राजपथ - जनपथ

कार्तिकेय के डर से, दिलीप के होटल में!
राज्यसभा चुनाव में विधायक और सांसद वोटों की खरीद-फरोख्त कोई नई बात नहीं है, और आज तो हिन्दुस्तान में संसदीय मंडी चकलाघर की तरह चलती है। चकलाघर कहना भी कुछ ज्यादती होगी क्योंकि वहां पर तो महिला सिर्फ अपना खुद का बदन बेचती है, जब सांसद और विधायक अपने को बेचते हैं, तो वे उन्हें चुनने वाली जनता का विश्वास बेचते हैं, अपनी पार्टी के प्रति वफादारी बेचते हैं, और अपना ईमान बेचते हैं, जो कि देह बेचने के मुकाबले बहुत ही घटिया काम है।
अब आज पार्टियों की हालत यह हो गई है कि अपने लोगों को ऐसा घटिया काम करने से रोकने के लिए उन्हें दूसरे प्रदेशों में ले जाकर अपनी सरकार और अपनी पार्टी की निगरानी में ठहराना पड़ता है, और उन्हें सात सितारा ऐशोआराम देना पड़ता है। हरियाणा से कांग्रेस के 28 विधायकों को लाकर इसी वजह से छत्तीसगढ़ के रायपुर में सबसे महंगे होटल में ठहराया गया है, और कांग्रेस की सरकार होने से उसे सरकारी निगरानी से घेर दिया गया है। दिलचस्प बात यह है कि यह होटल दिलीप रे नाम के एक भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री का है। ओडिशा के दिलीप रे ने 2002 में वोटों को खरीदकर राज्यसभा की सदस्यता खरीदी थी। आज संयोग ऐसा है कि वैसे भूतपूर्व सांसद की वर्तमान होटल में भावी वोटरों को ठहराकर उनकी खातिरदारी की जा रही है। एक समय उत्तर भारत के एक राज्य के बारे में सुना जाता था कि वहां बंदूक की नोंक पर शादी के लायक लडक़े को उठाकर बंदूकों के घेरे में अपनी लडक़ी से उसकी शादी करवा दी जाती थी। आज उसी तरह नोटों के घेरे में विधायकों को उठाकर अपना सांसद बनवाया जाता है।
लेकिन इसके अलावा भी एक दिलचस्प संयोग हरियाणा के इस चुनाव से रायपुर का जुड़ा हुआ है। जिस निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा को लेकर कांग्रेस को यह आशंका है कि वह कांग्रेस विधायकों को खरीद सकता है, वह भी रायपुर में कारोबार कर चुके विनोद शर्मा का बेटा है, और उनका भी रायपुर में पिकैडली होटल है। मतलब यह कि पिकैडली के लिए वोट करने का खतरा रखने वाले विधायकों को मेफेयर लेक रिसॉर्ट में ठहराया गया है। कार्तिकेय शर्मा का परिचय लिखता है कि वे पिकैडली ग्रुप के एमडी हैं। वे और भी कई कंपनियों के मालिक हैं, और उनके पिता का मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ जैसे कई राज्यों में शराब का बड़ा कारोबार रहा है। अब जाहिर है कि इतने ताकतवर के हाथ बिकने से बचने के लिए हरियाणा के कांग्रेस विधायकों को छत्तीसगढ़ की हिफाजत में रखा गया है, यह एक और बात है कि इसी तरह सांसद और केन्द्रीय मंत्री बने दिलीप रे की होटल में रखा गया है।
संबंध अच्छे रखने का नतीजा
छत्तीसगढ़ में आयकर अपीलीय अधिकरण का नया दफ्तर खुला, तो व्यापारी वर्ग को काफी राहत मिली। अधिकरण का स्थाई दफ्तर खुलवाने के लिए सांसद सुनील सोनी ने काफी मेहनत की थी। खुद केन्द्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने मंच से कहा कि सोनीजी लगातार इसके लिए प्रयासरत थे, और उनके विशेष आग्रह पर ही वो उद्घाटन के लिए यहां आए हैं अन्यथा दिल्ली से ही वर्चुअल उद्घाटन की सोच रहे थे।
अधिकरण की स्थापना चेम्बर की पुरानी मांग रही है। पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र बरलोटा इस सिलसिले में सुनील सोनी के साथ पहले भी कई बार दिल्ली जाकर केन्द्र सरकार के प्रमुख नेताओं से मिल चुके हैं। अधिकरण के उद्घाटन के मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री एसपीएस बघेल भी मौजूद थे। बघेल की सुनील सोनी से अच्छी मित्रता है।
बघेल, यूपी चुनाव में अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे, तो सुनील सोनी उनके प्रचार के लिए हफ्तेभर वहां डटे रहे। बघेल यहां उद्घाटन के लिए आए, तो सुनील सोनी के लिए आगरा का पेठा लेकर आए थे। केन्द्र हो या राज्य, जिस नेता के मंत्रियों से अच्छे रिश्ते होते हैं, वो सरकारी काम जल्द करवा पाने में सफल होते हैं।
भरोसा हो तो ऐसा हो...
कांग्रेस में राज्यसभा टिकट के लिए भारी खींचतान थी। आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद जैसे कई दिग्गज प्रत्याशी बनने से वंचित रह गए, लेकिन एक व्यक्ति को राज्यसभा में जाने का पूरा भरोसा था, वो थे राजीव शुक्ला। शुक्लाजी ने तो शपथ पत्र के साथ संपत्ति विवरण, और अन्य जरूरी कागजात 26 मई को ही दिल्ली में तैयार करवा लिए थे। जबकि एआईसीसी ने प्रत्याशी की घोषणा 30 तारीख को की थी।
दूसरी तरफ, एक अन्य श्रीमती रंजीत रंजन को अपने नाम की घोषणा के बाद नामांकन दाखिले के लिए जरूरी शपथ पत्र और अन्य कागजात तैयार करवाने के लिए पीसीसी की मदद लेनी पड़ी, और अधिवक्ता फैसल रिजवी ने नामांकन दाखिले के कुछ घंटे पहले कागजात तैयार करवाए। तब कहीं जाकर रंजीत रंजन ने राजीव शुक्ला के साथ नामांकन दाखिल किया।