सारंगढ़-बिलाईगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़-बिलाईगढ़, 17 नवंबर। ग्रीन स्टेबल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की ग्राम धोरा भाठा, कपिसदा ब, सरसरा और जोगनिपाली क्षेत्र में प्रस्तावित पत्थर खदान परियोजना को लेकर दूसरी बार आयोजित की जा रही जनसुनवाई से पहले ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने आपत्ति दर्ज कराई है।
आयोजन स्थल पर जि़ला पंचायत अध्यक्ष संजय भूषण पांडेय, जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य, सरपंच तथा बड़ी संख्या में ग्रामीणों की उपस्थिति की संभावना जताई गई है। उपस्थित लोगों ने परियोजना को लेकर अपनी आपत्तियाँ प्रस्तुत कीं।
ग्रामीणों द्वारा प्रस्तुत मुख्य आपत्तियां
पर्यावरण से संबंधित चिंताएं-ग्रामीणों ने कहा कि खदान संचालन से धूल, ध्वनि और विस्फोट की वजह से कृषि भूमि, पेड़-पौधों और आसपास के पर्यावरण पर असर पड़ सकता है। भूजल स्तर घटने तथा कुओं और हैंडपंपों के प्रभावित होने की आशंका भी व्यक्त की गई।
स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ- ग्रामीणों ने पत्थर की धूल और शोर की वजह से सांस संबंधी बीमारियाँ और अन्य समस्याएँ बढऩे की आशंका जताई। उन्होंने कहा कि लगातार कंपन और शोर का प्रभाव बच्चों, वृद्धों और गर्भवती महिलाओं पर पड़ सकता है।सामाजिक एवं संरचनात्मक प्रभाव- ग्रामीणों ने कहा कि विस्फोट और मशीनों के कंपन से घरों, स्कूलों तथा अन्य संरचनाओं को नुकसान पहुँचने की आशंका है। कृषि, पशुपालन और रोजगार पर प्रभाव की चिंता भी प्रस्तुत की गई। प्रक्रिया से संबंधित मुद्दे- ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना से संबंधित ग्रामसभा की सहमति की प्रक्रिया स्पष्ट नहीं है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई, जिससे परियोजना के प्रभावों और निवारण उपायों की जानकारी उपलब्ध नहीं है।
जनप्रतिनिधियों ने उठाई आपत्तियां
जि़ला पंचायत अध्यक्ष संजय भूषण पांडेय ने कहा, बिना ईआईए रिपोर्ट सार्वजनिक किए जनसुनवाई करना पारदर्शिता के सिद्धांत के खिलाफ है। जब तक ग्रामीणों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित नहीं होता, तब तक खदान आबंटन स्वीकार्य नहीं है।
ग्रामीणों ने दी चेतावनी
ग्रामीणों ने कहा कि यदि उनकी आपत्तियों का समाधान किए बिना जनसुनवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई तो वे व्यापक स्तर पर विरोध दर्ज कराएँगे। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जि़म्मेदारी शासन–प्रशासन की होगी।


