राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : फिलहाल आश्वासन ही सहारा
09-Oct-2025 5:37 PM
राजपथ-जनपथ : फिलहाल आश्वासन ही सहारा

फिलहाल आश्वासन ही सहारा

राज्य महिला आयोग इस समय सुर्खियों में हैं। आयोग की तीन सदस्यों ने बुधवार को रायपुर में हुई सुनवाई का बहिष्कार किया। उनका विरोध आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक के कार्यशैली को लेकर है। सदस्यों का कहना है कि उन्हें सुनवाई की जानकारी नहीं दी जाती। अध्यक्ष के पति व निजी सचिव आयोग के कामकाज में हस्तक्षेप करते हैं। इस संबंध में उन्होंने राज्यपाल से लिखित शिकायत भी की है। नई सरकार बनने के बाद अध्यक्ष को हटाने की कोशिश हुई थी, लेकिन हाईकोर्ट से उन्हें स्थगन आदेश मिल गया। उनका कार्यकाल अब भी करीब छह महीने बाकी है। इधर आयोग के पास नारायणपुर (बस्तर) की तीन युवतियों की शिकायत दर्ज है। ये वही युवतियां हैं जिन्हें भिलाई रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोप लगाकर रोका था।

आरोप है कि उस दौरान उनके साथ दुर्व्यवहार और अभद्रता की गई। यह उनकी तीसरी सुनवाई थी। पिछली दो सुनवाइयों में आयोग की बाकी सदस्याएं भी मौजूद थीं, पर युवतियां निराश लौटी थीं। उनका कहना था कि उनसे अप्रासंगिक और अपमानजनक सवाल पूछे गए, जबकि दोषियों से कोई जवाब नहीं मांगा गया।

सदस्यों के बहिष्कार के कारण इस बार सुनवाई अध्यक्ष किरणमयी नायक ने अकेले की। सुनवाई के बाद जब पीडि़त युवतियां बाहर निकलीं तो उनके चेहरों पर हल्की संतुष्टि की झलक थी। उन्होंने कहा कि इस बार अजीब सवाल नहीं पूछे गए, और हमारी बात ध्यान से सुनी गई। आयोग ने इस दौरान पुलिस से दस्तावेज और वीडियो फुटेज मांगे हैं, लेकिन अब तक सहयोग नहीं मिला है। अध्यक्ष ने युवतियों को आश्वासन दिया कि वह इस संबंध में डीजीपी को पत्र लिखने जा रही हैं।

पीडि़तों की मानें तो रेलवे ने सिर्फ एक सीसीटीवी कैमरे की फुटेज दी है, जिसमें मुख्य घटनाक्रम रिकॉर्ड ही नहीं है। आयोग की नोटिस के बावजूद बजरंग दल के जिन कार्यकर्ताओं के खिलाफ शिकायत है, उनमें से कोई भी पेश नहीं हुआ। नारायणपुर की युवतियों को इस बार यह संतोष तो मिला कि उनकी बात ध्यान से सुनी गई, परन्तु एफआईआर दर्ज कराने और मुआवजा दिलाने के मामले में आयोग की शक्तियां सीमित हैं। युवतियों को राहत मिले न मिले, आश्वासन जरूर मिला है। शायद अध्यक्ष और पीडि़त दोनों ही पक्ष आयोग की सदस्यों की गैरहाजिरी के कारण सुविधाजनक स्थिति में थे।

साल बोरर का प्रकोप..

छत्तीसगढ़ के जंगलों में साल बोरर एक कीट है जो साल के पेड़ों को अंदर से खाकर खोखला कर देता है, जिससे पेड़ सूख जाते हैं और मर जाते हैं। यह कीट साल के पेड़ों के लिए एक गंभीर समस्या है। छत्तीसगढ़ में साल राज्य वृक्ष है। बाकी पेड़ों तक पहुंचने से रोकने के लिए एकमात्र प्रभावी उपाय संक्रमित पेड़ों को काटना ही है। यह चिल्फी घाटी की ताजा तस्वीर है जहां साल वृक्षों पर बोरर कीड़ों का प्रकोप दिखाई दे रहा है।

चाय पे जाना मना है

कांग्रेस में जिलाध्यक्षों के चयन प्रक्रिया के बीच भाजपा प्रवक्ता के उस दावे से हलचल मची रही, जिसमें यह कहा गया कि दुर्ग के केन्द्रीय पर्यवेक्षक अजय कुमार लल्लू को कांग्रेस हाईकमान ने बदल दिया है। भाजपा प्रवक्ता अमित चिमनानी ने यह भी दावा किया कि केन्द्रीय पर्यवेक्षक, पूर्व सीएम के घर चाय पर गए थे, इसलिए उन्हें हटाया गया। थोड़ी देर बाद कांग्रेस ने स्थिति स्पष्ट की, और भाजपा प्रवक्ता के दावे को सिरे से खारिज किया।

जिस वक्त अजय कुमार लल्लू को हटाए जाने की बात कही जा रही थी, उस दौरान वो दुर्ग में जिलाध्यक्ष के नामों को लेकर पदाधिकारियों से रायशुमारी कर रहे थे। यह भी बताया गया कि अजय कुमार लल्लू को कांग्रेस ने बिहार चुनाव में पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। यहां वो दुर्ग शहर, ग्रामीण, और भिलाई शहर अध्यक्ष के लिए कार्यकर्ताओं से चर्चा कर पैनल तैयार कर हाईकमान सौंपेंगे, और फिर वो बिहार निकल जाएंगे। ऐसे में केन्द्रीय पर्यवेक्षक को हटाए जाने के भाजपा के दावे पर भी सवाल उठ रहे हैं।

बताते हैं कि कुछ केन्द्रीय पर्यवेक्षक पार्टी के बड़े नेताओं के संपर्क में रहे हैं, और वो उनके यहां चाय पर भी गए थे। जबकि पर्यवेक्षकों को साफ तौर पर हिदायत दी गई है कि बड़े नेताओं से दूर रहें, और उनकी सिफारिशों को तवज्जो न दें। कोई बड़े नेता दबाव बनाए, तो इसकी सूचना एआईसीसी को दें। अब तक तो ज्यादातर जिलों में चयन की प्रक्रिया बिना किसी विवाद के चल रही है। हालांकि बड़े नेताओं के यहां चाय पर जाने की शिकायत विरोधियों ने हाईकमान तक पहुंचाई है। इस तरह की खबर सोशल मीडिया पर प्रचारित भी हुई है। मगर किसी को हटाए जाने की खबर गलत निकली। ये अलग बात है कि भाजपा के दावे के बाद पर्यवेक्षक सतर्क जरूर हो गए हैं।

सृजन संगठन और महंगे गिफ्ट

कांग्रेस में जिलाध्यक्ष बनने के लिए दावेदारों में होड़ मची हुई है। पर्यवेक्षक जिन पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं से रायशुमारी करेंगे, उनकी पूछ परख बढ़ गई है। एक-दो दावेदारों ने तो पदाधिकारियों को अपने पाले में करने के लिए महंगे गिफ्ट बांटना भी शुरू कर दिया है।

चर्चा है कि रायपुर के एक दावेदार ने तो करीब 60 ट्रैवल बैग बांटे हैं। रायपुर के एक बड़े जमीन कारोबारी के दावेदार भतीजे ने भी थैली खोल दी है। वो पदाधिकारियों, और कार्यकर्ताओं को मैनेज करने में जुट गए हैं।

रायपुर नगर निगम के एक पूर्व पदाधिकारी ने तो बकायदा बैठक लेकर कार्यकर्ताओं को अपनी तरफ से इशारा किया है। इन सबके बीच पूर्व सीएम भूपेश बघेल के करीबी लोग, और रायपुर के प्रमुख नेता अलग-अलग नेताओं के के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। इन सबके चलते कार्यकर्ताओं की दीवाली बेहतर होने की उम्मीद दिख रही है।


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