राजपथ - जनपथ
असरानी, और नया रायपुर
मशहूर हास्य अभिनेता असरानी के निधन के बाद उन्हें देशभर में श्रद्धांजलि दी जा रही है। रायपुर में भी सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों ने उन्हें याद किया। असरानी कुछ साल पहले रायपुर आए थे, और वो यहां नवा रायपुर के डेवलपमेंट देखकर काफी प्रभावित भी हुए। बहुत कम लोगों को मालूम है कि असरानी नवा रायपुर में एक बंगला भी बनाना चाहते थे।
फिल्म ‘शोले’ के जेलर के किरदार से मशहूर हुए असरानी का कई बार रायपुर आना हुआ। वो कुछ साल पहले सिंधी समाज के चेट्रीचंड पर्व के होजमालो कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे। उन्होंने स्टेज शो में लोगों को काफी हंसाया भी। कार्यक्रम में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, और सुनील सोनी भी थे। कार्यक्रम के बाद फुर्सत के क्षणों में सिंधी काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष ललित जैसिंघ के साथ वो नवा रायपुर भी गए। उन्हें नवा रायपुर का वातावरण काफी पसंद आया, और यहां एक बंगला बनाने की इच्छा भी जताई।
ललित याद करते हैं कि असरानी ने अपनी पत्नी मंजू असरानी से भी बात करवाई थी। वो भी नवा रायपुर में एक बंगला बनाने के लिए खुशी-खुशी तैयार हो गईं। असरानी का कहना था कि वीक एण्ड में समय गुजारने के लिए नवा रायपुर काफी बेहतर है। मुंबई जाने के बाद असरानी यहां सिंधी समाज के लोगों के संपर्क में भी रहे, लेकिन बंगला बनवाने का मामला टलता गया। अब उनके गुजरने के बाद खुश मिजाज असरानी को काफी याद किया जा रहा है।
13 वर्ष में छोटा पड़ गया मंत्रालय
दो दशक पहले नई राजधानी नवा रायपुर में जब मंत्रालय भवन का निर्माण शुरू किया गया था तब योजनाकारों ने 50 वर्ष की जरूरत पूरी होने का दावा किया था। पांच मंजिले इस भवन में नया मंत्रालय 2012 से काम करने लगा। सीएम और मंत्री ब्लाक 5 मंजिला, सेक्रेटरी ब्लॉक 4 मंजिला और एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक 3 मंजिला भवन में कार्यरत हैं। अब 50 में से 13 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस एक दशक में ही महानदी भवन में जगह कम पडऩे लगी है।
ऐसा नहीं है कि मंत्रालय का सेटअप बढ़ गया हो और उसके अनुरूप हर वर्ष सैकड़ों अधिकारी कर्मचारियों की भर्ती हो रही हो। भर्ती के बजाय विभाग अपने मैदानी दफ्तरों से अधिकारी कर्मचारी अटैच कर मंत्रालय का काम निपटा रहे हैं। इसके चलते हर ब्लाक में जगह की कमी पडऩे लगी है। इसे देखते हुए जीएडी ने पिछले दिनों दो अलग-अलग आदेश निकालने पड़े। पहला यह कि बिना जीएडी की अनुमति के अब किसी भी विभाग में अधिकारी कर्मचारी मंत्रालय अटैच न किए जाएं। दूसरा चूंकि मंत्रालय में कमरों की कमी है ऐसे में पोस्टिंग किए जाने पर आफिस रूम नहीं दिया जाएगा। सो ऐसे अफसर ई ऑफिस सॉफ्टवेयर में अपने पुराने आफिस से ही काम करेंगे।
यह रही एक बात, दूसरी बात यह है कि मंत्रालय संवर्ग के अवर सचिवों के लिए तो कमरे ही है जबकि इनके ही सील साइन से सरकारें चलती हैं। इनके लिए, कॉर्पोरेट सेक्टर की तरह छोटे-छोटे, केबिन-क्यूबिक बनाए गए हैं। इतना ही नहीं एक-एक अनुभाग में दो-तीन विभाग संचालित हो रहे हैं। मसलन पुरातत्व-पर्यटन-संस्कृति एक ही कक्ष में, बेमेल वाले खेल युवा कल्याण के साथ सहकारिता।
वहीं वन में विमानन, गृह में संपदा संचालनालय। जबकि पीएचक्यू, अरण्य के नाम से नए शहर में ही इनके अपने भवन हैं। केंद्रीय उपक्रम एनआईसी भी मंत्रालय में ही है। एक अनुभाग दबड़े की तरह होने लगे हैं। ऐसी हालत देखकर अब मांग होने लगी है मंत्रालय के लिए नए भवन की।
धुड़मारास का संकल्प, बिगडऩे नहीं देंगे

केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय ने आज एक्स हैंडल पर एक पोस्ट छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के बीच बसे गांव धुड़मारास को लेकर डाली है।
दरअसल, धुड़मारास के ग्रामीणों ने हाल ही में हुई ग्राम सभा में एक बड़ा निर्णय लिया। गांव में पूरी तरह शराबबंदी, साउंड सिस्टम और प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आम तौर पर पिकनिक की मस्ती करने वाले ये सामान दूसरे पर्यटन स्थलों पर जरूरी मान लिया जाता है। पर धुड़मारास तो यूनेस्को द्वारा दुनिया के 20 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्रामों में शामिल हो चुका गांव है। बाकी जगह जो हो रहे हैं, वही यहां भी होने लगा तो उसकी खास पहचान कैसे बनेगी रहेगी? पिछले कुछ समय से धुड़मारास के ग्रामीण इस समस्या को सामने आते देख रहे थे। इसलिये ग्राम सभा की खास बैठक बुलाई गई और कुछ बड़े फैसले लिए गए। ग्राम सभा ने तय किया है कि गांव की पवित्रता और अनुशासन में किसी प्रकार की अव्यवस्था नहीं आने दी जाएगी।
एक और जरूरी बात, धुड़मारास की पहचान बने बैंबू राफ्टिंग और कयाकिंग जैसे नवाचार कार्यों से बनी है। ग्राम सभा ने यह तय किया है कि इसकी नकल कोई संस्था या व्यक्ति उनकी अनुमति के बिना नहीं कर सकेगा। हालांकि, यह एक फैसला कैसे लागू होगा- स्पष्ट नहीं है। यदि किसी ने नकल की तो रोकने के लिए कानूनी उपायों पर ग्राम सभा को ध्यान देना होगा।
प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता से भरा पूरा धुड़मारास गांव सौर ऊर्जा से जगमगा रहा है। यहां के युवाओं ने अपने परंपरागत ज्ञान को आधुनिक सोच से जोड़ा और पर्यावरणीय पर्यटन को नई दिशा दी। इस बार पर्यटकों के लिए कयाकिंग और बैंबू राफ्टिंग के अलावा होमस्टे, देशी व्यंजन, ट्राइबल डांस, बर्ड वॉचिंग, नेचर वॉक और ट्रेकिंग जैसी सुविधाएं 22 अक्टूबर से शुरू कर दी गई है। जगदलपुर से यह गांव करीब 40 किलोमीटर दूर है। इस सत्र की शुरुआत बिलासपुर से गए कुछ सैलानियों के स्वागत से हुई।
छत्तीसगढ़ में धुड़मारास की तरह विकसित किए जाने लायक दर्जनों झरने, बांध, जलप्रपात हैं। पर वहां से जो खबर आती है, वह डूबने की, शराबखोरी की, मारपीट या खून-खराबे की। धुड़मारास से सीख लेकर इन स्थलों को भी दर्शनीय और सुरक्षित बनाया जा सकता है।


