राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : एफआरए पर हाईकोर्ट का नजरिया
22-Oct-2025 4:13 PM
राजपथ-जनपथ : एफआरए पर हाईकोर्ट का नजरिया

एफआरए पर हाईकोर्ट का नजरिया

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें ग्राम घाटबर्रा के निवासियों ने वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत सामुदायिक वन अधिकारों का दावा किया था। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि ग्रामीणों का दावा सिद्ध नहीं हुआ, क्योंकि संबंधित भूमि पहले ही खनन के लिए हस्तांतरित हो चुकी थी और उस समय इसे चुनौती नहीं दी गई। इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने यह भी कहा कि एफआरए, वन भूमि के नीचे मौजूद खनिजों पर राज्य के अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करता। इस फैसले ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं, खासकर एफआरए के मूल उद्देश्य और वनवासी समुदायों के अधिकारों को लेकर।

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति और जयनंदन सिंह पोर्ते द्वारा दायर याचिका में बताया गया था कि ग्राम घठबार्रा को 2006 के वन अधिकार अधिनियम के तहत सामुदायिक अधिकार प्राप्त थे, जिन्हें 2016 में जिला समिति ने रद्द कर दिया था। इस फैसले को लेकर पूर्व केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री और कांग्रेस के संचार विभाग प्रमुख जयराम रमेश ने गहरी चिंता जताई है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है कि वर्तमान केंद्र सरकार ( रमेश जयराम के अनुसार- मोदानी सरकार) के आने के बाद से हसदेव अरण्य में अभूतपूर्व और अस्वीकार्य घटनाएं बढ़ी हैं। हाईकोर्ट की एकल पीठ का यह फैसला, जिसमें वन अधिकारों को रद्द करने का आधार यह बताया गया कि भूमि पहले ही खनन के लिए हस्तांतरित हो चुकी थी, न केवल तर्कहीन है, बल्कि यह एफआरए के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।

जयराम रमेश ने आगे कहा है- यह स्पष्ट है कि इस फैसले का लाभ कौन उठा रहा है। एफआरए का उद्देश्य वनवासी समुदायों को वन संसाधनों पर अधिकार देना है, जो तब तक संभव नहीं जब तक उनकी जमीन सुरक्षित न हो। कोर्ट का यह तर्क कि खनिजों पर राज्य का अधिकार सर्वोपरि है, वनवासियों के अधिकारों को कमजोर करता है और एफआरए की नींव को हिलाता है। यह फैसला न केवल पर्यावरणीय न्याय के लिए खतरा है, बल्कि यह आदिवासी समुदायों के हितों पर भी कुठाराघात करता है।

जयराम रमेश का आशय है कि यह फैसला न केवल हसदेव अरण्य की जैव-विविधता को खतरे में डालता है, बल्कि वन अधिकार अधिनियम की मूल भावना को भी कमजोर करता है। हाईकोर्ट के इस फैसले को माना जाए तो यदि किसी वन में खनिज उत्खनन कराना हो तो उसके लिए एफआरए के तहत कोई दावा मुमकिन ही नहीं होगा। सिंगल बेंच के आदेश को यदि चुनौती दी जाती हो, तभी इसमें कोई बदलाव संभव है।

जन्मदिन भारी पड़ा

कुछ महीने पहले कांग्रेस के एक दिग्गज नेता को तामझाम से जन्मदिन सेलिब्रेट करना भारी पड़ गया है। नेताजी का 78वां जन्मदिन था। जन्मदिन पार्टी में पहुंचे नेताओं ने अंदाज लगा लिया कि विधानसभा चुनाव के वक्त  नेताजी की उम्र 81 साल हो जाएगी। ऐसे में पार्टी उनकी जगह किसी नए चेहरे को प्रत्याशी बना सकती है।

पार्टी ने दिग्गज नेता को विधानसभा चुनाव हारने के बाद लोकसभा प्रत्याशी बनाया था। वो लोकसभा चुनाव भी बुरी तरह हार गए। अब जन्मदिन पार्टी के बाद वो क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं, और स्थानीय कार्यकर्ताओं से एक बार और विधानसभा चुनाव लडऩे की इच्छा जता रहे हैं। मगर अब पार्टी के कई युवा स्थानीय नेताओं ने उनके क्षेत्र में चुनाव लडऩे के लिए अभी से जोर आजमाइश शुरू कर दी है। जिलाध्यक्ष से लेकर पंचायत के पदाधिकारी तक दिग्गज नेता को चुनौती देते दिख रहे हैं। इससे वो काफी परेशान हो गए हैं।

दिग्गज नेता ने जिलाध्यक्ष के चयन प्रक्रिया के दौरान अपनी तरफ से एक नाम आगे बढ़ाया था ताकि संगठन में उनका दबदबा बरकरार रहे। मगर उनकी यह इच्छा पूरी होते नहीं दिख रही है। जिन्हें अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है, वो दिग्गज नेता के विरोधी माने जाते हैं। कुल मिलाकर जो नेता अपनी पसंद से कई टिकटें तय करवाते रहे हैं, इस बार उन्हें खुद की टिकट  हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ सकता है। चुनाव में भले ही वक्त है, लेकिन नेताजी की नींद अभी से उड़ी हुई है।

दिवाली में भी नियम आड़े 

दीपावली पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल शराब घोटाला केस में सेंट्रल जेल में बंद अपने बेटे चैतन्य से मिलने की अनुमति नहीं दी। इस पर पूर्व सीएम  ने गुस्से का इजहार किया, और फेसबुक पर लिखा कि दो दशक पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने बाबूजी(स्व. नंदकुमार बघेल)को जेल भेजा था पर दिवाली के दिन उनसे  मिलने की छूट मिल गई थी। नरेन्द्र मोदी, और अमित शाह की कृपा से बेटा जेल में है। आज दिवाली है पर मुझे उससे मिलने की अनुमति नहीं है।

बताते हैं कि पिछले दो साल से कैदियों से मुलाकात के नियमों में बदलाव हुआ है। और जब पूर्व सीएम ने जेल अधीक्षक से चैतन्य से मुलाकात के लिए अनुमति मांगी, तो उन्हें नियम बता दिया। इसके बाद पूर्व सीएम ने डीजी (जेल) हिमांशु गुप्ता से फोन पर बात की।

गुप्ता ने जेल प्रशासन से चर्चा के बाद पूर्व सीएम को बताया कि दो दिन का अवकाश घोषित है इसलिए किसी को भी मुलाकात की अनुमति नहीं है। इसके बाद पूर्व सीएम ने जोगी सरकार के समय दिवाली के दौरान मुलाकात का जिक्र किया। इस पर जेल डीजी ने बताया कि पिछले दो साल पहले नियम बदल दिए गए हैं। इसलिए दिवाली के मौके पर स्टाफ आदि की कमी होने की वजह से मुलाकात की अनुमति नहीं है।

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