राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : नौ सौ गवाह, 10 साल लगेंगे?
27-Dec-2025 5:35 PM
राजपथ-जनपथ : नौ सौ गवाह, 10 साल लगेंगे?

नौ सौ गवाह, 10 साल लगेंगे?

आखिरकार ईडी ने चर्चित शराब घोटाला केस में शुक्रवार को जिला विशेष अदालत में अंतिम चालान पेश कर दिया। करीब साढ़े 37 करोड़ के घोटाला में 81 आरोपी हैं। नौवें चालान में 59 नए आरोपी बनाए गए हैं। इनमें आबकारी विभाग के वे सभी अधिकारी शामिल हैं जिन्हें गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने शराब घोटाला केस में ईडी को तीन माह के भीतर अंतिम चालान पेश करने के आदेश दिए थे, और इसके बाद चालान प्रस्तुत किया है। पूर्व मंत्री कवासी लखमा, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, निरंजन दास समेत कई और आरोपी अब भी जेल में हैं। विशेष अदालत में अब जल्द ट्रायल शुरू होगा।

 जानकारों का मानना है कि सुनवाई पूरी होते तक पांच से 10 साल तक का समय लग सकता है। ईडी ने 9 सौ गवाहों की सूची दी है। इतनी गवाहों के बयान,और क्रॉस एग्जामिन में वक्त तो लगेगा ही। तब तक राजनीतिक गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप चलते रहेंगे।

नए साल में बस्तर का पर्यटन

नक्सल हिंसा में कमी का असर बस्तर के पर्यटन उद्योग में दिखाई दे रहा है। पहले नक्सली भय से बंद पड़े कई स्थल अब खुल गए हैं। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, चित्रकोट और तीरथगढ़ जैसे स्थलों पर पर्यटकों की भीड़ इन दिनों बढ़ गई है। खबरों के मुताबिक नए साल के लिए जगदलपुर और अन्य जिलों के होटल व रिसॉर्ट्स में बुकिंग लगभग फुल है। पड़ोसी तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा राज्यों से भी पर्यटक बड़ी संख्या में आ रहे हैं। यह सिलसिला नए साल और उसके बाद तक चलेगा। कुछ समय से यहां आत्मसमर्पित नक्सली पांडुम कैफे जैसे प्रयोग के जरिये पर्यटकों का ध्यान खींच रहे हैं। होमस्टे, गाइड, हस्तशिल्प और इको-टूरिज्म में आदिवासी युवा जुड़ रहे हैं। इस बात की पूरी संभावना है कि बस्तर में आने वाले दिनों में पर्यटन व्यवसाय को नई उड़ान मिलने वाली है। इसका संकेत बस्तर में नए साल के लिए हुई बुकिंग से ही पता चल जाता है। अभी तो स्थानीय आदिवासियों को जोडऩे की बात हो रही है, लेकिन जैसे ही बड़े औद्योगिक घराने इस व्यवसाय में भविष्य की संभावनाओं को देखेंगे तो वे बड़ा निवेश करेंगे। ऐसे में खतरा यह है कि स्थानीय युवाओं को हाशिये पर न धकेल दिया जाए और व्यवसाय उनके हाथ से छिन जाए। दूसरी बात, बस्तर अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, घने जंगलों, झरनों, गुफाओं और समृद्ध आदिवासी संस्कृति के लिए ही विश्वविख्यात है। जब बड़ी पूंजी निवेश की जाएगी, तब उसे अक्षुण्ण बनाए रखना भी एक चुनौती भरा काम होगा।

...और भनक नहीं लगी

राज्य का नया बजट बनने लगा है। इससे पहले अधिकारी कर्मचारी संघ ने अपने-अपने वेतन भत्तों मांगों को लेकर दबाव बनाने धरना-प्रदर्शन-हड़ताल करने लगे हैं। तो कुछ कंबल ओढक़र घी पीने में सफल हो रहे हैं। ऐसे ही राज्य अधीनस्थ वित्त सेवा के अधिकारी अपना ग्रेड पे बढ़ाने में सफल रहे। यह इतनी गोपनीय तरीके से किया गया कि इसकी जीएडी और वित्त में काम करने वाले कर्मियों को भी भनक नहीं लगी। इनका कहना है कि राज्य वित्त सेवा के अधिकारी मंत्रालय में बैठ कर अपनी सभी मांगों/आवश्यकताओं की पूर्ति कर लेते हैं, अन्य विभागों के लिए  बजट और नियमों का हवाला देते हैं।

अब इसे लेकर दीगर कर्मचारी संघों में बवाल मच गया है। वे भी हलचल बढ़ा रहे हैं। खासकर मंत्रालय संघ  इसी ग्रेड के समकक्ष अपने साथियों के लिए भी मांग बुलंद करने अपने नेताओं को जागृत करने में जुट गए हैं। उनका कहना है कि सचिवालय सेवा को छोड़ सबका भला हो जाता है।और अपने मुंह ताकते रह जाते हैं।

ना कोई मांग, ना कोई विरोध, ना कोई हड़ताल,ना कोई चर्चा। आखिर  ये वेतनमान किस आधार पर बढ़ाया गया इसका पता लगाना चाहिए और जीएडी ने भी सहमति दे दी,बिना किसी परीक्षण के। और फिर इसके आधार पर संघ को मंत्रालय के सभी पदों के वेतनमान बढ़ाने के लिए ज्ञापन देना चाहिए। मंत्रालय संवर्ग के एएसओ, का ग्रेड पे 9 से 10 करने और एसओ का भी ग्रेड पे 5400 करने के लिए। ऐसे ही, चुप रहे तो मंत्रालय कर्मचारियों का कुछ नहीं होगा।  हमारे तो बिना वित्तीय भार वाला काम भी नहीं हो पा रहा है। संघ वाले ज्ञापन दे कर भूल जाते हैं।

उन्होंने यह प्रश्न भी उठाया कि ऐसा कोई विभाग बता दे जहां 4400 के बाद कोई 6600 में सीधा प्रमोट होता है और ऐसा कोई विभाग बता दे  जिनका 4300 का प्रमोशन 5400 में नहीं होता है। इसलिए संघ को भी सहायक अनुभाग अधिकारी का वेतनमान मैट्रिक्स लेवल -9 के स्थान पर मैट्रिक्स लेवल-10 किये जाने की मांग सरकार से करना चाहिए।


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