राजपथ - जनपथ
भर्ती कैलेंडर से शिक्षक गायब!
छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) ने वर्ष 2026 के लिए भर्ती कैलेंडर जारी किया है। इसमें अप्रैल से दिसंबर 2026 के बीच लगभग 31 प्रकार की भर्तियों का विवरण है। लेकिन हैरानी हो सकती है कि शिक्षक भर्ती का इसमें कहीं जिक्र नहीं है।
कैलेंडर में प्री डीएलएड और प्री बीएड परीक्षाओं का भी उल्लेख है। यानी ऐसी परीक्षाएं, जिनके बाद ही शिक्षक बनने का रास्ता खुलता है। परंतु जो हजारों युवा पहले से ही डीएलएड और बीएड की डिग्री हासिल कर चुके हैं, उनके लिए इसमें कोई अवसर नहीं दिख रहा। यह उनके लिए बड़ा झटका है, जो भाजपा सरकार बनने के बाद से ही शिक्षक भर्ती की आस लगाए बैठे हैं।
विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने युवाओं और शिक्षा से जुड़ी दो बड़ी घोषणाएं की थीं।पहली, 57 हजार शिक्षकों की भर्ती और दूसरी, सीजीपीएससी में यूपीएससी जैसी पारदर्शिता। लेकिन चुनाव बीत जाते ही शिक्षकों की भर्ती का मुद्दा हाशिए पर चला गया।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने 33 हजार शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन शीघ्र जारी करने की घोषणा की थी। पर अब तक वह वादा अधूरा है। इधर युक्तियुक्तकरण के बाद हजारों पद घटा दिए गए हैं, फिर भी 30 हजार से अधिक पद खाली हैं।
अग्रवाल के सांसद बनने के बाद शिक्षा मंत्रालय महीनों तक खाली रहा। हाल ही में गजेंद्र यादव को यह जिम्मेदारी मिली। उन्होंने कहा कि 5500 शिक्षकों की भर्ती को वित्त विभाग से मंजूरी मिल चुकी है और विज्ञापन जल्द जारी किया जाएगा। इसके बावजूद व्यापम के इस कैलेंडर में इसका उल्लेख नहीं है।
यही हाल सहायक प्राध्यापक भर्ती का भी है। सीजीपीएससी ने अक्टूबर 2026 में एसईटी परीक्षा कराने की घोषणा की है, हजारों अभ्यर्थी पहले से एसईटी पास करके बैठे हैं। कई युवा तो दो तीन बार यह परीक्षा दे चुके हैं क्योंकि इसकी मान्यता कुछ वर्षों तक के लिए होती है। माना जा सकता है कि शिक्षक बनने का सपना देख रहे युवाओं के लिए यह कैलेंडर उम्मीद नहीं, बल्कि एक निराशा का ही नोटिफिकेशन है।
गुजरात से उठी सुगबुगाहट
गुजरात में पिछले 24 घंटे में जो राजनीतिक बदलाव हुए हैं, उसकी गूंज छत्तीसगढ़ में भी सुनाई दे रही है। गुजरात सरकार के सभी मंत्रियों ने अपने इस्तीफे सीएम भूपेन्द्र पटेल को सौंप दिए, और तीन साल के भीतर ही कैबिनेट का पुनर्गठन हो रहा है। गुजरात के घटनाक्रम से छत्तीसगढ़ भाजपा में भी हलचल है, और देर-सबेर साय कैबिनेट में फेरबदल की हवा उडऩे लगी है। भाजपा के वाट्सएप ग्रुप में इस पर बहस भी होने लगी है।
दिसंबर में सीएम विष्णुदेव साय के दो साल का कार्यकाल पूरा होगा। साय कैबिनेट में रामविचार नेताम, केदार कश्यप, और दयालदास बघेल ही पुराने चेहरे हैं। कई वरिष्ठ विधायक कैबिनेट में जगह पाने से रह गए। दो माह पहले तीन नए मंत्री शामिल किए गए। ये तीनों पहली बार के विधायक हैं। छह माह बाद यानी जून 2026 में सरकार का आधा कार्यकाल पूरा हो जाएगा। पार्टी के कुछ लोगों का कहना है कि ढाई साल पूरा होने के बाद मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा हो सकती है।
हालांकि कुछ माह पहले अंबिकापुर में पार्टी के चिंतन शिविर में सरकार के कामकाज की समीक्षा हुई थी। मगर मंत्रियों के अब तक के परफार्मेंस पर पार्टी हाईकमान की नजर रहेगी। यह भी कहा जा रहा है कि सीएम ने सभी मंत्रियों को एक तरह से फ्री हैंड दिया हुआ है।
सीएम नए मंत्रियों के कामकाज में भी हस्तक्षेप नहीं करते हैं। इन सबके बावजूद तीन मंत्रियों के खिलाफ शिकायत प्रदेश संगठन तक पहुंच चुकी है। कुछ शिकायतों की तो पार्टी संगठन ने अपने स्तर पर पड़ताल भी कराई है। ऐसे में पार्टी के अंदरखाने में चर्चा है कि छत्तीसगढ़ में भी गुजरात फार्मूला अपना जा सकता है।
पार्टी ने वर्ष-2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने प्रदेश के सभी सांसदों की टिकट काटकर नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा था। यह प्रयोग सफल भी रहा। अब जिस तरह गुजरात में कैबिनेट का पुनर्गठन हो रहा है, इस तरह का प्रयोग छत्तीसगढ़ में हो जाए, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। वैसे भी भाजपा हाईकमान अपने फैसलों से स्थानीय नेताओं को चौंकाते रहा है। देखना है आगे क्या कुछ होता है।
जब अंगद ने रावण को सही में दौड़ाया ...
रायपुर से लगे एक गांव में स्थित एक निजी शिक्षण संस्था में बुधवार को आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान एक अलग ही दृष्य देखने को मिला। नन्हे बच्चों ने रामलीला का मंचन किया था रामलीला के अनुरूप इसमें कई छात्र व छात्राओं ने अपनी अलग-अलग भूमिका निभाई। रावण बने छात्र पर अंगद बना छात्र बिफर पड़ा। उसने मंच पर तो अपनी नाटकीय भूमिका सही निभाई । लेकिन मंचन के बाद सीता का अपहरण क्यों किया कह कर सही में मारने लगा । इस असली लड़ाई को देख वहां उपस्थित शिक्षकों ने दोनों को अलग किया और समझाया।


