनप्रतिनिधि ले सकते हैं।
मगर, एक दूसरी परियोजना और है, जिसके लिए इंतजार लंबा होता जा रहा है। वह है बस्तरवासियों को रेल के जरिये राजधानी पहुंचना सुगम बनाना। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की समिति में कुछ रेल परियोजना के लिए राशि मंजूर की गई, लेकिन उसमें बहुप्रतीक्षित रावघाट-जगदलपुर शामिल नहीं है। मोदी की मौजूदगी में करीब 10 साल पहले 9 मई 2015 को दंतेवाड़ा में इस रेल लाइन के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके लिए बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी गठित की गई थी, जिसमें सेल, एनएमडीसी, इरकॉन और सीएसडीसी शामिल हैं। लंबे समय तक तो इसी बात पर विवाद होता रहा कि किस उपक्रम की कितनी हिस्सेदारी रहेगी। संभवत: यह अब तक हल भी नहीं हुआ है। अभी स्थिति यह है कि इस परियोजना पर सिर्फ दुर्ग से ताड़ोकी तक काम हुआ है। उसके बाद सब ठंडे बस्ते में है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस साल केंद्रीय बजट के बाद एक वृहद प्रेस कांग्रेस वीडियो कांफ्रेंस के जरिये ली थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि छत्तीसगढ़ के लिए 6000 करोड़ से अधिक की मंजूरी दी गई है, जो अब तक कभी नहीं मिली थी। जब उनसे रावघाट परियोजना पर पूछा गया तो उनकी ओर से अधिकारियों ने यही बताया कि यह अकेले रेलवे का प्रोजेक्ट नहीं है, बाकी निगम, उपक्रमों से बात करनी पड़ेगी। तो स्थिति यह है कि बस्तर को राजधानी से रेल लाइन के जरिये जुडऩे में अभी भी शायद एक दशक या उससे ज्यादा लग जाए। मजे की बात यह है कि अमृत भारत योजना में जगदलपुर रेलवे स्टेशन को शामिल कर यहां 17 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब रेल लाइन की सुविधा ही नहीं देनी है तो इस खर्च का क्या मतलब?
असली घी, नकली घी
गुजरात के गांधीनगर में एक फैक्ट्री में छापा मारकर नकली अमूल घी पकड़ा गया है। इसके बाद लोग सोशल मीडिया पर तस्वीरें डालकर बता रहे हैं कि बाजार में अमूल ही नहीं कई ब्रांड्स के नकली घी भरे पड़े हैं। इस तस्वीर में एक पैकेट असली है, एक नकली।