राजपथ - जनपथ
खामोशी से रिटायर
अगले कुछ दिनों में आईएएस अफसरों की एक तबादला सूची जारी हो सकती है। प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू हो रहा है। छत्तीसगढ़ में चार नवम्बर से मतदाता सूची के पुनरीक्षण का अभियान शुरू होगा। चर्चा है कि विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान शुरू होने से पहले कुछ कलेक्टरों को इधर से उधर किया जा सकता है। कुछ इसी तरह के तबादले पश्चिम बंगाल में हुए हैं। बंगाल में भी विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान शुरू हो रहा है।
इससे परे प्रदेश में आईएएस के वर्ष-2007 बैच के आईएएस टोपेश्वर वर्मा 31 तारीख को रिटायर हो रहे हैं। वर्मा राजस्व मंडल के चेयरमैन हैं, और रिटायर होते ही उनकी जगह एसीएस सुब्रत साहू लेंगे। सुब्रत वर्तमान में प्रशासन अकादमी के डीजी हैं।
टोपेश्वर वर्मा पिछली सरकार में काफी प्रभावशाली थे। वो दंतेवाड़ा के अलावा राजनांदगांव कलेक्टर रहे हैं। इसके बाद खाद्य, और परिवहन विभाग के सचिव भी रहे। उनके कार्यकाल में राशन दुकानों में गड़बड़ी का मामला भी उजागर हुआ। इसको लेकर विधानसभा में भाजपा ने सरकार को घेरा भी था।
वर्मा ने पारदर्शिता पूर्वक कार्रवाई सुनिश्चित की। सरकार बदलते ही उन्हें राजस्व मंडल में भेज दिया गया। अब वो खामोशी से रिटायर हो रहे हैं। सरकार ने महीनेभर पहले ही सुब्रत साहू को वर्मा के रिटायरमेंट की प्रत्याशा में पोस्टिंग कर दी थी। देखना है क्या कुछ होता है।
नाईजीरियाई छत्तीसगढ़ी

25 वें राज्योत्सव के मौके पर नवा रायपुर के व्यापार परिसर में छत्तीसगढ़ के अब तक के विकास की झलक को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनी लगाई जा रही है। इसके लिए 25 से अधिक विभाग अपनी अपनी योजनाओं के मॉडल के साथ जीवंत दृश्य एवं श्रव्य माध्यमों का भी उपयोग करेंगे। इनमें से उच्च शिक्षा विभाग की प्रदर्शनी की, उत्सव शुरू होने से पहले ही चर्चा होने लगी है। और वह भी सात समंदर पार तक। अपनी प्रदर्शनी में विभाग छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा और संस्थानों के विकास और पहुंच को प्रदर्शित कर रहा है।
इस ढाई दशक में राज्य में देश-विदेश के 13 निजी विश्वविद्यालयों सफलता से संचालित हो रहे। जहां बांग्लादेश, अफगानिस्तान, नेपाल भूटान जैसे पड़ोसी के साथ अफ्रीका महाद्वीप के 52 में से 20 देश कीनिया , जिंबाब्वे,नाइजीरिया जैसे देशों के युवा साइंस, कॉमर्स के साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। इस दौरान करीब एक दर्जन बैच पास आउट भी हो गए हैं। 5 वर्ष के लिए आने वाले ये विद्यार्थी छत्तीसगढ़ की भाषा बोली रहने सहन में भी रच बस गए हैं।
ये विद्यार्थी हिंदी भले अच्छे से बोल समझ पाते हो छत्तीसगढ़ी अच्छे से बोल समझते हैं। यहां तक की छत्तीसगढ़ी फिल्में देखते हैं छत्तीसगढ़ी गाने भी गाते हैं। इसीलिए तो कहा जाता है कि छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा। इसी थीम पर विभाग ने अपनी प्रदर्शनी में यही दर्शाने का प्रयास किया है। वह भी लाइव। मतलब विभाग के पंडाल में कलिंगा विश्वविद्यालय समेत तीन निजी विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विदेशी बच्चे लाइव रहेंगे।
अकेले कलिंगा में ही 20 देशों के छात्र हैं। जो न केवल विश्व की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी के साथ छत्तीसगढ़ी में भी दर्शकों से बातचीत (गोठियाना) करेंगे। इसके लिए इन तीन विश्वविद्यालयों के छत्तीसगढ़ी फ्लूएंट बच्चों को इस समय ट्रेंड किया जा रहा है। बस 1 तारीख से नवा रायपुर जाएं और नाईजीरियाई छत्तीसगढ़ी में चर्चा करने की देर है। ये अलग बात है कि छत्तीसगढ़ी को अब तक राजभाषा का दर्जा नहीं मिल पाया है। वहीं विभाग के स्टाल के प्रवेश द्वार को भी भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ते हुए एशिया के एकमात्र संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के मुख्य द्वार का रूप दिया जा रहा है। यह द्वार, खैरागढ़ राजपरिवार के पुराने रजवाड़े की प्रतिकृति होगा।
साहब को जींस से नफरत...
अफसर कई बार अपने मातहतों के साथ जाने-अनजाने में या जानबूझकर कुछ ऐसा कर जाते हैं, जिसका घातक असर होता है। आपको याद होगा बीते जुलाई महीने में कबीरधाम जिले के कलेक्टर सुबह-सुबह गेट पर खड़े हो गए। कलेक्टोरेट के 42 कर्मचारी देर से दफ्तर पहुंचे थे। उन सबसे कलेक्टर ने कान पकडक़र माफी मंगवाई। इसका वीडियो भी वायरल हुआ। कर्मचारियों को यह व्यवहार अपमानजनक लगा और वे आंदोलन की तैयारी करने लगे। मगर, कलेक्टर ने खेद जताकर मामले को संभाल लिया। अब नया मामला कलेक्टर से कम ओहदा रखने वाले लेकिन अपने विभाग के जिले में बॉस, शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक (जेडी) का आया है। यह मामला कोंडागांव जिले का है। केशकाल के एक शिक्षक प्रकाश नेताम को डेली डायरी ठीक तरह से मेंटेन नहीं करने की वजह से नोटिस मिली थी। जवाब देने के लिए वह जेडी राकेश पांडे के दफ्तर पहुंचे थे। शिक्षक को देखते ही जेडी नाराज हो गए। उन्हें दफ्तर से यह कहते हुए बाहर निकलने कह दिया कि वे अपने दफ्तर में जींस पहनकर आने वालों से मुलाकात नहीं करते। नेताम निकल आए। अपमानित महसूस किया। शिक्षक साझा मंच से उन्होंने घटना को साझा किया। अब शिक्षक पिछले दो सप्ताह से आंदोलन पर हैं। वे संयुक्त संचालक को हटाने की मांग कर रहे हैं। बीच में दीपावली की छुट्टी आ गई। तब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण देव ने आश्वस्त किया था कि त्यौहार निपटने दीजिए, उन्हें हटवा देंगे। आश्वासन पूरा नहीं होने पर शिक्षक फिर प्रदर्शन कर रहे हैं। इधर जेडी की ओर से कोई अफसोसनामा नहीं आया है। शिक्षकों ने चार आरोप उन पर और लगा दिए हैं। जैसे- स्कूलों के निरीक्षण के नाम पर भयादोहन, निरीक्षण का वीडियो सोशल मीडिया पर डालना, अवैध उगाही के लिए दबाव बनाना वगैरह। फिलहाल तो इस तनातनी के चलते बच्चों की पढ़ाई का बड़ा नुकसान हो रहा है।
सोहराई परब में सरई के पात्र

आदिवासी संस्कृति में हर पर्व का प्रकृति से गहरा संबंध होता है। तस्वीर में दिख रही सरई पत्तों से बनी थालियां और दोने इसी पारंपरिक जुड़ाव का प्रतीक हैं। सोहराई परब एक ऐसा त्योहार जो छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से सरगुजा के साथ-साथ झारखंड, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम में भी समान श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है। उत्तर छत्तीसगढ़ में जनजातीय अंचलों में दिवाली के 11 दिन बाद, देवउठनी एकादशी के दिन सोहराई तिहार मनाया जाता है। इस दिन लोग गाय के खूर (पंजे) के निशान को गोठ से घर तक बनाते हैं, जिसे लक्ष्मी के आगमन का प्रतीक माना जाता है। पर्व की रात जनजातीय समुदाय डार खेलता है। यह सामूहिक करमा नृत्य की तरह होता है, जिसमें पूरी रात उल्लास और गीतों का माहौल रहता है। सरगुजा में करमा डार, तीजा डार, दसई डार और सोहराई डार जैसी पारंपरिक नृत्य विधाएं पीढिय़ों से चली आ रही हैं। बहरहाल सरई पत्तों के ये खूबसूरत भोजन पात्र बता रहे हैं कि पर्यावरण बचाइये, समारोहों में प्लास्टिक के सामान इस्तेमाल न करें।


