सारंगढ़-बिलाईगढ़

महानदी पर बने मिरौनी बैराज के गेट अचानक खोले, 11 मछुवारे बाल-बाल बचे, 7 नाव बही
16-Oct-2024 7:12 PM
महानदी पर बने मिरौनी बैराज के गेट अचानक खोले, 11 मछुवारे बाल-बाल बचे, 7 नाव बही

  तीन लाख से अधिक का नुकसान, मांगा मुआवजा  

रेत ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने गेट खोलने का आरोप 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

सारंगढ़- बिलाईगढ़, 16 अक्टूबर। सारंगढ़ अंचल के महानदी पर बने मिरौनी बैराज में अचानक पानी छोड़े जाने से 11 मछुआरे बाल-बाल बच गये।

पासीद के मछुवारा समिति ने सिंचाई विभाग के लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते अचानक गेट खोलने से लगभग साढ़े तीन लाख रूपये का नुकसान का दावा करते हुए मुआवजा की मांग की है। पासीद मछुआरा समिति ने आरोप लगाया है कि रेत खनन ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिये बैराज के गेट खोले गए।

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार पासीद के मछुवारों ने उच्चाधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर मिरौनी बैराज में पानी छोडऩे से 11 मछुआरों की जान से खिलवाड़ की जानकारी दी। मछुआरा समिति के सदस्यों ने बताया कि सारंगढ़ के कोसीर अंचल के महानदी पर बना मिरौनी बैराज के पास उनके द्वारा लगातार मछली के लिये जाल बिछाकर अपना जीवन यापन करते आ रहे हंै। उन्होंने बताया कि 13 अक्टूबर की रात को लगभग 9 बजे मिरौनी बैराज का लगभग आठ से नौ गेट को अचानक खोल दिए गए। जबकि पहले गेट खोलने के पूर्व सूचना दिया जाता था किन्तु इस बार कोई सूचना तक नहीं दी गई, जिसके कारण से मछली मारने के काम में लगी 7 नाव महानदी में बह गई, साथ ही मछली मारने का जाल भी बह गया।

 ग्रामवासियों ने बताया कि वे सभी पासीद के मछवारा समिति के पंजीकृत सदस्य हैं। शासन के नियमानुसार उनके द्वारा ग्राम पासीद के महानदी में मछली पकडऩे हेतु जाल लगाकर अपना जीवन यापन करते हैं।

 अचानक बैराज के सात-आठ गेट को खोलने के कारण पानी के तेज बहाव से हमारे पासीद महानदी में लगाये गये लगभग  एक लाख त्रिसठ हजार रूपये के जाल एवं सात नग मछली पकडऩे का नाव लगभग एक लाख पचहत्तर हजार रुपये तेज गति के पानी में बह गए। 

पानी के तेज बहाय में 11 मछुवारेा भी बुरी तरह से फंस गये थे लेकिन गांव वालों के सहयोग से किसी तरह वे अपने जान को बड़ी मुश्किल से बचा पाये। इस प्रकार बिना किसी प्रकार का सूचना दिये मिरौनी बेराज जल संसाधन विभाग द्वारा सात-आठ गेट को खोल देना घोर लापरवाही की परिधि में आता है। जिसके कारण मछुवारा लोगों का तीन लाख अड़तीस हजार रूपये का नुकसान हुआ है। इसके पूर्व भी मिरौनी बैराज जल संसाधन विभाग द्वारा रेत माफिया लोगों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से अचानक बांध गेट को बंद कर देते थे तथा अपने मर्जी से बांध के गेट को खोल देते थे किन्तु अभी तक जालमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ था।

 समिति के सदस्यों ने उच्चाधिकारियों से मांग की कि मिरौनी बैराज जल संसाधन विभाग के लापरवाह कार्यरत कर्मचारी एवं अधिकारियों के विरूद्ध उचित कार्यवाही करते हुये मछुवारों को तीन लाख अड़तीस हजार रूपये का मुआवजा दिलाया जाये।


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