राज्यसभा कागज तैयार
राज्य वनौषधि बोर्ड के पूर्व चेयरमैन रामप्रताप सिंह को राज्यसभा में भेजे जाने का भाजपा में हल्ला है। इसकी पर्याप्त वजह भी है। रामप्रताप जशपुर इलाके के रहने वाले हैं, और सीएम विष्णुदेव साय के करीबी भी माने जाते हैं। लेकिन उन्होंने पिछले दिनों राज्यसभा के नामांकन के लिए जरूरी कागजात तैयार कराए, तो पार्टी के भीतर कानाफूसी शुरू हो गई।
कुछ इसी तरह की तैयारी वर्ष 2018 में धरमलाल कौशिक ने भी कर रखी थी। उन्होंने तो अधिकृत घोषणा से पहले नामांकन फार्म मंगवा लिए थे। मीडिया में इसकी खबर लीक हो गई, और पार्टी ने आखिरी क्षणों में कौशिक की जगह सरोज पाण्डेय को प्रत्याशी बना दिया। रामप्रताप ने नामांकन तो नहीं खरीदे हैं, लेकिन आईटी रिटर्न आदि पेपर तैयार करने के बाद से पार्टी के भीतर राज्यसभा में जाने का हल्ला उड़ा है।
रामप्रताप सिंह की दावेदारी इसलिए भी मजबूत मानी जा रही है कि वो संगठन महामंत्री के रूप में काफी मेहनत करते रहे हैं। रामप्रताप सिंह पिछड़ा वर्ग से आते हैं। खास बात यह है कि राज्य बनने के बाद अब तक भाजपा से पिछड़ा वर्ग से एक भी नेता राज्यसभा में नहीं गए हैं। वैसे चिंतामणि महाराज, और पिछड़ा वर्ग से महिला नेत्रियों के नाम की भी चर्चा है। चिंतामणि को तो विधानसभा चुनाव से पहले आश्वासन भी दिया जा चुका है। देखना है आगे क्या होता है।
अपनों ने ही समझाईश दी विधानसभा में
विधानसभा में कुछ नए विधायक बेहतर परफार्मेंस दिखा रहे हैं। कुछ को नियम प्रक्रिया की जानकारी कम है। ऐसे ही विपक्ष के एक विधायक अटल श्रीवास्तव को नाराजगी का भी सामना करना पड़ा। अटल पर नाराजगी आसंदी ने नहीं बल्कि पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने जताई थी।
हुआ यूं कि प्रश्नकाल में सदन की कार्रवाई चल रही थी, और इसी बीच अध्यक्षीय दीर्घा में अटल श्रीवास्तव के कोई परिचित बैठे हुए थे। अटल सदन की कार्रवाई के बीच उनके पास पहुंच गए, और उनसे बतियाने लगे। यह देखकर भूपेश बघेल गुस्से में आ गए, उन्होंने अटल पर नाराज हुए तब कहीं जाकर वो अपनी सीट पर जाकर बैठे।
दूसरी तरफ, बेलतरा के विधायक सुशांत शुक्ला पहली बार अपना नंबर आने के बाद खड़े हुए, और सवालों की बौछार लगा दी। तब स्पीकर डॉ. रमन सिंह उन्हें रोकते हुए कहा कि आप एक-एक कर तीन सवाल पूछ सकते हैं, और जरूरी होने पर मैं और भी अनुमति दूंगा। इससे परे कुछ नए विधायक रिकेश सेन, भावना वोहरा और अनुज शर्मा का परफार्मेंस भी बेहतर दिखा है।
वॉल पेंटिंग की लड़ाई
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा छत्तीसगढ़ में प्रवेश करते ही जिस तरह से विवादों में घिर गई उसने कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं दिया। रायगढ़ के रेंगालपाली सभा स्थल के आसपास की दीवारों में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और विधायक देवेंद्र यादव के नाम पर जिंदाबाद के नारे लिखे गए थे, जिन्हें रातों-रात मिटा दिया गया और उसकी जगह विधायक उमेश पटेल के नारे लिख दिए गए। अब जब इस समय रायगढ़ से आगे खरसिया की ओर राहुल गांधी आगे बढ़े होंगे तो उन्हें दीवारों पर पोती गई कालिख जरूर नजर आई होगी। इसके लिए क्या उमेश पटेल के समर्थक जिम्मेदार हैं, यह तो उनका बयान सामने आने पर ही मालूम होगा। इधर, बीते 8 फरवरी को जब छत्तीसगढ़ में यात्रा में प्रवेश किया तो जनसभा के वीआईपी गेट से एंट्री नहीं मिलने पर पूर्व विधायक प्रकाश नायक भी नाराज होकर धरना देने लग गए थे। उम्मीद के मुताबिक इसमें भीड़ भी नहीं पहुंची। विधानसभा चुनाव में भले ही परिणाम बहुत अच्छा नहीं रहा लेकिन कांग्रेस के असर वाले खरसिया, लैलूंगा, धर्मजयगढ़ से भी नहीं लाई जा सकी। अब जब कोरबा, सक्ती, कटघोरा होते हुए अंबिकापुर की ओर यात्रा बढ़ रही है तब प्रदेश के नेताओं ने कल आनन-फानन में सात पूर्व विधायकों सहित 11 पदाधिकारियों को स्थानीय नेताओं की मॉनिटरिंग पर लगा दिया है। प्रदेश कांग्रेस के नए प्रभारी महासचिव सचिन पायलट के लिए यह कोई नया अनुभव नहीं होगा। आखिर राजस्थान में भी पिछले 5 साल उनके और गहलोत के बीच इसी तरह की खींचतान मची हुई थी।
लग्जरी ट्रेन की बिरयानी
पिछले दिनों रानी कमलापति स्टेशन से जबलपुर जा रहे रेल यात्री को बुक की गई अपनी बिरयानी की थाली में मरा हुआ कॉकरोच मिला। उन्होंने अटेंडेंट से शिकायत की। कैटरिंग स्टाफ के लोग आकर माफी मांगने लगे। मगर यात्री ने इसे मामूली चूक नहीं माना और आईआरसीटीसी के सोशल मीडिया पेज पर तस्वीरों के साथ शिकायत कर दी। अब पता चला है कि आईआरसीटीसी ने सेवा देने वाले कैटरिंग कंपनी पर 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। रेलवे बोर्ड ने भी अलग से 25 हजार रुपए ठोक दिया है। यह वाकया महंगी टिकट वाले वंदे भारत एक्सप्रेस का है। इसलिए साफ कोच, शीशे, सीट खिड़कियां देखकर यह मान लेना ठीक नहीं है कि वीआईपी ट्रेनों में सारी सुविधाएं भी फर्स्ट क्लास होगी। कम से कम खाने पीने का सामान तो एक बार जरूर चेक कर लेना चाहिए, चाहे किसी भी क्लास में सफर कर रहे हों।
घरेलू गैस की परवाह नहीं
भाजपा ने विधानसभा चुनाव के समय महिलाओं से जुड़ी दो बड़ी घोषणाएं की थी। इनमें से एक महतारी वंदन योजना पर तेजी से काम हो रहा है और अब तक लाखों लोग फॉर्म भर चुके हैं। सिलसिला पूरे प्रदेश में चल रहा है। दूसरा वादा 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने का था। विपक्ष की प्रतिक्रियाओं में इस दूसरी घोषणा को लेकर सरकार को कटघरे में लिया जा रहा है, लेकिन 1000 रुपए प्रतिमाह मिलने वाले लाभ ने रियायती घरेलू गैस के वादे की ओर लोगों का ध्यान ही हटा दिया है। इस वित्तीय वर्ष में इस पर अमल की गुंजाइश भी कम दिखाई दे रही है। सरकार की ओर से बार-बार यह कहा जा रहा है कि हम मोदी की गारंटी को 5 साल में पूरी करेंगे। सारी गारंटियां एक साथ पूरी हो जाने की उम्मीद करना शायद ज्यादती हो। वैसे घोषणाओं में एक यह भी था कि प्रतिवर्ष एक लाख युवाओं को नौकरी दी जाएगी। बजट में इसका भी कोई जिक्र नहीं है।